Saturday, 20 January 2024
ठंड, कोहरे और प्रदूषण की ट्रिपल मार
इन दिनों पूरा उत्तर भारत ठंड, कोहरे और प्रदूषण की ट्रिपल मार से जूझ रहा है। पूरे उत्तर भारत में शीतलहर का प्रकोप है। कड़कड़ाती ठंड के बीच कोहरे की घनी चादर ने उत्तर भारत के बड़े इलाके को अपनी आगोश में ले लिया है। सुबह के वक्त पंजाब से लेकर असम तक का इलाका घने कोहरे में डूबा रहता है। दिल्ली समेत कईं शहरों में दृश्यता का स्तर शून्य तक गिर गया। रेल और हवाईं यातायात पर भी इनका खासा असर देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, अमृतसर, गंगानगर, पटियाला, अंबाला, चंडीगढ़, बरेली, लखनऊ, बहराइच, वाराणसी, प्रयागराज, तेजपुर समेत कईं शहरों में सुबह के समय दृश्यता का स्तर शून्य मीटर तक रहा। मौसम विभाग के मुताबिक कोहरे की चादर सिंधु, गंगा के मैदान और ब्रrापुत्र नदी क्षेत्र में भी पैली रही। कोहरे की चादर लगभग 2300 किलोमीटर लंबी रही और 10.71 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्सा इससे प्रभावित है। एक दिन तुलना में कोहरे की चादर में 24 प्रतिशत का इजाफा हुआ। उधर खगोलीय घटनाओं के लिहाज से 2024 बेहद रोमांचक साल होने जा रहा है। इस साल तीन बड़े उल्कापात होने जा रहे हैं। पृथ्वी की ओर बढ़ रहे 24 बड़े एस्ट्रेरॉइड के सुंदर नजारे दिखेंगे। इसके अलावा चार ग्रहण भी लगेंगे। यदि आप इन रोमांचक घटनाओं का गवाह बनना चाहते हैं तो इसके लिए पहले से ही तैयार रहना होगा। नैनीताल स्थित आर्यंभट्ट विज्ञान शोध संस्थान के डा. विरेन्द्र यादव के अनुसार इस साल चार बार ग्रहण देखने को मिलेंगे। जिसमें दो सूर्यं और दो चंद्र ग्रहण होंगे। साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगेगा। इसके बाद 18 सितम्बर को दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। वहीं पहला सूर्यं ग्रहण आठ अप्रैल को होगा और दूसरा दो अक्टूबर को लगेगा। सुदूर अंतरिक्ष से इस साल 24 बड़ी चट्टानें पृथ्वी की ओर आ रही है। इसमें से 12 एस्ट्ररॉइड को तो इस साल के पहले महीने यानी जनवरी में ही देख सकते हैं। बता दें अगले वुछ दिनों के भीतर चार एस्ट्ररॉइड पृथ्वी और चांद के बीच से गुजरेंगे। मौसम के मिजाज में बदलाव की बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है।
वहीं सर्दी का प्रकोप लोगों के लिए मश्किलें पैदा कर रहा है और फिर थोड़े दिन बाद ही गर्मी बढ़नी शुरू होगी तो उसे झेलना मुश्किल हो जाएगा।
पिछले वुछ वर्षो से न केवल गर्मी की अवधि बढ़ी है, बल्कि इसकी तीव्रता भी सहनशक्ति के पार जा रही है। यही वजह है कि हर वर्ष गर्मी में तेज लू चलने के कारण लोगों की मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। पिछली गर्मी में उत्तर प्रदेश के वुछ इलाकों में लू की चपेट में आकर सौ से अधिक लोगों के मरने के आंकड़े दर्ज हुए। यही हाल बरसात का भी है। बरसात की अवधि घट गईं है और बरसने वाली बूंदों का आकार बढ़ गया है। इससे कम समय में हुईं बारिश से भी जगह-जगह बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। मगर कईं इलाके बरसात का इंतजार करते रह जाते हैं। उन्हें सूखे की मार झेलनी पड़ती है। इस वजह से अब और फसलों, सब्जियों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ने लगा है, जो खादृा सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक स्थिति माना जा रहा है। पहाड़ों पर कम बर्प गिरने से पारंपरिक जलस्त्रोत, झीलों, तालाबों आदि में कम जल संचय हो पाएगा। वुल मिलाकर लगता नहीं कि अगले चार-पांच दिनों में कोईं राहत मिलने वाली है।
——अनिल नरेन्द्र
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