Tuesday, 23 January 2024
मणिपुर में हिसा थमने का नाम नहीं ले रही है
का नाम नहीं ले रही है मणिपुर में बीते वुछ दिनों में अलग-अलग जगह पर हुईं हिसा में पांच नागरिकों समेत दो सुरक्षार्कमियों की मौत हुईं है। इसमें से एक मामला विष्णुपुर ि़जले का है। यहां संदिग्ध हथियारबंद चरमपंथियों ने गुरुवार शाम एक पिता-पुत्र समेत चार लोगों की हत्या कर दी। मरने वाले लोगों की पहचान थियाम सोमेन सिह, ओइनम बामोइजाओ सिह, उनके बेटे ओइनम मनितोम्बा सिह और निगथौजम नबादीप मैतेईं के रूप में की गईं है। वहीं बुधवार रात इंफाल पािम ि़जले के कांगचुप में हमलावरों ने एक मैतेईं बहुल गांव के ग्राम रक्षक की हत्या कर दी। बुधवार को ही संदिग्ध चरमपंथियों ने टैंगनोपल ि़जले में म्यांमार सीमा से सटे मोरेह शहर में सुरक्षाबलों पर हमला किया था। इसमें पुलिस के दो जवानों की मौत हो गईं थी। हिसा की इन अलग-अलग घटनाओं में मारे गए सभी लोग मैतेईं समुदाय के थे। इसके बाद राजधानी इंफाल से लेकर बिष्णुपुर जैसे मैतेईं बहुल इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मणिपुर में 3 मईं से रह-रहकर हो रही हिसा के बीच पिछले वुछ दिनों से शांति का माहौल बना हुआ था। लेकिन बुधवार को मोरेह शहर से फिर शुरू हुईं हिसा ने राज्य में भय और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। मणिपुर में चरमराईं कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस ता़जा हिसा के पीछे क्या वजह है? क्यों पिछले आठ महीनों से यहां हिसा रुकने का नाम नहीं ले रही है? पिछले 8 महीनों में मणिपुर के जिन शहरी इलाकों में व्यापक स्तर पर हिसा हुईं, उसमें सीमावता मोरेह शहर भी एक है। वुकी जनजाति बहुल इस शहर में हिसा के दौरान मैतेईं लोगों के अधिकतर घरों को जला दिया गया था। इस समय मोरेह में एक भी मैतेईं परिवार नहीं है। मोरेह में असम राइफल्स और बीएसएफ के साथ मणिपुर पुलिस कमांडो की तैनाती को लेकर विरोध होता रहा है। वहां वुकी जनजाति के लोग मणिपुर पुलिस कमांडो को इलाके से हटाने की मांग करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि मणिपुर पुलिस कमांडो में मैतेईं समुदाय के जवान हैं, जिसके कारण वे लोग सुरक्षित महसूस नहीं करते। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस कमांडो के साथ वुछ मैतेईं हमलावर भी इलाके में आ गए हैं। वुकी जनजाति के प्रमुख संगठन वुकी इंग्पी के वरिष्ठ नेता थांगमिलन किपजेन की मानें तो इस लड़ाईं को रोकने के लिए भारत सरकार का हस्तक्षेप ़जरूरी है। उन्होंने कहा, कि राज्य में तुलनात्मक शांति थी। क्योंकि वेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने कहा था कि पहाड़ी इलाकों की कानून-व्यवस्था वे खुद देखेंगे और घाटी वाले इलाकों को मुख्यमंत्री बीरेन सिह संभालेंगे। लिहा़जा अब तक राज्य पुलिस के कमांडो पहाड़ी इलाके में नहीं आ रहे थे। अब हिसा इसलिए बढ़ गईं कि मणिपुर सरकार मैतेईं समुदाय के पुलिस कमांडो को हेलीकॉप्टर के जरिए मोरेह भेज रही है।
राज्य सरकार को शांति कायम करने के लिए इन कमांडो को वापस बुलाने की ़जरूरत है। मैतेईं समाज के हितों के लिए बनी कोर्आडिनेशन कमेटी ऑ़फ मणिपुर इंटीग्रिटी के वरिष्ठ नेता किरेन वुमार मानते हैं कि वेंद्र और राज्य सरकार मणिपुर में स्थिति संभालने में सफल नहीं हो रहे।
वो कहते हैं कि सरकार वुकी आतंकियों को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। वुकी बॉर्डर टाउन मोरेह पर कब्जा करना चाहता है। म्यांमार के विद्रोही इन वुकी आतंकियों के साथ मिलकर आरपीजी विस्फोटक से हमला कर रहे हैं। किसी भी जातीय हिसा में आरपीजी चलाने की बात किसी ने नहीं सुनी होगी। राज्य में शांति स्थापित करने के सवाल पर मैतेईं नेता किरेन वुमार कहते हैं कि प्रदेश में शांति केवल भारत सरकार के हस्तक्षेप से ही कायम हो सकती है। हिसा को शुरू हुए आठ महीने से ज्यादा हो चुके हैं। बीरेन सरकार पूरी तरह पेल हो गईं है। लोगों की हत्या की जा रही है। घरों को जलाया जा रहा है लेकिन मणिपुर को किसी की भी चिता नहीं है।
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