Friday 4 November 2011

केवल प्रतिबंध से ही नहीं, कड़ी सजा से फिक्सिंग दूर हो सकती है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on4th November 2011
अनिल नरेन्द्र
 पाकिस्तान क्रिकेट के लिए मंगलवार का दिन बेहद शर्मनाक साबित हुआ। उसके दो क्रिकेटरों, पूर्व टेस्ट कैप्टन सलमान बट्ट और तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ को लंदन में एक अदालत ने स्पॉट फिक्सिंग का दोषी करार दिया। साउथवर्प क्राउन कोर्ट की 12 सदस्यीय ज्यूरी ने 27 वर्षीय बट्ट को गलत तरीके से पैसा लेने की साजिश और धोखाधड़ी की साजिश का दोषी पाया। वहीं आसिफ (28) को धोखाधड़ी की साजिश का दोषी ठहराया गया। मुकदमे की सुनवाई के 20वें दिन अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया। सजा एक-दो दिन में सुनाई जाएगी और तब तक यह जमानत पर बाहर रहेंगे। बट्ट को अधिकतम सात साल की सजा और आसिफ को अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है। इस मामले में तीसरे आरोपी मोहम्मद आमेर को मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उसने पहले ही जुर्म कुबूल कर लिया था। आमेर को स्कैंडल में उसकी भूमिका के लिए सात साल कैद तक की सजा सनाई जा सकती है। मालूम हो कि बन्द हो चुके ब्रिटिश टेब्लॉयड `न्यूज ऑफ द वर्ल्ड' ने स्टिंग ऑपरेशन कर पिछले साल अगस्त में इस स्कैंडल का खुलासा किया था। इसमें कहा गया था कि आसिफ और बट्ट ने सट्टेबाज मजहर मजीद से मिलकर इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में हुए टेस्ट मैच में नोबाल फेंकने की साजिश रची थी। इस खुलासे के बाद इन तीनों के होटल के कमरों में छापे मारे गए जिसमें नकदी बरामद हुई थी। आसिफ पर गलत तरीके से पैसा लेने के लगे आरोप पर ज्यूरी बंटी हुई थी, जिसके बाद इस पर फिर से विचार करने का फैसला किया गया है। स्पॉट फिक्सिंग मामले में ज्यूरी के फैसला सुनाने के साथ ही सलमान बट्ट और मोहम्मद आसिफ अदालत के भीतर बिना कोई प्रतिक्रिया किए अपने स्थान पर ऐसे स्थिर हो गए मानों वे पत्थर की मूर्त बन गए हों। ब्रिटिश मीडिया और अदालत में मौजूद अन्य लोग दोनों के भाव पढ़ने के लिए उनकी ओर झांक रहे थे लेकिन तब तक इन दोनों के चेहरे भावशून्य हो चुके थे और वे बस ज्यूरी की ओर देखे जा रहे थे। यह भी अजीबोगरीब संयोग रहा कि जब ज्यूरी ने बट्ट को दोषी करार दिया उससे कुछ ही देर पहले उनकी पत्नी गुल हसन ने दूसरे पुत्र को जन्म दिया।
स्पॉट फिक्सिंग के इस मामले में फैसला आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक ही है। हालांकि पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) इस फैसले पर खामोश है, उसका कहना है कि यह कानूनी मामला है और आईसीसी इसकी जांच कर रही है। लेकिन आईसीसी के पूर्व सीईओ अहसान मनी ने कहा कि लंदन की अदालत का यह फैसला पीसीबी के लिए कड़ा संदेश है और आसिफ और बट्ट इसी के लायक थे। उस विवादास्पद दौरे पर पाक टीम के मैनेजर रहे भावर सईद ने इस पूरे प्रकरण पर दुख जताते हुए कहा कि मुझे बहुत अफसोस महसूस हो रहा है क्योंकि उस समय एक मैनेजर के तौर पर मैंने सभी खिलाड़ियों को बुरे लोगों से दूर रहने और सिर्प खेल पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी। उन्हें यह समझना चाहिए कि जब अगर देश का प्रतिनिधित्व करते हुए आप ऐसी बदतर चीज करते हो तो आपको बुरे अंजाम के लिए भी तैयार रहना चाहिए। टीम इंडिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कहा कि सिर्प खिलाड़ी ही मैच फिक्स नहीं करते। कभी-कभी अम्पायर