Tuesday 29 November 2011

किशन जी ने मरने से पहले अपनी एके-47 से 41 गोलियां चलाई थी

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 29th November 2011
अनिल नरेन्द्र
जिस दिन माओवादी नेता किशन जी की मुठभेड़ में हत्या होने की खबर आई थी उसी दिन इस बात का अन्देशा हो गया था कि उसके कुछ समर्थक जरूर यह कहेंगे कि मुठभेड़ फर्जी थी। हमें ज्यादा समय प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। किशन जी के एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे हैं। माओवादियों और किशन जी के परिवार के अलावा कई राजनीतिक दलों ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया है। उन्होंने सरकार से इस मामले पर स्थिति साफ करने और घटना की जांच कराने की मांग की है। माओवादियों के प्रवक्ता आकाश ने कहा कि किशन जी को हिरासत में लेने के बाद हत्या की गई। तेलुगू कवि और माओवादियों से हमदर्दी रखने राव ने भी कहा कि किशन जी को दो दिन पहले हिरासत में लिया गया था, बाद में उसकी हत्या की गई। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने गृहमंत्री पी. चिदम्बरम को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या यह सच नहीं है कि किशन जी को बृहस्पतिवार दोपहर 12 बजे ही हिरासत में ले लिया गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। दासगुप्ता ने चिदम्बरम से फोन पर भी इस सिलसिले में बात की। सपा महासचिव मोहन सिंह ने भी मुठभेड़ को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि शीर्ष नक्सलियों के नरसंहार से माओवाद की समस्या खत्म नहीं होगी। हकीकत तो यह है कि बूड़ीशोल के जंगल में जिस जगह सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में किशन जी की मृत्यु हुई, उस जगह मिल रहे फोरेंसिक सुबूतों से फर्जी मुठभेड़ के दावों की हवा निकल जाती है। घटनास्थल पर मिले कारतूसों के खाली खोखे, हैंड ग्रेनेड के खोल, पेड़ों पर गोलियों के निशान और गोलियों से पत्तियों में बने छेद और `ऑपरेशन' में किशन जी और उसके साथियों का सामना करने वाले कोबरा फोर्स के जवानों से स्पष्ट हो गया है कि इस जगह आमने-सामने की लड़ाई हुई होगी। बंगाल पुलिस की अपराध जांच शाखा (सीआईडी) को शनिवार से आधिकारिक रूप से मुठभेड़ की जांच सौंपी गई। शनिवार को पोस्टमार्टम में भी मुठभेड़ में मौत की प्राथमिक तौर पर पुष्टि हुई है। किशन जी के पैर और चेहरे पर गोलियों के निशान हैं। उसकी ठुड्डी को क्षत-विक्षत करते हुए तीन गोलियां गले में बिंध गई थी। पैर और हाथ के कुछ हिस्सों पर हैंड ग्रेनेड फटने से लगी चोट का प्रभाव है। मुठभेड़ के दौरान किशन जी की एके-47 राइफल से 41 गोलियां चलाई गई थी। उस राइफल से चले कारतूसों के ये खोल किशन जी के शव के आसपास पड़े मिले। किशन जी की साथी रही सुचित्रा महतो खुद को घिरते देख अपनी राइफल और बैग फेंककर भागी थी। उसे एकाधिक गोलियां लगी। अब तक उसे तलाशा नहीं जा सका है। कोबरा फोर्स के जवानों ने छह माओवादियों को गोली लगने से गिरते देखा था। किशन जी आखिरी बार जिस पेड़ के नीचे छिपकर गोलियां चला रहा था, उसका तना गोलियां लगते ही पूरी तरह छिल गया था। किशन जी को पैर और ठुड्डी पर गोलियां मारने वाले कोबरा फोर्स के कमांडो नागेन्द्र सिंह के दाहिने पंजे की ओर से चलाई गोली बिंध गई थी। किशन जी वहां अपने जोनल कमांडरों जयंत, रंजन मुंडा, आकाश, विकास, आदि के साथ बैठक करने पहुंचा था। उसके साथ 75 अन्य माओवादियों का सुरक्षा घेरा था, लेकिन आखिरी मौके पर जब बूड़ीशोल गांव में कसांवली खाल की तरफ से 45 कमांडो की टीम ने उसे घेर लिया तब साथ में सिर्प 15 लोग रह गए थे। सुरक्षा बलों के पैरों तले आए सूखे पत्ते जब खड़के तो माओवादी की टीम ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी गोलियां चली तो गुलाबी रंग की सलवार-कमीज पहने एक महिला माओवादी अपनी राइफल छोड़ भाग निकली। उसके पीछे-पीछे बाकी सब अलग-अलग दिशाओं में भाग निकले। किशन जी का अंतिम संस्कार पेड्डापल्ली में होगा। इससे पहले किशन जी की भांजी दीपा राव ने मिदनापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शवगृह में रखे उसके शव की पहचान की। किशन जी की मुठभेड़ तो ऐसे हुई। अब राजनीतिक कारणों से इसे फर्जी कहें या कुछ और कहें, यह अलग बात है।
Anil Narendra, Daily Pratap, Kishanji, Naxalite, Vir Arjun

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