Sunday 1 September 2013

सीरिया पर छाते युद्ध के बादल ः फालआउट पूरे विश्व पर पड़ेगा

एक बार फिर मध्य पूर्व एशिया में युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। कारण है सीरिया का गृहयुद्ध। खबर है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने कथित रासायनिक हमले को लेकर सीरिया पर सैन्य कार्रवाई करने की भूमिका तैयार कर ली है। ताजा स्थिति पर ब्रिटिश के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन तथा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच बातचीत हुई है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने यह कहकर सीरिया के खिलाफ हमले के लिए जमीन तैयार कर दी कि पिछले सप्ताह हुए कथित रासायनिक हमले के पीछे सिर्प सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद शासन के सुरक्षा बलों का हाथ हो सकता है। ब्रिटेन ने भी अमेरिकी रुख का समर्थन करते हुए कहा है कि कथित रासायनिक हमले के लिए असद शासन के सुरक्षा बल जिम्मेदार हैं। इस समय दो खेमों में बंटा हुआ विश्व। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इजरायल, तुर्की समेत कई देश असद सरकार को सबक सिखाने के लिए सैन्य कार्रवाई के पक्ष में हैं। जबकि रूस, चीन, ईरान और लेबनान ने सम्भावित सैन्य कार्रवाई का विरोध किया है। समझा जा रहा है कि भारत शांतिपूर्ण ढंग से संकट को सुलझाने के पक्ष में है। संयुक्त राष्ट्र की टीम ने बुधवार को जहरीली गैस हमले के सबूत जुटाने के लिए दूसरी बार जांच की। सोमवार को जांच दल पर हमले के बाद मंगलवार को जांच स्थगित कर दी गई थी। लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी राष्ट्रों के तेवरों का इसी से पता चलता है कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि सीरिया के रासायनिक हमले के लिए कौन जिम्मेदार है। अमेरिका पूरी तरह आश्वस्त है कि 21 अगस्त को घातक हमले के लिए असद की सेना जिम्मेदार है। राष्ट्रपति और मेरा मानना है कि जिन लोगों ने निर्दोष लोगों की जान ली, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सीरिया के सामरिक ठिकानों पर मिसाइलों का हमला कभी भी शुरू हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो विश्व शांति को एक बड़े खतरे का सामना करना होगा। भारत के लिए यह संघर्ष बड़े बेमौके आया है जिसका विनाशकारी असर न केवल हमारी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को धराशायी कर सकता है बल्कि और दूसरे घावों का भी कारण बन सकता है। अमेरिकी कार्रवाई का सीधा असर तेलों की कीमत पर पड़ेगा जो हमले की आहट मिलने के साथ ही आसमान की ओर चल निकली है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत जो इस साल की शुरुआत से नीचे जा रही थी, पिछले तीन महीनों से लगातार बढ़ती जा रही है। मिस्र में गहराते तनाव, लीबिया में अराजकता और अब सीरिया में हमले की आशंका से पेट्रोलियम कीमतों में आग लग सकती है। भारत जो 70 फीसद पेट्रोलियम पदार्थ का आयात करता है इस आग के सीधे मुहाने पर होगा। मास्को का कहना है कि सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के भयावह परिणाम हो सकते हैं। उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव वान की मून ने कहा कि विश्व शांति के लिए सीरिया सबसे बड़ी चुनौती है। यह निकाय अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को कायम रखने के लिए है। सीरिया में शांति के लिए सुरक्षा परिषद को एकजुटता दिखानी चाहिए। सीरिया सेना व सत्ता की चॉभी अल्पसंख्यक शिया समुदाय के हाथ में है और इस कारण अरब देशों का बहुमत भी वर्तमान सत्ता के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में है। राष्ट्रपति असद के खिलाफ अरब देशों के सुन्नी लड़ाके उनका विरोध करने सीरिया पहुंच रहे हैं। अगर लड़ाई बढ़ती है तो इसका फालआउट कई देशों पर हो सकता है।

-अनिल नरेन्द्र

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