Thursday 12 September 2013

अनाम अभागी दामिनी उर्प निर्भया मरकर भी नई राह दिखा गई

16 दिसम्बर की रात को कोई भी कैसे भूल सकता है। उस दिन अभागी निर्भया से वसंत विहार में चलती बस में रौंगटे खड़े करने वाला कृत्य हुआ। उस कृत्य ने पूरे देश को हिला दिया। दिल दहला देने वाली इस घटना को मंगलवार को 261 दिन पूरे हो गए। इस घटना के विरोध में देश में ही नहीं, विदेश में भी आवाज उठी। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हजारों लोग सड़क पर उतर आए। जनता का जबरदस्त दबाव रंग लाया और सरकार को इस केस की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का गठन करना पड़ा। इस मामले में सरकार द्वारा साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज योगेश खन्ना ने 130 दिन की सुनवाई में तमाम गवाहों के बयान दर्ज करके अपना फैसला सुना दिया है। 23 साल की लड़की से गैंगरेप पर करीब नौ महीने चले मुकदमे के बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तमाम आरोपियों ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया। विनय शर्मा, पवन कुमार उर्प कालू, अक्षय ठाकुर और मुकेश को कोर्ट ने हत्या, गैंगरेप, डकैती व सबूत नष्ट करने का दोषी माना है। अब उनकी सजा पर बहस चल रही है और फैसला शुक्रवार को आएगा। उन्हें अब या तो उम्र कैद मिलेगी या फिर फांसी। मंगलवार दोपहर करीब 12.30 बजे साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीशनल सेशन जज योगेश खन्ना ने अपने 237 पेज का फैसला सुनाया। गौरतलब है कि इस मामले में पांचवें आरोपी राम सिंह की मौत हो चुकी है जबकि छठा नाबालिग आरोपी को तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजा जा चुका है। जिन धाराओं के तहत चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, उनमें हत्या पर अधिकतम फांसी और कम से कम उम्र कैद का प्रावधान है। गैंगरेप मामले में अधिकतम उम्र कैद हो सकती है। हालांकि इस गैंगरेप के बाद बने नए कानून के तहत गैंगरेप के बाद मौत होना या मरणासन्न होने पर फांसी का भी प्रावधान है। कुछ पवित्र आत्माएं ऐसी होती हैं जो मरने के बाद भी नहीं मरतीं। निर्भया भी ऐसी ही पवित्र आत्मा थी, वह मरकर भी नई राह दिखा गई। बेशक निर्भया के लिए न्याय की घड़ी आ गई है, मगर इंसाफ पूरे देश के साथ होगा। 16 दिसम्बर की इस घटना ने ऐसे अपराधों पर देश की नजरें ही बदल डाली और सरकार को मजबूरन कई नए कदम उठाने पड़े। दुष्कर्म रोधी कानून बनाया गया। इसमें गैंगरेप के दोषियों को न्यूनतम 20 साल सजा का प्रावधान, इसे उम्र कैद तक बढ़ाया जा सकता है। पहले न्यूनतम 10 साल सजा थी। आम बजट में महिलाओं की खातिर एक हजार करोड़ रुपए का निर्भया फंड बनाने की घोषणा हुई। इसकी राशि का उपयोग कैसे और किन हालात में हो, इस पर फैसला अभी बाकी है। दिल्ली सरकार ने बलात्कार संबंधी मामलों के लिए सभी जिला अदालतों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया। इस समय पांच फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रही हैं। महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार कहीं भी मामला दर्ज करा सकती हैं। आसाराम पर दर्ज मामला इसी कदम का एक उदाहरण है। सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों को निर्देश जारी किया है कि बलात्कार के मामलों में इलाज पहले हो, कार्रवाई बाद में। यह निजी अस्पतालों पर भी लागू है। कई राज्यों में सरकारों ने महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन शुरू की। दिल्ली में 181 नम्बर पर महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं। सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 18 वर्ष किया गया है। इससे पहले यह 16 साल थी। पीछा करने और घूरने को भी अपराध की श्रेणी में लाया जा चुका है। न्यूनतम 10 साल की सजा अब तेजाब से हमले करने पर मिल सकती है। पीड़िता को आत्मरक्षा का अधिकार देते हुए तेजाब हमले को अपराध के रूप में व्याख्या की गई है। दिल्ली के हर थाने में महिला पुलिस होने को अनिवार्य किया गया। सरकार ने यह भी पुख्ता किया कि महिलाओं से जुड़े अपराधों में महिला अधिकारी ही जांच करें। महिलाओं में साहस बढ़ा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल दिल्ली में उत्पीड़न के करीब छह गुना मामले दर्ज हो चुके हैं। वह पवित्र आत्मा जिसे लोग निर्भया भी कहते हैं और दामिनी भी कहते हैं की मौत ने भावनात्मक रूप से जहां देश के लोगों को एक साथ जोड़ दिया था, वहीं अव्यवस्थाओं से ग्रस्त दिल्ली की तस्वीर ही बदल कर रख दी। घटना के बाद पुलिस, स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक स्तर पर बहुत से फेरबदल हुए। यह सभी बदलाव मामलों में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कड़ा रुख अख्तियार करने के बाद हुए। जैसा मैंने कहा कि मरकर भी नई राह दिखा गई निर्भया उर्प दामिनी।




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