Friday 25 November 2011

शराबियों को खम्भे से बांधकर पीटा जाना चाहिए ः अन्ना


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 25th November 2011
अनिल नरेन्द्र
अन्ना हजारे का एक ताजा बयान विवादों के घेरे में आ गया है। समाज सुधार अपने एजेंडे के तहत गांधीवादी अन्ना हजारे ने शराबियों की शराब की लत छुड़ाने के लिए उनकी पिटाई की हिमायत की है। एक टीवी चैनल से बात करते हुए अन्ना ने हालांकि पिटाई को अंतिम उपाय बताया है। अन्ना से जब पूछा गया कि शराबियों की लत छुड़ाने के लिए वह क्या तरीका अख्तियार करने की सलाह देते हैं तो उन्होंने कहा कि पहले शराबियों को तीन बार बातचीत से समझाओ। अगर नहीं मानते तो उसे मंदिर ले जाकर शराब नहीं पीने की शपथ दिलाओ। इसके बाद भी नहीं सुधरें तो मंदिर के सामने खम्भे से बांधकर उसकी सार्वजनिक पिटाई करो। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने यह तरीका अपने गांव में आजमाया है तो उन्होंने कहा कि हां, कभी-कभी ऐसा करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके गांव के कुछ लोग जो अब शराब छोड़ चुके हैं, अब भी उनसे कहते हैं कि यदि उन्हें खम्भे से नहीं बांधा गया होता तो वह बर्बाद हो चुके होते। हजारे के इस बयान की तीखी आलोचना हो रही है। इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हजारे का सुझाव तालिबान के फरमान की तरह है, यह तालिबानी तरीके से मेल खाता है जो शरिया कानून का पालन नहीं करने वाले को दंडित करने के लिए करते थे। कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी कहते हैं कि हजारे का लक्ष्य इस मामले में भी बेहद पवित्र है मगर तरीका गलत है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण और शाहनवाज हुसैन ने भी अन्ना की टिप्पणी को सही नहीं माना और कहा कि उनकी पार्टी अन्ना के इस तरीके से शराब छुड़ाने का समर्थन नहीं करती। शराबखोरी से लड़ने के प्रति 74 वर्षीय गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता के इस नजरिये ने साइबर जगत में भी एक बहस की शुरुआत कर दी है। ब्लॉग पर अन्ना की टिप्पणी की निन्दा की गई है। हालांकि कुछ ब्लॉगर अन्ना के दृष्टिकोण को सही मानते हैं। कुछ ब्लॉगरों ने कहा कि गांधीवादी अन्ना हजारे अपनी हदें पार कर रहे हैं। हमारा मानना है कि शराब पीना या न पीना आदमी का व्यक्तिगत फैसला है। आप शराब पीने वालों को इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं से अवगत करा सकते हैं पर उसे मजबूर करना शायद ठीक नहीं होगा। सरकारों ने प्रोहिबिशन करके भी देख लिया। उल्टा जितने पाबंदी लगाओगे उतनी ही इसकी डिमांड बढ़ेगी। अन्ना का यह सुझाव उनके गांव में तो चल सकता है पर शेष दुनिया में शायद ही प्रैक्टिकल माना जाए।
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