Saturday 24 September 2022
राहुल गांधी का इंकार, चुनाव तय
कांग्रोस अध्यक्ष पद नहीं संभालने के राहुल गांधी के संकेत के बाद देश की सबसे पुरानी पाटा के सर्वोच्च पद के लिए अब चुनावी मुकाबला होने की संभावना बढ़ गईं है। पाटा के वुछ वरिष्ठ नेता भले ही सर्वसम्मति पर जोर दे रहे हों, लेकिन एक तरफ शशि थरूर ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताईं तो दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भी रण में उतरने के संकेत मिल रहे हैं। वुछ और नेताओं के भी चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। राहुल गांधी तमाम दबाव के बावजूद अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना चाहते। राहुल गांधी की इसके पीछे कईं वजहें हैं। राहुल गांधी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक मंच से कभी अपना रुख बदलने की बात नहीं की है। ऐसे में वह फिर अध्यक्ष बनते हैं तो यह उनकी कथनी और करनी में अंतर के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि मौजूदा सियासत में यह आम बात हो गईं है। पाटा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं लेने को राहुल गांधी की वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कांग्रोस नेता मानते हैं कि कईं विपक्षी दल उनके नेतृत्व पर सहज नहीं होंगे। पाटा का कोईं और वरिष्ठ नेता अध्यक्ष पद संभालता है तो विपक्षी एकता की संभावना बढ़ जाएगी। इसके साथ पाटा को एकजुट रखने में भी मदद मिलेगी। सकारात्मक संदेश की कोशिश—कांग्रोस के अंदर गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग काफी दिनों से उठती रही है। पाटा के असंतुष्टों आनंद शर्मा कह चुके हैं कि कांग्रोस को गांधी परिवार से बाहर भी सोचने की जरूरत है।
ऐसे में राहुल गांधी परिवार से बाहर किसी नेता को अध्यक्ष बनने का मौका देते हैं, तो इससे पाटा के अंदर और बाहर सकारात्मक संदेश जाएगा।
राहुल गांधी संगठन में जवाबदेही तय करने के साथ परिवारवाद के आरोपों से भी पाटा को मुक्त कराना चाहते हैं। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम दिग्गज नेता कांग्रोस पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहे हैं। पाटा के एक नेता ने कहा कि राहुल गाधी अध्यक्ष पद संभालकर भाजपा को फिर यह मुद्दा नहीं देना चाहते। इसके बावजूद पाटा अभी भी राहुल गांधी पर अध्यक्ष बनने का दबाव बनाए हुए है। दरअसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को भरपूर समर्थन मिल रहा है। राहुल की जनता में साख बढ़ रही है।
यूं कहा जाए कि राहुल अध्यक्ष पद से ऊपर उठ चुके हैं। वह भले ही अध्यक्ष न बनें पर उनका अपना महत्व होगा। राहुल के इंकार से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता को भी बल मिलेगा। हमारी राय में राहुल ठीक कर रहे हैं उनको अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
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