Friday, 9 September 2022

मदरसों का सव्रे सही कदम

उत्तर प्रादेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने रविवार को आयोजित सम्मेलन में अपना रुख स्पष्ट करते हुए प्रादेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सव्रे कराने के पैसले की तारीफ की। जमीयत-उलेमा-ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सरकार द्वारा कराए जा रहे मदरसों के सव्रे को लेकर किसी को आपत्ति नहीं है। रविवार को देवबंद की मशहूर मस्जिद रशीद में आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम ने प्रादेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सव्रे किए जाने को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रादेश के विभिन्न मदरसों से आए प्राबंधकों और उलेमाओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में प्रादेश के 250 से अधिक मदरसा चालक एकत्र हुए। सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम सरकार के सव्रे कार्यं की तारीफ करते हैं और अभी तक सव्रे की जो तस्वीर आईं है, वह सही तस्वीर है। मदनी ने मदरसा चालकों से आह्वान किया कि वह सव्रे में सहयोग करें, क्योंकि मदरसों के अंदर वुछ भी छिपा नहीं है और इनके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि मदरसे देश की व्यवस्था के हिसाब से चलते हैं। इसलिए उत्तर प्रादेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सव्रे में सहयोग करते हुए सम्पूर्ण और सही जानकारी दें। मदनी ने कहा कि सम्मेलन में हमने यही कहा है कि मदरसा संचालक अपने दस्तावेज और जमीन के कागजात मुकम्मल रखें, वहां का ऑडिट, साफ-सफाईं और बच्चों की तबीयत आदि पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि कोईं मदरसा देश के संविधान के खिलाफ नहीं है और यदि एक-दो मदरसे उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं तो उसके लिए पूरे मदरसे तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। अरशद मदनी ने इस मौके पर कहा कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोईं मदरसा बना है तो उसे खुद ही हटवा लिया जाए। साथ ही कहा कि उचित तरीके से काम नहीं कर रहे इक्का-दुक्का मदरसों की कार्यंप्राणाली को देखकर पूरे तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। मदनी ने यह भी कहा कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोईं मदरसा गैर-कानूनी तरीके से बना हुआ है और न्यायालय द्वारा उसे अवैध घोषित किया जाता है तो वह खुद ही उसे हटा लें, क्योंकि शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती। मदनी ने कहा कि दारुल उलूम ने अब अपना रुख बदल लिया है। अब उसका मकसद मजहब की हिफाजत करना है। साथ ही छात्रों को इंजीनियर, एडवोकेट और डॉक्टर बनाकर भेजना है। उन्होंने कहा कि किस तरह कौम को बेहतर बैरिस्टर, प्राोपेसर, इंजीनियर की जरूरत है। ठीक उसी तरह बेहतर से बेहतर मुफ्ती और आलिम-ए-दीन की जरूरत है। हमारे मुल्क में लाखों मस्जिदें हैं, हर मस्जिद के लिए इमाम की जरूरत है।

No comments:

Post a Comment