Tuesday, 9 January 2024

और अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा

जोड़ो न्याय यात्रा इस चुनावी माहौल में अपने अनुवूल बनाने की कोशिश के तौर पर जहां सत्तारूढ़ बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ी गतिविधियों पर अधिक से अधिक जोर दे रही है, वहीं प्रामुख विपक्षी दल कांग्रोस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का ऐलान कर दिया है। कांग्रोस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में मणिपुर से मुंबईं तक 14 जनवरी से शुरू होने वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा का ऐलान कर दिया है। पहले पाटा ने इसे भारत न्याय यात्रा का नाम दिया था। अब यह यात्रा 14 राज्यों में नहीं बल्कि 15 राज्यों से होकर गुजरेगी। इसमें अरुणाचल प्रादेश को भी शामिल किया गया है। यात्रा 6200 किमी की बजाए 6700 किमी की दूरी तय करेगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी से प्रोरित है। कांग्रोस इस यात्रा को थोड़ा अलग रखते हुए भी चाहती है कि लोग इसे उस यात्रा की अगली कड़ी के रूप में देखें। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के सियासी महत्व को देखें तो इन राज्यों में कांग्रोस के पास गंवाने के लिए महज 14 सीटें ही हैं। 15 राज्यों से गुजर रही इस यात्रा के मार्ग में लगभग 100 लोकसभा सीटें हैं। पाटा का दावा है कि यह पैदल मार्च राहुल गांधी की पूर्व यात्रा की तरह परिवर्तनकारी साबित होंगी। हमारा मानना है कि सिर्प भीड़ इकट्ठी होने से वोट नहीं मिलते। राहुल की पहली भारत जोड़ो यात्रा में लाखों लोग आए थे। पर चुनावों में इसका क्या नतीजा हुआ? जब तक भीड़ के वोटों में परिवर्तन नहीं करते यात्राओं का चुनावी लाभ नहीं होगा। फिर इस यात्रा को कांग्रोस की यात्रा बताकर लाभ नहीं होगा। इसको इंडिया अलाइंस की यात्रा के रूप में बताया जाना चाहिए। जिस-जिस राज्य में से यह यात्रा गुजरे वहां की स्थानीय पाटा के नेता और वामपंथी इसमें तह दिल से शामिल होंगे तब जाकर इसका सियासी लाभ होगा। कांग्रोस महासचिव जयराम रमेश कह तो यह रहे हैं कि पाटा इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं को इस यात्रा के मार्ग में कहीं भी शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही है। यह यात्रा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों अमेठी, रायबरेली, वाराणसी और प्रायागराज से होकर गुजरेगी। यात्रा 14 जनवरी को इंफाल से शुरू होकर 66 दिन में 118 जिलों, 100 लोकसभा सीटों और 337 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। जहां तक इस यात्रा के प्राभावों का सवाल है तो नियमित रूप से मौजूदा राम मय माहौल में इसकी सबसे बड़ी कसौटी अयोध्या में श्रीराम मि़दर से उत्पन्न हिन्दुत्व की लहर का मुकाबला करना होगा। पिछली भारत जोड़ो यात्रा के अनुभव से देखें तो उसने राहुल गांधी के पक्ष में थोड़ा माहौल बनाया, उन्हें एक गंभीर नेता की छवि भी दी, लेकिन चुनावी कसौटियों पर उसका असर मिला-जुला ही रहा। चुनाव में वैसे भी बहुत से कारक होते हैं। यह दूसरी यात्रा अगर सही मायनों में इंडिया अलाइंस की मिली-जुली यात्रा है तो ही इसका चुनावी लाभ होगा। अगर कांग्रोस और विपक्षी दलों के पक्ष में यह यात्रा माहौल बनाती है तो निाित रूप से उनके लिए यह एक अच्छी बात होगी लेकिन चुनावों में इसका वे कितना फायदा उठा पाते हैं, यह उनके संगठनों और कार्यंकर्ताओं की मेहनत पर निर्भर रहेगा। राहुल की यात्रा उस समय में हो रही है जब अयोध्या में श्री राम के मंदिर के उद्घाटन की तैयारी हो रही है। पूरा देश राममयी हो रहा है। देखें, राहुल की यात्रा भाजपा के प्राचार पर कितना असर डालेगी।

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