Thursday 18 January 2024

वापस जाएं भारतीय सैनिक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों को तो मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने निलंबित कर दिया था लेकिन अपना चीन का पांच दिवसीय दौरा समाप्त करने के बाद उनके भारत विरोधी तेवर और तल्ख हो गए हैं। शनिवार को चीन से माले लौटे मुइज्जू ने रविवार को भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक मालदीव खाली करने का आदेश दिया है। ये 88 भारतीय सैनिक मालदीव की जनता की सेवा के लिए भारत सरकार की तरफ से सौंपे गए हैलीकॉप्टरों के संभालने के लिए तैनात किए गए हैं। मालदीव में मुइज्जू सरकार की ओर से भारत को यह डेटलाइन ऐसे वक्त में दी गईं है जब दोनों देशों के बीच दूरियां देखने को मिली हैं। समाचार एजेंसी पीटीआईं के मुताबिक सरकार के ताजा आंकड़ों के हिसाब से मालदीव में फिलहाल 88 भारतीय सैनिक हैं। मोहम्मद मुइज्जू ने चुनावों में इंडिया आउट का नारा दिया था और राष्ट्रपति बनने के बाद व अपनी शुरुआती प्राथमिकताओं में भारतीय सैनिकों की वापसी को बताया था। मालदीव के मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की वापसी पर भारत से बातचीत शुरू कर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बातचीत में भारत की ओर से मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मनु महावर, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों समेत कईं ज्वाइंट सैव्रेट्री शामिल थे। मालदीव की सरकार में पब्लिक पॉलिसी के मुख्य सचिव ने कहा कि भारतीय सैनिक मालदीव में नहीं रह सकते और देश के लोग भी यही चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब मोहम्मद मुइज्जू और पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हुईं थी, तब भी ये मुद्दा उठाया गया था। भारतीय सैनिकों का मालदीव से हटाना बड़ा झटका साबित हो सकता है। हिंद महासागर के देश मालदीव में मुश्किल से साढ़े पांच लाख लोग रहते हैं। लेकिन इसके नए इस्लामिक झुकाव वाले चीन समर्थक राष्ट्रपति बीजिंग की अपनी तीर्थ यात्रा से इतना साहस जुटा पा रहे हैं कि भारत को डेटलाइन दे रहे हैं और भारत को लेकर आव्रामक बयान दे रहे हैं। ताकि मालदीव को तोहपे में जो हेलीकाप्टर दिए गए थे, उनके रखरखाव के लिए मौजूद वुछ दर्जन सैनिकों को भारत भेजा जा सके। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोहम्मद मुइज्जू ने जैसा कहा था वो वैसे ही भारतीय सैनिकों को हटा सकते हैं, लेकिन ऐसा करके मालदीव राजनयिक स्तर पर नुकसान की स्थिति में रहेगा। भारत के प्रति विरोध व्यक्त करके वो अमेरिका, प्रांस जैसे देशों से भी दूर हो सकता है, अमेरिका ने भले ही दूरी बनाईं हुईं है लेकिन चीन का अगर हिंद महासागर क्षेत्र में दखल बढ़ा तो ये अमेरिकी सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकता है। मुइज्जू ने ऐसा माहौल बनाया जैसे भारत ने अपना कोईं सैन्य अड्डा मालदीव में बना रखा है, जबकि वहां मुश्किल से 88 सैनिक ही हैं और वे भी एक समुद्र टोही विमान और दो हैलीकॉप्टर के संचालन और राहत बचाव कार्यो के लिए हैं, अब तक पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि मालदीव के राष्ट्रपति चीन के इशारे पर भारत विरोध की नीति पर चलने पर आमादा हैं तब भारत को न केवल सतर्व रहना होगा, बल्कि साम, दाम, दंड, भेद के तहत मालदीव में भारतीय हितों की रक्षा भी करनी होगी। साफ है कि आने वाले समय में चीन का मालदीव में दखल बढ़ेगा और भारत के हितों के खिलाफ मालदीव का इस्तेमाल होगा। हमें इसलिए भी सतर्व रहना होगा कि मुइज्जू चीन परस्ती पर आमदा हैं बल्कि इसलिए भी कहना होगा क्योंकि वहां भारत विरोधी जिहादी ताकतें भी सिर उठा रही हैं। ——अनिल नरेन्द्र

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