Tuesday 22 November 2011

विनोद काम्बली के मैच फिक्सिंग आरोप में कितना दम है?


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 22th November 2011
अनिल नरेन्द्र
क्रिकेट में मैच फिक्सिंग एक ऐसा मकड़जाल है जिसमें फंसने से न तो खिल़ाड़ी बच पा रहे हैं और न ही आईसीसी इस पर लगाम कस पा रही है। वर्ष 2000 में भी जब दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोनिए सहित चार भारतीय क्रिकेटरों पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था तो कोई ठोस सुबूत न मिलने पर भी उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया गया था। कुछ चौंकाने वाले सच उभरकर सामने आते उससे पहले ही क्रोनिए की एक विमान दुर्घटना में रहस्यमय ढंग से मौत हो गई। मैच फिक्सिंग में हाल ही में तीन पाकिस्तानी क्रिकेटर फंस गए और आजकल वे इंग्लैंड में जेल में हैं। अब 15 साल बाद विनोद काम्बली ने आरोप लगाया है कि 1996 का विश्व कप सेमीफाइनल मैच जो भारत और श्रीलंका के बीच था वह मैच फिक्स था। काम्बली ने तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन सहित उस टीम के अन्य बल्लेबाजों और मैनेजर के इस फिक्सिंग में शामिल होने की बात कही है। काम्बली ने कहा कि जब अजहर ने टॉस जीतकर फील्डिंग करने का फैसला किया तो सारी टीम चौंक गई, क्योंकि हमने फैसला कर रखा था कि अगर हम टॉस जीतते हैं तो हम पहले बैटिंग करेंगे। इस इरादे से हमारे तीन-चार बल्लेबाजों ने पैड्स भी पहन रखे थे पर अजहर का यह फैसला हमारी समझ में नहीं आया और हम जीता हुआ मैच हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गए। सिर्प विनोद काम्बली ने ही नहीं बल्कि तत्कालीन क्यूरेटर कल्याण मित्रा के बाद तत्कालीन भारतीय टीम के मैनेजर संवरन बनर्जी और श्रीलंकाई टीम के पूर्व लोकल मैनेजर समीर दास गुप्ता के सवाल से शक और गहरा गया है। समीर दास ने कहा कि मैंने श्रीलंका टीम के साथ चार-पांच दिन बिताए थे। श्रीलंका टीम भी टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करना चाहती थी और उन्हें लगा कि भारतीय टीम भी ऐसा ही करेगी। लेकिन जब अजहर ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया तो श्रीलंकाई टीम हैरान हो गई। इसके बाद सभी में खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि अब श्रीलंका के जीतने का चांस और बढ़ गया था। वहीं बनर्जी ने कहा कि मैं भी अजहर के फैसले पर हैरान हो गया जबकि क्यूरेटर मित्रा का कहना है कि पिच में कोई गड़बड़ी नहीं थी। अरविन्द डीसिल्वा ने शतक जबकि सचिन ने यहां पचासा ठोका था। टॉस के समय सुनील गावस्कर, रवि शास्त्राr और टोनी ग्रेग भी पिच पर मौजूद थे। टॉस जीतने के बाद सनी ने पूछा, क्या हुआ अजहर! उसने कहा, फील्डिंग। इस पर सभी हैरान रह गए।
विनोद काम्बली के बयान के बाद शक के घेरे में आए मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इस आरोप को बकवास बताया और काम्बली से प्रश्न किया कि वह 15 साल के बाद क्यों आरोप लगा रहे हैं? विवाद की गम्भीरता भांपते हुए भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने इसकी सीबीआई जांच करने को कहा है लेकिन बीसीसीआई के अधिकारी इस पर तैयार नहीं हैं। वहीं पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अजहर से खुद को बेदाग साबित करने को कहा है। इससे एक दिन पहले अजहरुद्दीन ने अपना बचाव करते हुए काम्बली के इस बयान को बकवास करार दिया। साथ ही उन्होंने काम्बली को अपना मुंह बन्द रखने की नसीहत देते हुए कहा कि इस बात को 15 साल बाद उठाने का क्या मतलब है। लेकिन अजहर शायद यह भूल गए कि 1996 के वर्ल्ड कप के बाद ही साल 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था। दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हैंसी क्रोनिए ने जांच के दौरान भारतीय खिलाड़ियों का नाम लिया था। इस प्रकरण में बीसीसीआई जांच कमेटी के प्रमुख के. माधवन ने उन पर आजीवन प्रतिबंध और अजय जडेजा पर चार साल का प्रतिबंध लगाया था। लेकिन 2006 में अजहरुद्दीन पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। यहां तक कि चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान उन्हें सम्मानित भी किया गया। यह मामला आज भी लम्बित है। विनोद काम्बली ने रोते-रोते यह भी कहा कि इस मैच के बाद न केवल मेरा कैरियर खत्म हो गया बल्कि मेरे ऊपर कई आरोप लगे। कहा गया कि इसने क्लाइव लॉयड को गालियां दीं। यह बराबर पार्टियों में जाता था और लेट नाइट आता था। आईसीसी अध्यक्ष शरद पवार ने काम्बली के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आज इन आरोपों का कोई मतलब नहीं है। सचिन और काम्बली ने एक साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश किया लेकिन काम्बली ने खेल पर ध्यान नहीं दिया। अगर ध्यान दिया होता तो आज हमारे पास एक नहीं दो सचिन होते। वहीं पूर्व क्रिकेटर सैयद किरमानी बोले कि अगर उन्हें मालूम था तो 15 साल पहले क्यों शिकायत नहीं की?
विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या वाकई काम्बली के पास मैच को पिक्स कहने का पुख्ता आधार है? अब तक काम्बली ने एक ही बात कही है कि कप्तान अजहरुद्दीन ने टॉस जीतने के बाद अचानक टीम के फैसले को पलट दिया। लेकिन अजहर ने ऐसा किया नहीं था। सच तो यह है कि उन्होंने वही किया जो टीम मीटिंग में तय हुआ था। टीम के कई सदस्यों और मैनेजर अजीत वाडेकर ने इसकी तस्दीक की है। इस आधार पर काम्बली का तर्प खारिज हो जाता है। अगर काम्बली के पास शक का कोई बिन्दु है तो वह उस तरफ साफ इशारा क्यों नहीं करते? काम्बली यह क्यों नहीं बताते कि उन्हें कैसे मालूम हुआ कि मैच फिक्सड था? अगर वे इतने ही आश्वस्त हैं तो उन्हें उन लोगों के नाम खुलकर बताने चाहिए। उन्होंने यह बात सचिन के साथ शेयर की थी क्या? विनोद काम्बली कुछ सालों पहले तक हमेशा दावा करते थे कि वे अपनी हर बात सचिन से शेयर करते थे लेकिन इतनी बड़ी बात क्या उन्होंने सचिन से शेयर की? इतने दिनों तक बीसीसीआई से भी क्यों छिपाई? फिक्सिंग की जांच करने वाली सीबीआई या माधवन कमेटी के साथ उन्होंने इसे साझा क्यों नहीं किया? वर्ष 1999 में सीबीआई ने इसकी जांच की थी। फिर माधवन कमेटी ने इसको आगे बढ़ाया। उसने उस दौरान तमाम लोगों से बात की। इसमें क्रिकेटर भी शामिल थे। उस दौर में रहने वाले हर क्रिकेटर से इन दोनों ने अपील की थी कि अगर उन्हें मैच फिक्सिंग के बारे में जरा-सा भी कुछ मालूम हो तो उसे साझा करें। तब काम्बली चुप क्यों बैठे रहे? जिस टीम की काम्बली बात कर रहे हैं उस टीम में सचिन तेंदुलकर, संजय मांजरेकर, नवजोत सिंह सिद्धू, अजय जडेजा, नयन मोंगिया, अजहर, श्रीनाथ, अनिल कुम्बले, वेंकटेश प्रसाद और आशीष कपूर शामिल थे, इनमें से कोई भी क्रिकेटर क्यों उनके साथ नहीं आ रहा? संजय मांजरेकर ने तो साफ कह दिया कि काम्बली गलत बोल रहे हैं। सचिन तो उनके खास मित्र हैं पर वह भी एक शब्द नहीं बोले? उस दिन विनोद काम्बली ने खराब प्रदर्शन क्यों किया? काम्बली उस दिन पांचवें नम्बर पर बैटिंग करने आए। उनकी इमेज वनडे में हिटर की थी। उन्होंने 29 गेंदें खेलीं। 49 मिनट क्रीज पर रुके। एक भी चौका नहीं लगाया। उन्हें खेलने में दिक्कत क्यों हो रही थी। क्या वो बताएंगे कि उन्होंने इतनी खराब बैटिंग क्यों की? दूसरी ओर प्रश्न यह भी उठता है कि ऐसी पिच पर जब सभी मान रहे हैं कि बैटिंग पहले करनी चाहिए थी फिर भी पहले बालिंग का फैसला क्यों किया गया? लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने महज 22 रन पर अपने छह विकेट कैसे गंवाए? मैच से पहले कोच अजीत वाडेकर से कोई अनबन हुई थी और हां तो क्यों हुई थी? वाडेकर होटल छोड़कर घर वापस क्यों जा रहे थे? कौन-सा ऐसा जरूरी काम था जिसके चलते मैच से पहले टीम प्रैक्टिस रोक दी गई? क्या टीम मीटिंग में नवजोत सिंह सिद्धू ने पहले बल्लेबाजी करने की सलाह दी थी? टॉस के समय भारतीय ओपनर पैड बांधकर क्यों तैयार थे। कुल मिलाकर मामले की जांच जरूरी है। दोनों ओर के प्रश्नों के उत्तर जाने बिना किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है और मामले की गहराई से जांच इसलिए जरूरी है ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके जिससे भविष्य में ऐसा कोई न कर सके।
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