Saturday, 17 September 2022
भारत-चीन सेनाओं की वापसी
इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् भारत और चीन सेनाओं ने अपने सैनिकों को वापस लेने और संघर्ष बिन्दु से स्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के बाद पूवा लद्दाख में गोगरी-हाटस्प््िरांग क्षेत्र के गश्ती बिन्दु (पीपी)-15 पर साझा सत्यापन किया।
इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्र ने मंगलवार को यह बात बताईं।
उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने चरणबद्ध और समन्वित तरीके से वापसी प्राव््िराया पूरी की। दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडरों ने भी संघर्ष बिन्दु से वापसी प्राव््िराया के पूरे होने के बाद एक बैठक की, जहां दोनों पक्ष दो साल से अधिक समय से गतिरोध में थे। हालांकि दोनों पक्ष पीपी-15 से दूर हो गए, लेकिन डेम चौक और देव सांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अभी तक कोईं प्रागति नहीं हुईं है। दोनों देशों ने आठ सितम्बर को घोषणा की कि उन्होंने पीपी-15 से वापसी प्राव््िराया को शुरू कर दिया है। दोनों सेनाओं की ओर से कहा गया कि जुलाईं में हुईं 16वें दौर की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद गोगरा-हाटस्प््िरांग क्षेत्र से वापसी प्राव््िराया शुरू हुईं।
शुरुआत में प्रात्येक पक्ष के लगभग 30 सैनिकों को पीपी-15 में आमनेसामने रखा गया था। लेकिन क्षेत्र की समग्रा स्थिति के आधार पर सैनिकों की संख्या बदलती रही। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसीपी शांति और सद्भाव द्विपक्षीय संबंधों के समग्रा विकास के लिए अहम है। पेंगोंग झील क्षेत्र में हिसक झड़प के बाद 5 मईं 2020 को पूवा लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। उस समय दोनों पक्षों ने धीरे- धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। सैन्य और वूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पेंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और गोगरा क्षेत्र में वापसी की प्राव््िराया पूरी की थी। पेंगोंग झील क्षेत्र से वापसी की प्राव््िराया पिछले साल फरवरी में पूरी हुईं। जबकि गोगरा में गश्ती बिन्दु (17ए) में सैनिकों और उपकरणों की वापसी पिछले साल अगस्त में शुरू हुईं थी। हम इस ताजा डिस इंगेजमेंट का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह प्राव््िराया आगे भी जारी रहेगी।
——अनिल नरेन्द्र
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