आयोवा कॉकस के इतिहास में शायद पहली बार ये सबसे चौंकाने वाली जीत रही है। रिपब्लिकन पाटा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए हुए पहले चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा जीत दर्ज की है। महीनों से इस मतदान को परिणामों का अंदाजा लगाया जा रहा था और आखिर में ऐसा ही हुआ। मतगणना के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने एकतरफा बढ़त बनाईं रखी और मंगलवार की रात को उनकी जीत के बाद कड़ाके की ठंड में उनके समर्थक इस जीत का जश्न मना रहे थे। ट्रंप के मुख्य प्रातिद्वंद्वी निक्की हेली, रॉन डेसैंटिस और उनकी विचारधारा से मिलते-जुलते (भारत मूल के) विवेक रामास्वामी कहीं भी उन्हें चुनौती देते नहीं दिखाईं दिए। उनके वोट विभाजित भी नहीं दिखाईं दिए। दूसरी ओर उनके प्रातिद्वंद्वी विवेक रामास्वामी ने घोषणा कर दी है कि वो चुनाव से पीछे हट रहे हैं और न्यू हैम्पशर में मंगलवार को ट्रंप का समर्थन करेंगे। यहां आयोवा के परिणामों को करीब से देखे जाने की जरूरत है क्योंकि व्हाइट हाउस की दौड़ में ये बेहद महत्वपूर्ण है। आयोवा में कोईं भी 12 पाइंट से ज्यादा बढ़त नहीं बना पाया था जबकि ट्रंप ने 30 फीसदी के अंतर से बढ़त बनाईं और पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज की। सभी वोटों की गिनती की गईं और ट्रंप को 57 फीसदी, डेसैंटिस को 21 फीसदी और हेली को 19 फीसदी वोट मिले।
आयोवा में जिस तरह से मतदान हुआ वे इस बात का उदाहरण है कि ट्रंप क्यों अब तक पाटा की चुनावी रणनीति में बाजी मार रहे हैं। पाटा के अधिकतर लोगों का विश्वास अभी भी ट्रंप के मेक अमेरिका ग्रोट अगेन वाले जुमले पर बना हुआ है। ट्रंप की नीति में समाज के सभी वर्गो का योगदान लगभग बराबर रहा है। उन्हें युवाओं, बुजुर्गो, पुरुषों और महिलाओं सभी का पुरजोर समर्थन मिला है। वे धुर दक्षिणपंथी मतदाताओं का वोट लेने में भी सफल रहे जो 2016 में उनसे दूर रहे थे। अमेरिका में आमतौर पर राष्ट्रपति चुनाव में हारने वाले उम्मीदवारों को लोग भूल जाते हैं। हारे हुए उम्मीदवार कभी भी दोबारा कमबैक नहीं कर पाते हैं। लेकिन आयोवा की जीत ने दिखा दिया है कि रिपब्लिकन पाटा में अब भी ट्रंप की खासी धाक है। रिपब्लिकन पाटा के भीतर ट्रंप की ताकतवर मौजूदगी पर कभी किसी को कोईं संदेह नहीं रहा है। लेकिन आयोवा में मिली जीत अमेरिकी राजनीति के हिसाब से असाधारण है। तीन वर्ष पहले ट्रंप ने राष्ट्रपति का पहला कार्यंकाल विवादों के बीच खत्म किया था। 6 जनवरी को वैपिटल हिल पर उनके समर्थकों का हुड़दंग अमेरिकी इतिहास का सबसे दुखद हिस्सा बन चुका है। उस दंगे के लिए ट्रंप पर दो आपराधिक मामले चल भी रहे हैं। अब आयोवा में मिली जीत के बाद उन्होंने नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दोबारा रिपल्किन पाटा का उम्मीदवार बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है। लेकिन अब भी ट्रंप को पाटा का उम्मीदवार बनने के लिए कड़ा संघर्ष करना है। आगे की प्राइमरी में भी यही ट्रेंड रहा तो यह कहा जा सकता है ट्रंप ने राष्ट्रपति पद के लिए पाटा की उम्मीदवारी जीती तो उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए डेसैंटिस या निक्की हेली में से कोईं एक चुना जाएगा। हालांकि यह सिर्प एक राज्य के प्राइमरी का नतीजा है। अभी तमाम राज्यों में ऐसा ही होगा, जिसमें तमाम दावेदारों को अपना प्रादर्शन बढ़िया करने का बेहतर मौका मिलेगा। बहरहाल, अगला प्राइमरी 23 जनवरी को न्यू हैंपशर में है। हर प्राइमरी के साथ तस्वीर साफ होगी। आयोवा में मिली जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप के अभियान को नियमित तौर पर एक गति मिलेगी। जब तक मतदान डालने की बारी आएगी तब तक ट्रंप को उम्मीद है कि वो एक ताकतवर उम्मीदवार के तौर पर उभर चुके होंगे।
——अनिल नरेन्द्र
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