Tuesday 16 January 2024

शंकराचार्य क्यों नहीं जा रहे प्राण प्रतिष्ठा पर

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर तारीख 22 जनवरी जैसे ही सामने आई तो ये चर्चा शुरू हुई कि कौन इस आयोजन में शामिल होगा? कांग्रेस ने बुधवार को कई दिनों से पूछे जा रहे सवाल का जवाब दिया। कांग्रेsस ने बीजेपी पर राम मंदिर को राजनीतिक परियोजना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया। कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा, भगवान राम की पूजा करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता है लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने सालों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। साफ है कि एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है। वहीं विश्व हिन्दू परिषद ने पुष्टि की है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल होंगे। पहले ऐसी खबरें आई थीं कि आडवाणी समारोह में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के अलावा शंकराचार्य ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया है। हालांकि दो शंकराचार्यों ने बयान जारी कर कहा कि सब इस समारोह में शामिल हों। मान्यताओं के मुताबिक शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है। हिन्दू धर्म में शंकराचार्यों को सम्मान और आस्था की नजर से देखा जाता रहा है। आदि शंकराचार्य को हिन्दू धर्म की दार्शनिक व्याख्या के लिए भी जाना जाता रहा है। आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इन मठों की स्थापना की थी। ये चार मठ हैं, श्रृंगेरी मठ, कर्नाटक-शंकराचार्य भारती तीर्थ महाराज, गोवर्धन मठ, पुरी ओड़िसा, शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज, शारदा मठ, द्वारका गुजरात, शंकराचार्य सदानंद महाराज और ज्योतिर्मठ, बद्रिकाश्रम उत्तराखंड शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद महाराज। इन मठों का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है। ऐसे में जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तारीख तय हुई तो शंकराचार्यों से भी रुख जानने की कोशिशें हुईं। ज्योतिर्मठ शंकराचार्य ने स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा है कि चारों शंकराचार्य 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में शामिल नहीं होंगे। उनके मुताबिक ये आयोजन शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रहा है। अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। हालांकि श्रं=गेरी मठ की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि शंकराचार्य भारती तीर्थ की तस्वीर के साथ संदेश डाला जा रहा है, जिससे ये महसूस होता है कि श्रं=गेरी शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा का विरोध कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कोई संदेश शंकराचार्य की ओर से नहीं दिया गया है। यह गलत प्रचार है। शंकराचार्य की ओर से अपील की गई है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हों। हालांकि शंकराचार्य खुद अयोध्या जाकर शामिल होंगे या नहीं इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है। वहीं अविमुक्तेश्वरनंद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह कहते दिखते हैं, रामानंद संप्रदाय का अगर ये मंदिर है तो चंपत राय वहां क्या कर रहे हैं। ये लोग वहां से हटें, हटकर मंदिर रामानंद संप्रदाय को प्राण प्रतिष्ठा से पहले सौंपे। हम एंटी मोदी नहीं हैं लेकिन हम एंटी धर्मशास्त्र भी नहीं होना चाहते। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल में कहा था कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है। वो कहते हैं चारों शंकराचार्य किसी शंका या द्वेष के कारण नहीं, बल्कि शंकराचार्यों का दायित्व है कि वो शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। अब वहां शास्त्र विधि की अपेक्षा हो रही है। मंदिर अभी पूरा बना नहीं है और प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है कि प्राण प्रतिष्ठा अचानक करना पड़े, जिस शास्त्र से हमने राम को जाना उसी शास्त्र से प्राण प्रतिष्ठा हो, ये जरूरी है। अभी प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के हिसाब से नहीं हो रही है, इसलिए मेरा जाना उचित नहीं है। शंकराचार्य सदानंद महाराज की ओर से कोई बयान प्रसारित नहीं किया गया है। राम मंदिर के लिए हमारे गुरुदेव ने कई कोशिशें की थीं, 500 साल बाद ये विवाद खत्म हुआ है। बयान में कहा गया है हम चाहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह वेद, शास्त्र, धर्म की मर्यादा का पालन करते हुए ही संपन्न हो।

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