भी प्रशंसकों की मिलीभगत से ऐसा करते हैं। लेकिन इस रिपोर्ट को दबा दिया जाता है। यह भ्रष्टाचार का सबसे बुरा प्रारूप है। इसके आगे सब फीका है। पूर्व आईपीएल चेयरमैन ललित मोदी ने ट्विटर पर लिखा है कि मुझे इस पर कभी संदेह नहीं रहा कि पाक क्रिकेटर मैच फिक्सिंग में शामिल रहे हों उन्हें जेल में डाल देना चाहिए ताकि बाकी क्रिकेटरों में खौफ पैदा हो। वैसे पाठकों को बता दें कि स्पॉट फिक्सिंग के रेट इतने ज्यादा हैं कि पाकिस्तान जैसे देश में जहां कि क्रिकेटरों को कोई खास बड़ी रकम बतौर फीस नहीं मिलती, उनके लिए इससे ऊपर उठना मुश्किल है। एक टेस्ट मैच के फिक्सिंग का रेट 7.5 करोड़ रुपये है। टी-20 का 0.3 करोड़ रुपये। 10 ओवर का 60 लाख रुपये और नोबाल का 7.5 लाख रुपये। पाकिस्तानी खिलाड़ी जब पढ़ते और सुनते होंगे कि भारत के क्रिकेटरों को कितना पैसा मिलता है तो जाहिर है कि वह अपने आपको छोटा महसूस करते होंगे। हाल ही में बीसीसीआई ने टीम इंडिया के लिए नए ग्रेडों की घोषणा की है। ग्रेड ए में सालाना एक करोड़ रुपये, ग्रेड बी में 50 लाख और ग्रेड सी में 25 लाख। जब पाकिस्तानी खिलाड़ी यह देखते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों को इतना पैसा मिलता है तो वह भी अधिक से अधिक कमाई करने की सोचते हैं और क्रिकेट में ज्यादा लम्बी पारी नहीं खेली जा सकती, कुछ ही वर्षों के लिए आप टॉप पर होते हैं, इसलिए जल्दी से जल्दी पैसा कमाने की होड़ लगी रहती है। दरअसल इससे भारत भी अछूता नहीं रहा। मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय शर्मा, मनोज प्रभाकर और अजय जडेजा उन खिलाड़ियों में से हैं जिन पर आजीवन प्रतिबंध लगाना पड़ा। इसके अलावा सट्टेबाज जॉन को मौसम और पिच की जानकारी देने पर आस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने मार्प वॉ और शेन वार्न पर जुर्माना लगाया था। नवम्बर 2010 में पाकिस्तान के विकेटकीपर जुल्करनैन हैदर ने दुबई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांचवां वनडे मैच छोड़कर लंदन आ गए और आरोप लगाया कि उन्हें खराब प्रदर्शन करने के लिए धमकी दी जा रही है। इसी के आधार पर उन्होंने वहां शरण भी मांगी। पैसे का लालच खिलाड़ी को कभी-कभी सारी सीमाएं तोड़ने पर मजबूर कर देता है। इसमें इन सट्टेबाजों और बुकियों का भी बड़ा योगदान है और भारतीय सट्टेबाज तो इसमें माहिर हैं। यह सख्त कानून और सख्त सजा से ही रुक सकता है। बीसीसीआई ने 2000 में क्रिकेट से फिक्सिंग को `आहट' करने की दिशा में कड़े कदम उठाए और अपने खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया। इसके अच्छे परिणाम रहे। कम से कम उसके बाद किसी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी पर फिक्सिंग का आरोप तो नहीं लगा। हालांकि पूर्व क्रिकेटरों का कहना है कि प्रतिबंध तो ठीक है पर इसके साथ सजा भी होनी चाहिए। इंग्लैंड की अदालत ने रास्ता दिखा दिया है। अब दुनिया के सभी क्रिकेट बोर्डों और सरकारों को भी ऐसा ही करना चाहिए। मुझे मोहम्मद आमेर पर जरूर थोड़ा दुख हो रहा है। इतना अच्छा नौजवान बालर किनके चक्कर में फंस गया और अपना शानदार भविष्य चौपट कर लिया। इन तीनों के एजेंट और कथित सट्टेबाज मजहर मजीद ने इस सट्टेबाजी प्रकरण का हिस्सा होना न केवल कुबूल ही किया है पर साथ-साथ यह भी माना है कि उसने इन तीन खिलाड़ियों को 77000 पाउंड स्टर्लिंग दी थी।
Anil Narendra, Cricket Match, Daily Pratap, London, Match Fixing, Pakistan, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment