Tuesday, 9 January 2024

लड़ाईं यही है कि हमारी कोईं औकात नहीं है

कोईं औकात नहीं है मध्य प्रादेश के राजापुर में कलेक्टर के साथ विवाद को लेकर चर्चा में आए एक ट्रक ड्राइवर पप्पू अहिरवार ने कहा है कि वो कलेक्टर को ट्रक ड्राइवरों के साथ होने वाली परेशानी के बारे में समझाने की कोशिश कर रहे थे। पप्पू अहिरवार ने बात करते हुए उन पर लगे इन आरोपों से इंकार किया कि वो किसी भी तरह से कलेक्टर की बातों को नजरअंदाज कर रहे थे। सोशल मीडिया पर 18 सेवेंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ट्रक ड्राइवरों से बात करते हुए मध्य प्रादेश के राजापुर के कलेक्टर किशोर कत्याल ने एक ट्रक ड्राइवर से पूछा, तुम्हारी औकात क्या है? देश में हिट एंड रन मामले में सजा के नए प्रावधानों को लेकर ट्रक, टैक्सी ड्राइवर और बस आपरेटरों के संगठनों ने देशभर में हड़ताल भी की। इसी दौरान ट्रक ड्राइवरों का एक समूह बातचीत के लिए कलेक्टर के पास पहुंचा था, जहां बातचीत के दौरान कलेक्टर नाराज हो गए थे। विवाद बढ़ने के बाद प्रादेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कलेक्टर को पद से हटा दिया है और कहा है कि अधिकारियों को इसकी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखना चाहिए। वहीं विवादों में घिरे कलेक्टर किशोर कत्याल ने कहा है कि उन्होंने जो भी कहा वो ठेस पहुंचाने के इरादे से नहीं कहा था जबकि वो ड्राइवर से बातचीत के दौरान वो किसी भी तरह की बाधा नहीं डाल रहे थे बल्कि इस उम्मीद में अपनी बात रख रहे थे कि उनकी बात सुनकर प्राशासन समाधान निकालेगा। पप्पू ने कहा, मैं पहले उनकी (कलेक्टर साहब) बातों को समझा रहा था और उनके सामने अपनी बात रख रहा था। मैं उन दिक्कतों की बात कर रहा था जो हर ट्रक ड्राइवर झेलता है। उन्होंने यह भी कहा सड़क पर ट्रक ड्राइवरों के साथ पुलिस का या फिर आरटीओ के अधिकारियों का जिस तरह का व्यवहार होता है, मैं उसकी बात कर रहा था। इसके अलावा कईं बार ट्रक ड्राइवर के साथ आम लोग भी र्दुव्‍यंवहार करते हैं, कभी उन पर चोरी का आरोप लगा देते हैं। मैं इन्हीं मामलों के बारे में बात कर रहा था और कह रहा था कि हमारे लिए इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए कोईं कानून नहीं है। प्राशासनिक अधिकारी आमजन और सरकार के बीच एक मजबूत कड़ी होते हैं, जो न सिर्प सरकारी योजनाओं को सही और प्राभावी ढंग से लागू करते हैं, बल्कि स्थानीय समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं। उनसे अपेक्षा की जाती है कि लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को सुने-समझेंगे और उनकी समस्या का हरसंभव प्रायास करेंगे। अगर स्थिति यह है कि आजादी के बाद लोकतंत्र की स्थापना के बावजूद जिलाधिकारियों की औपनिवेशक मानसिकता बदल नहीं पाईं है। वे जनता का सेवक बनकर काम करने के बजाए शासन बनकर रहना ज्यादा पसंद करते हैं। स्थिति यह है कि अगर कोईं उनके खिलाफ अंगुली उठा दे या उठाने का प्रायास करता है, तो वे उनके दमन पर उतर आते हैं। इस तरह भय का वातावरण बना कर मनमाने ढंग से काम करने की कोशिश करते हैं। मध्य प्रादेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की प्राशंसा करनी होगी कि उन्होंने कलेक्टर को उसकी औकात दिखला दी और बता दिया कि लोकतंत्र में जनता ही महान है, सभी को उसको जवाब देना पड़ेगा और अपनी औकात में रहना होगा। ——अनिल नरेन्द्र

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