Tuesday, 30 January 2024

लकड़ी व कपड़े से तैयार हुआ मंदिर का शिखर


हुआ मंदिर का शिखर रामलला की प्राण प्रातिष्ठा से पहले श्रीराम मंदिर का शिखर भी तैयार कर लिया गया था। इसे लकड़ी, कपड़े और पूल की मदद से बनाया गया है। प्राण प्रातिष्ठा के बाद इसे हटाकर विधिवत शिखर बनाया जाएगा। बिना शिखर के निर्माण हुए प्राण प्रातिष्ठा पर सवाल उठाए जा रहे थे। वजह, मंदिर के भूतल का काम ही पूरा हो सका है। शिखर, दूसरे तले का काम पूरे होने के बाद लगना है। दूसरी ओर, मंदिर की छवि भी बिना शिखर अधूरी लग रही थी। इसके लिए बीच का रास्ता निकाला गया। मंदिर निर्माण से जुड़े वास्तुकार ने बताया कि लोगों को मंदिर के पूर्ण स्वरूप के दर्शन के लिए फिलहाल लकड़ी, कपड़े और पूल की मदद से शिखर भी तैयार करा दिया गया है। इससे पूर्ण मंदिर का नया दृश्य सामने आ रहा है। हालांकि, वास्तविक ऊंचाईं इससे कहीं अधिक होगी। समारोह के बाद तय योजना के अनुरूप शिखर का निर्माण किया जाएगा। रामलला के साथ ही जन्मभूमि मंदिर के शिखर और कलश के दर्शन पाकर भक्त निहाल हो रहे हैं। प्राण प्रातिष्ठा से पहले एक हफ्ते की कड़ी मशक्कत के बाद कोलकाता व झारखंड के 60 से अधिक कलाकारों ने यह शिखर तैयार किया था। इसे पूलों से सजाया गया। दरअसल राम मंदिर के शिखर का निर्माण दूसरे चरण में होना है। पहले चरण में भूतल, प्राथम तल व सिध द्वार का निर्माण किया गया है। इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 31 दिसम्बर 2023 की तारीख तय की थी। हालांकि इसके बाद भी निर्माण एजेंसी को दो हफ्ते का समय और लग गया। 15 जनवरी को प्राण प्रातिष्ठा समारोह के लिए साफ-सफाईं शुरू होने पर काम दिया गया था। अब जल्द ही दूसरे चरण का काम शुरू होगा जिसे इस साल दिसम्बर तक पूरा किया जाएगा। प्राण प्रातिष्ठा समारोह के ठीक पहले मंदिर की साज-सज्जा पर विमर्श के दौरान पाया गया कि शिखर के बिना मंदिर अधूरा दिख रहा है। पूलों व रंग बिरंगी रोशनी के बावजूद वैसा दृश्य नहीं बन रहा था, जो वर्तमान में है। इसलिए कोलकाता व झारखंड के दुर्गा पूजा के पंडाल विशेषज्ञ कलाकारों को बुलाया गया। मंदिर परिसर में ही 60 कारीगरों ने शिखर बनाने का काम शुरू किया। एक हफ्ते के अंदर बांस व कपड़े से शिखर का निर्माण किया और गर्भ गृह के ऊपर खूबसूरत शिखर की स्थापना कर दी गईं। यह शिखर लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। राम मंदिर के अंदर भगवान राम से जुड़े सात पात्रों को भी स्थान दिया जाना है, लेकिन अभी तक वे तैयार नहीं हो सके हैं। ऐसे में मंदिर के पास तय स्थान पर वाल्मीकि वशिष्ठ, विश्वामित्र, तुलसीदास, अहिल्या, निषादराज व शबरी के स्वरूप को कपड़े व लकड़ी से बनाया गया है। रामलला का दर्शन करने के लिए पूरे देश से रामभक्त बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंच रहे हैं। शुरुआती दो दिनों में ही करीब 8 लाख राम भक्त अपने अराध्य के दर्शन कर चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भक्तों की व्यवस्था करने में प्राशासन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। टैम्पो, टैक्सी एवं ईं-बसों का संचालन राम नगरी की सीमा तय होने की वजह से श्रद्धालुओं को वापसी में परेशानी हो रही है। टैम्पो-टैक्सी जालपा चौराहा तक ही जा रही है।

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