Saturday 6 January 2024

हिट एंड रन कानून का जमकर विरोध

हिट एंड रन कानून के खिलाफ ड्राइवरों ने जमकर हंगामा किया, जगह-जगह पर चक्का जाम किया और हड़ताल आरंभ कर दी। हिट एंड रन मामले में सजा के नए प्रावधानों के खिलाफ ट्रक, टैक्सी और बस ऑपरेटरों के संगठनों ने देशभर में हड़ताल कर दी थी। संसद में हाल में लाए गए भारतीय न्याय संहिता के तहत आपराधिक मामलों में सजा के नए प्रावधान किए गए है। नए कानून के तहत हिट एंड रन इन केस में ड्राइवरों को दस साल की कैद और सात लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। अभी तक ट्रक या डंपर से कुलचकर किसी की मौत हो जाती थी तो लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगता था और ड्राइवर को जमानत मिल जाती थी। हालांकि इस कानून के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है लेकिन अब नया कानून काफी सख्त है। ड्राइवरों को लगा रहा है कि क्या कानून लागू होने के बाद उनके लिए गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि दस साल की कैद और सात लाख जुर्माने की सजा काफी बड़ी है। ड्राइवरों ने कहा कि हमें तो मुश्किल से 15 से 20000 वेतन मिलता है। हम भला कहां से सात लाख जुर्माने के लिए लाएंगे? उन्होंने कहा एक तो उन्हें इतना पैसा नहीं मिलता कि वे इतना भारी जुर्माना दे सकें, दूसरा उन्हें नए कानून से भारी प्रताड़ना का डर है। दस साल की कैद की सजा काफी ज्यादा है। ड्राइवरों का यह भी कहना है कि उन्हें दुर्घटना के बाद मौके पर भीड़ गुस्से का सामना करना पड़ता है। गलती किसी की भी हो पर भीड़ ट्रक, बस ड्राइवरों को भी जिम्मेदार मानती है और उन पर हमला कर देती है। नहीं जतन हमें मॉब लिचिंग से बचने के लिए मौके से वाहन छोड़कर भागना पड़ता है। अगर वह भाग नहीं तो भीड़ हमे मौके पर ही पीट-पीट कर मार देती है। क्या सरकार इस बात की गारंटी लेती है कि दुर्घटना होने पर भीड़ को नियंत्रित करें? ड्राइवरों का कहन है कि पुलिस और सरकारी विभाग कहते हैं कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर भाग जाते है। फोनकर इसकी सूचना ही देते है। ड्राइवरों का कहना हैकि अगर वो रुके रहे तो उन्हें मॉव लिचिंग से कान बचाएगा? आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (नाथ जोन) के उपाध्यक्ष जसपाल सिंह कहते है, दुर्घटना कोई जानबूझकर नहीं करता। सरकारी विभाग कहते है कि एक्सीडेंट होने पर ड्राइवर फोन नहीं करते। लेकिन हमें नहीं लगता कि वो फोन नहीं करते। आखिर सड़कों पर इतने कैमरे और टोल नाके है, उनकी मदद क्यों नहीं ली जाती? सड़कों पर गड्डे है, लाइटें नहीं इन पर कयों नहीं ध्यान दिया जाता? भरत में ड्राइवरों की सबसे ज्यादा मॉव लिचिंग होती है। कई बार ड्राइवरों को पीट-पीटकर मार दिया गया है। उन्हें माल समेत जिंदा जला दिया जाता है, लेकिन ऐसा करने वालों पर कोई मुकदमा नहीं होता। किसानों को तो तीन काले कानून हटवाने में एक साल लग गया था और इसमें 300 से ज्यादा किसान शहीद हुए थे पर इन ट्रक ड्राइवरों ने तो दो दिन में सरकार को बैक फुट पर ला दिया। इसका कारण है कि सरकार इस चुनावी वर्ष में इतनी बड़ी हड़ताल का सामना करे और फिर 22 जनवरी को अयोध्या में राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी है। इनके चलते सरकार ने दो दिन में ही अपने कदम पीछे खींच लिए। दुख की बात तो यह है कि इतने गंभीर कानून बनाने से पहले किसी भी संबंधित पार्टी से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया। आनन-फानन में जब संसद में 150 विपक्षी सांसद बाहर थे कानून पास करवा लिया। अभी कानून वापस नहीं हुआ सिर्फ यह कहा गया है कि यह फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा। ड्राइवरों को कानून निरस्त करवना चाहिए, स्थगित नहीं।

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