Saturday, 6 January 2024

नीतीश की ताजपोशी:आगे क्या?

नीतीश कुमार बिहार सरकार के मुखिया है। अब वह अपनी पार्टी जेडीयू के भी मुखिया बन गए हैं। बिहार में महागठबंधन को एकजुट रखने की जिम्मेदारी भी उनकी ही है और अब विपक्षी दलों के इंडियन गठबंधन के संयोजक की जिम्मेदारी भी उन्हें मिलने की बात कहीं जा रही है। क्या नीतीश कुमार इतनी जिम्मेदारियों को एकसाथ निभाने में अब भी सक्षम हैं? पिछले साल की शुरुआत से ही विपक्षी एकता को लेकर नीतीश के चेहरे पर जो उम्मीद दिख रही थी, वह साल के बीच में सफल होती दिखने लगी थी। लेकिन साल के अंत होते-होते इसमें बिखराव की चर्चा भी शुरू हो गई। जून 2023 में पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई थी। यही से केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता की तस्वीर और दावे पेश किए जा रहे थे। अब पटना में चल रही राजनीति नेही विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया की बुनियाद में बिहार का महागठबंधन है। बिहार में अगस्त 2022 में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड एनडीए से अलग से गई थी। इस तरह से राज्य में एनडीए अंत हुआ था। इस तरह बि हार में एनडीए सरकार का अंत हुआ था और नीतीश ने विधानसभा में सबसे बड़े दल और आरजेडी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। इस गठबंधन में कांग्रेस और वामदल भी शामिल हुए थे और इसे महागठबंधन का नाम दिया गया था। अब भाजपा की और से बिहार में जेडीयू और आरजेडी के बीच रिश्तों में खटास आने के दावे किए जा रहे है। भाजपा का दावा है कि पिछले दिनों आरजेडी से नजदीकी की वजह से ही नीतीश पार्टी के अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पद से हटाया है। नीतीश के विरोधी एक यह दावा भी करते है कि जनता दल युनाइटेड में दूर होने वाली है। इस राजनीतिक दावे के अलावा कई जानकार भी मानते है कि बिहार में महागठबंधन के दलों में तनाव है। इस वक्त बिहार एक राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। भले ही यहां सरकार चल रही है और नीतीश्श मुख्यमंत्री बने हुए है लेकिन महागठबंधन के अंदर तनाव है और उनका अदरुनी इरादें साफ दिखने लगा है। साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले की इस बदलाव को नीतीश का बड़ा कदम माना जा रहा है। बिहार के महागठबंधन में दरार की खबरों के बीच राज्य सियासी पारा चढ़ा हुआ है। विपक्ष के इंडिया गठबंधन में पूरी तरह से मतभेद है। किसी पार्टी में सीटों को लेकर कुछ तय नहीं हुआ है। इसलिए मुझे अभी तक नहीं दिख रहा है कि इंडिया गठबंधन भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती बन पाएगा। जिस दिन ममता बनर्जी ने विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद के लिए मल्लिकार्जुन खडगे के नाम का प्रस्ताव कर दिया था उसी दिन से विपक्षी एकता का मामला पूरी तरह से बिगड़ गया। देखना आज यह है कि नीतीश कुमार क्या चाल चलते है? क्या वह जेडीयू इंडिया गठबंधन और महागठबंधन सभी को संभाल सकते है? उन्हें एकजुट रख पाएंगे? बहुत कुछ निर्भर करता है कि नीतीश कुमार की अगली चाल क्या होती हैं। नीतीश क्या सोचते हैं। करते है यह कोई नहीं जानता। उन्होंने ललन सिंह को हटाकर खुद जेडीयू का अध्यक्ष बनना सामान्य बात नहीं है, इसके पीछे लंबी सियासत है। उम्मीद है कि जल्द ही इस पहेली से पर्दा उठ जाएगा। -अनिल नरेन्द्र

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