पनामा
गेट कांड में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पीएम नवाज शरीफ को अयोग्य घोषित करने के ऐतिहासिक
फैसले के बाद उपजे माहौल पर भारत को सतर्क रहना होगा। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता
बढ़ने से भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। नवाज शरीफ पाकिस्तान के सबसे कद्दावर नेता
हैं। उनका सबसे अधिक असर रखने वाले पंजाब प्रांत सहित पूरे पाकिस्तान पर प्रभाव रहा
है। उन्हें अयोग्य ठहराने के बाद न सिर्फ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एम) में बल्कि
अन्य विपक्षी दलों में भी उनके कद के आसपास भी पहुंचने वाला कोई नेता नहीं है। ऐसे
में पाक की लोकतांत्रिक व्यवस्था अंधकारमय होगी और सेना खुद को ज्यादा से ज्यादा मजबूत
करने का प्रयास करेगी। एक अस्थिर पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से भारत की चिन्ता बढ़ाएगा।
शुरू से ही मानसिक रूप से भारत विरोधी पाकिस्तानी सेना ने जब-जब लोकतंत्र के मजबूत होने की परिस्थिति देखी उसे कुचल डाला। इसी कारण खुद
नवाज शरीफ बतौर प्रधानमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कूटनीतिक जानकार
मानते हैं कि नए प्रधानमंत्री घरेलू मुश्किलों से ध्यान बंटाने और सेना का समर्थन हासिल
करने के लिए कश्मीर में हिंसा को उकसाने और सीमा पर आतंकियों की घुसपैठ तेज करने के
लिए सेना को खुली छूट दे सकते हैं। हालांकि कटु सत्य यह भी है कि नवाज शरीफ पाकिस्तान
में भारत विरोधी आतंकी समूहों पर नकेल कस पाने में सफल नहीं रहे थे। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय
दबाव में उनकी सरकार को हाफिज सईद को नजरबंद करना पड़ा। आतंकी समूहों पर कार्रवाई को
लेकर अमेरिका का दबाव भी नवाज पर बना हुआ था। लेकिन नई सरकार में सेना का दखल बढ़ता
है तो कट्टरपंथी तत्वों को भी छूट मिल सकती है। क्योंकि पीओके में चल रहे आतंकी कैंप
और पाक में सक्रिय जेहादी संगठनों को पाक सेना और आईएसआई की खुली मदद मिलती रही है।
पाकिस्तान सेना के साथ आतंकी गुटों के सदस्य कई बार सेना की वर्दी में देखे गए हैं।
पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने की अगर कोई बची-खुची उम्मीद
थी अब उसके खत्म होने के आसार हैं, पठानकोट व उड़ी हमले के बाद
दोनों देशों में लगातार तल्खी बढ़ी है। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाक के आतंकी
चेहरे को बेनकाब करने की लगातार कोशिश कर रहा है, जबकि सीमा पार
से भी कश्मीर में आतंक बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश हो रही है। पाक सेना का भारत के खिलाफ
रुख किसी से छिपा नहीं है। तीन युद्धों में बुरी तरह मात खाने के बाद आतंकवाद के जरिये
बीते तीन दशक से छद्म युद्ध लड़ा जा रहा है। पाकिस्तान में लोकतंत्र के अस्तित्व को
जबरदस्त चुनौती है। देखें वहां लोकतंत्र मजबूत होता है या सेना ज्यादा हावी होती है।
-अनिल नरेन्द्र
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