Sunday 15 September 2013

हफ्ते में एक दिन शराब की दुकानें बंद क्यों नहीं करते?

कुछ दिन पहले मुझे मेरे कार्यालय में इंद्रप्रस्थ संजीवनी एनजीओ के नेतृत्व में श्री संजीव अरोड़ा और उनके साथी मिलने आए थे। उन्होंने एक जरूरी समाजी विषय उठाया। संजीव जी और उनके साथियों ने एक अभियान चला रखा है कि जब बैंकों, सरकारी दफ्तरों में, मार्केटों में हफ्ते में एक दिन का अवकाश होता है तो क्यों नहीं दिल्ली के शराब ठेकों, दुकानों को हफ्ते में एक दिन बंद किया जाए? शराब भारतीय समाज में जिस तरह से स्वीकार्य होती जा रही है, इसका सेवन जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उस पर रोक लगानी चाहिए। इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। महात्मा गांधी भी शराब के खिलाफ थे। आजादी के बाद जैसे-जैसे शराब की खपत बढ़ती गई वैसे-वैसे इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। रोडरेज, रेप, महिलाओं से बढ़ती छेड़छाड़, घरेलू हिंसा में इजाफा इन सबके पीछे कहीं न कहीं छोटे या बड़े रूप में शराब का योगदान है। पिछले दिनों गुड़गांव के एक बार में लगभग 100 नाबालिग बच्चे शराब पार्टी करते पकड़े गए थे। शराब हमारी युवा पीढ़ी का नाश कर रही है। भावना के स्कूल में फेयरवेल पार्टी थी। सभी बच्चे सज-संवर कर आए हुए थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद 11वीं और 12वीं के बच्चों का डांस का प्रोग्राम था। इस डांस पार्टी में भावना ने देखा कि कई लड़के शराब के नशे में थे। एक दो की तो लड़ाई भी हो गई। भावना ने जब यह बात अपनी मम्मी को बताई तो मां और बेटी एक बार गहरी चिंता में पड़ गईं क्योंकि भावना का भाई भी 12वीं क्लास में पढ़ता था और वह भी अकसर शाम के समय शराब पीकर कर आता था, जिसके कारण घर में काफी कलह होती थी। भावना के पिता रोज शराब पीते थे। आजकल टीनएजर्स एल्कोहलिक बनते जा रहे हैं। श्री संजीव अरोड़ा की मांग है कि दिल्ली में शराब की दुकानों को प्रत्येक मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया जाए। इस मांग पर दिल्ली की मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिया जा चुका है। इस मांग पर दिल्ली के 23 विधायकों ने अपना लिखित समर्थन भी संस्था को सौंपा है। इस अवसर पर प्रदर्शन में लोगों को हनुमान चालीसा बांटी गई व हनुमान जी का रूप बनाकर लोगों को मंगलवार  को शराब का सेवन न करने के लिए समझाया गया। कमाल की बात तो यह है कि इस अवसर पर शराब की दुकान के मैनेजर व कर्मचारियों ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वे भी सातों दिन काम पर नहीं आना चाहते और उन्हें दूसरे कर्मचारियों की तरह एक दिन का अवकाश दिया जाना चाहिए। शराब की दुकानें सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक खुलती हैं। यह समय सीमित होना चाहिए ताकि शराब की उपलब्धता भी सीमित हो सके। श्री अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली में कुल 549 शराब की दुकानें चल रही हैं। इनमें 380 सरकारी और 169 निजी दुकानें हैं। दिल्ली सरकार 72 और दुकानें खोलने जा रही है। दिल्ली में बढ़ते अपराधों का एक बहुत बड़ा कारण शराब की आसानी से उपलब्धता भी है। पिछले साल महिला हेल्पलाइन को विभिन्न तरह की 6733 शिकायतें मिली थीं जबकि इस वर्ष जून माह तक ही महिला हेल्पलाइन के पास 5725 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। शराब पर रोक लगाना अब जरूरी हो गया है। हमारी युवा पीढ़ी नशे में डूबती जा रही है। हम श्री अरोड़ा और उनके साथियों की इस मांग की कि दिल्ली में हफ्ते में एक दिन शराब बिक्री पर रोक होनी चाहिए का पूरा समर्थन करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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