Thursday 19 September 2013

अग्नि-5 के सफल परीक्षण से चीन समेत आधी दुनिया जद में

सीमा पर पड़ोसी देशों की आक्रामकता और ओच्छी हरकतों से फैली निराशा को अग्नि-5 के दूसरे सफल परीक्षण ने खत्म करने में मदद जरूर की है। नहीं तो आए दिन चीन और पाकिस्तान कुछ न कुछ उल्टी सीधी हरकत करते ही रहते थे। बड़े विमानों के बाद अब स्वदेशी तकनीक से निर्मित 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अन्तर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम-इंटर कांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल) अग्नि-5 का रविवार को ओडिसा के व्हीलर द्वीप का सफल परीक्षण निश्चित रूप से हमारी सैन्य शक्ति में न केवल एक बड़ी उपलब्धि है बल्कि हमारी सेनाओं के गिरते मनोबल को थामने में मरहम का काम करेगा। इस मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से अधिक है जिसका सीधा मतलब है कि इससे पूरे चीन में कहीं भी और यूरोप में निशानों को अब हम भेद सकते हैं। आईसीबीएम विकसित करने की क्षमता अभी केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के पास ही थी। चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन। कल्ब में शामिल होने वाले हम छठे देश हैं। अग्नि-5 की विशेषज्ञता यह भी है कि इसमें एक ही बार में कई परमाणु अस्त्राsं को दागा जा सकता है। यह एमआईआरवी (मल्टीपल इंडिपेंटडेंटली टारगेटबल रिएंट्री व्हीकल) तकनीक से लैस है। एमआईआरवी पेलोड उसे कहते हैं जिसमें किसी मिसाइल से एक ही बार में कई परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता होती है। इन परमाणु हथियारों से अलग-अलग लक्ष्य को भेदा जा सकता है। कैनिस्टर लांचिंग सिस्टम इसकी एक और खासियत है। इसके चलते सेना अपनी सुविधानुसार इसे सड़क मार्ग द्वारा ले जाकर कहीं भी तैनात कर सकती है। इससे पहले की अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में यह सहूलियत नहीं है। पिछले साल इस मिसाइल का पहला परीक्षण किया गया था। अग्नि-5 से पहले सेना के अस्त्राsं में अग्नि की चार मिसाइलें शामिल हो चुकी हैं। अगर हम अपने दो पड़ोसियों से अपनी मिसाइल ताकत को मिलाए तो चीन हमसे अब भी आगे है। चीन की डीएफ-31 7,250 किलोमीटर क्षमता रखती है और उसकी डीएफ-31ए 11,270 किलोमीटर तक मार कर सकती है। पाकिस्तान से अब हम आगे हैं। पाकिस्तान की गौरी-2 2300 किलोमीटर तक क्षमता रखती है जबकि शाहीन-2 2500 किलोमीटर तक मार कर सकती है। अग्नि-5 20 मिनट में 5000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है और डेढ़ मीटर तक के लक्ष्य पर भी निशाना साध सकती है। रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कहा कि अग्नि-5 मिसाइल सभी पैमानों पर खरी उतरी है।  80 फीसद से ज्यादा स्वदेशी उपकरणों से बनी इस मिसाइल ने भारत को नाभिकीय बम के साथ सुदूर लक्ष्य पर सटीक वार करने वाली अतिजटिल तकनीक का रणनीतिक रक्षा कवच दिया है। इसके जरिये भारत अपने किसी भी हमलावर को भरोसेमंद पलटवार क्षमता के साथ मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। इस मिसाइल से भारत जरूरत पड़ने पर चीन के किसी भी इलाके में वार कर सकेगा। सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल पूरे एशिया, ज्यादातर अफ्रीका व आधे से अधिक यूरोप तथा अंडमान से छोड़ने पर आस्ट्रेलिया तक पहुंच सकती है। हम डीआरडीओ व तमाम भारतीय वैज्ञानिकों को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर अपनी बधाई देते हैं। उम्मीद करते हैं कि इस सफल परीक्षण का मतलब हमारे पड़ोसी भी समझेंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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