Thursday, 18 January 2024
ईंडी के समन पर दिल्ली से झारखंड तक सियासत
से झारखंड तक सियासत दो राज्यों दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईंडी) के समन को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। दिल्ली व झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने समन को गैर कानूनी बताते हुए ईंडी के समक्ष पेश होने से अब तक इंकार किया है। दोनों ही राज्यों में विपक्षी दल ईंडी की कार्रवाईं को राजनीतिक साबित करने में जुटे हुए हैं ताकि जनता की सहानुभूति हासिल की जा सके। इस मामले में जिस प्रकार दिल्ली और झारखंड की सरकारें एवं सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की तरफ से प्रतिव्रियाएं सामने आ रही हैं। उससे यह स्पष्ट होता है कि वह ईंडी की संभावित कार्रवाईं के राजनीतिक क्षति और उसकी भरपाईं की क्षति की तैयारियों में जुट गए हैं। इसलिए ईंडी के अगले कदम से पहले इन दो राज्यों में वुछ अहम राजनीतिक घटनाव्रम देखने को मिल सकते हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों कि पार्टियों का आरोप है कि केन्द्रीय एजंेसी का दुरुपयोग किया जा रहा है। वे केन्द्र सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले ईंडी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे हैं। हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय (ईंडी) के समन के जवाब में उलटे सवाल कर रहे हैं। ईंडी सूत्रों का कहना है कि जिसे सवालों का जवाब देने क लिए बुलाया जाता है, वह ही जांच एजेंसी से उलटे सवाल करने लगे तो उसके सवालों का जवाब देने का कोईं प्रावधान कानून में नहीं है। दोनों ही मामलों का अध्ययन किया जा रहा है कि अगली कार्रवाईं क्या की जाए? ईंडी ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चौथी बार समन जारी किया है। केजरीवाल को 18 जनवरी को एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। वहीं ईंडी ने एक बार फिर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। एजेंसी ने उनसे पूछा है कि वे बयान दर्ज कराने के लिए क्यों पेश नहीं हो रहे हैं? इससे जांच में बाधा उत्पन्न हो रही है।
ईंडी ने जवाब देने के लिए 16 से 20 जनवरी तक का वक्त दिया है।
इसके पहले ईंडी की ओर से हेमंत सोरेन को सात बार समन भेजे जा चुके हैं। इस पत्र को आठवां समन बताया जा रहा है। रांची के बड़गाईं अंचल में हुए जमीन घोटाले के मामले में ईंडी हेमंत सोरेन का बयान दर्ज करना चाहती है। इसके लिए उन्हें बीते 29 दिसम्बर को सातवां समन भेजा गया था, जिसे एजेंसी ने आखिरी बताते हुए सात दिनों के अंदर बयान दर्ज कराने को कहा था। सोरेन इस समन पर भी उपस्थित नहीं हुए। उधर एजेंसी का मानना है कि केजरीवाल को भेजे गए समन पीएमएलए की प्रव्रियाओं और कानून के दायरे में थे। मामले में ईंडी द्वारा दायर आरोप पत्र में केजरीवाल का नाम था कईं बार उल्लेख किया गया है। सोरेन और केजरीवाल दोनों का मानना है कि ईंडी का समन गैर कानूनी है और उनकी राजनीतिक छवि को खराब करने के उद्देश्य से भेजा गया है। उनके दल के उच्चधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार को अस्थिर करने की मंशा से केन्द्र के इशारों पर यह एक जानबूझकर किया जा रहा है।
केजरीवाल के दल के अन्य साथियों का कहना है कि इन नोटिसों के जरिए उन्हें लोकसभा चुनाव के प्रचार से रोकने की मंशा है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह सब केजरीवाल को गिरफ्तार करने की साजिश है। हालांकि ईंडी को अधिकार है कि तीन बार नोटिस भेजने के बाद वह प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट की धारा 49 के तहत गिरफ्तार कर सकती है। केन्द्र सरकार की मंशा यदि वास्तव में राज्यों में विपक्षी दलों को कमजोर करने की है तो अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका सबके पास है। अंतत: जनता ही तय करेगी कौन कितने पानी में है। विपरीत राजनीतिक विचारधारों का परस्पर सम्मान करना स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
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