आखिर दुर्गा को शक्ति मिल ही गई। अखिलेश यादव सरकार को थूक कर
चाटना ही पड़ा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन वापस
लेते हुए उनकी बहाली कर दी। एसडीएम सदर के पद पर रहते हुए दुर्गा को 27 जुलाई को
निलंबित कर दिया गया था। हालांकि सरकार का कहना था कि कादलपुर स्थित एक धार्मिक
स्थल की दीवार गिराने के मामले में उन्हें निलंबित किया गया, लेकिन माना जा रहा था
कि खनन माफियाओं के दबाव में दुर्गा का निलंबन किया गया था। यही कारण रहा कि न
केवल स्थानीय स्तर पर पदेश सरकार को इसका विरोध झेलना पड़ा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर
पर भी सपा को विरोध का सामना करना पड़ा। दुर्गा पंजाब कैडर की आईएएस हैं और बाद
में उन्होंने यूपी कैडर ले लिया था इसलिए पंजाब सरकार ने उन्हें अपने यहां लेने की
पेशकश भी कर दी थी। यही नहीं आईएएस एसोसिएशन भी दुर्गाशक्ति नागपाल के समर्थन में
पदेश सरकार के सामने आ गई थी। न केवल राजनीतिक और सामाजिक संगठन स्तर पर इसका
मामला उठा बल्कि सुपीम कोर्ट तक इस मामले को
पहुंचाया गया। एक तरफ जहां दुर्गा के निलंबन का विरोध चल रहा था, वहीं सपा
अपनी जिद पर अड़ी थी। सपा नेता और यूपी एग्रो के चेयरमैन नरेन्द भाटी ने तो यहां
तक कह दिया था कि धार्मिक स्थल की दीवार गिराने पर 41 मिनट में उन्हेंने दुर्गा का
निलंबन कर दिया। दुर्गा मामले को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार रविकांत सिंह
द्वारा भेजी गई रिपोर्ट रास न आने पर अखिलेश सरकार के निशाने पर वह भी आ गए थे।
दुर्गा के निलंबन के ठीक एक माह बाद 27 अगस्त को कुमार रविकांत का तबादला कर दिया
गया। दुर्गा के विरोध में न केवल स्थानीय सपा नेता बोले बल्कि गद्दावर मंत्री आजम
खां, शिवपाल यादव और मुख्यमंत्री भी विरोध में थे। अपैल में एसडीएम सदर के रूप में
तैनाती के बाद दुर्गा ने 27 जुलाई तक अवैध खनन के आरोप में 297 वाहनों के खिलाफ
कार्रवाई की। यहां तैनाती के दौरान अपने कार्यकाल में उन्होंने अवैध खनन करने
वालों से 82.5 लाख राजस्व की वसूली भी की थी जो उनके निलंबन की असल वजह बनी।
दुर्गा ने यूपी सरकार की आंखें खोल दां। पदेश में सकिय खनन माफिया कई साल तक
दुर्गाशक्ति को याद करेगा। उनके निलंबन के बाद भी पदेश सरकार ने सभी जिलों में
अवैध खनन के खिलाफ क़ड़ी कार्रवाई के आदेश दिए। नोएडा व ग्रेटर नोएडा में तो
निलंबन के बाद अचानक पुलिस की सकियता ऐसी बढ़ी कि देखते ही देखते हर दिन बीस से
पचास जब्त डंपर थाने में दिखाई देने लगे। यमुना नदी हो या हिंडन नदी। इसके किनारे
बसे गांवें में चल रहा अवैध खनन का खेल खत्म करने के लिए पुलिस अधिकारियों को खुद
खादर में उतरना पड़ा। भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश ठाकुर ने कहा कि अखिलेश सरकार ने
दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन कर गलत किया था। निलंबन वापस लेकर सरकार ने अपनी भूल
सुधारी है। आईएएस (सेवानिवृत्त) गणेश शंकर त्रिपाठी का कहना था दुर्गाशक्ति को जिस
मामले में निलंबित किया गया, असल में वह मुद्दा ही नहीं था। इसको राजनीतिक तूल
देने से बवाल हुआ। उनकी बहाली तो पहले से ही तय थी। चार्जशीट दाखिल होने पर वक्त
लगता है। देर से ही सही मगर सरकार ने सही फैसला किया है।
अनिल नरेन्द्र
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