Tuesday 22 August 2017

निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की न तो मजबूरी है न तुक

राजधानी दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस के मुद्दे पर स्कूल प्रशासन और दिल्ली सरकार आमने-सामने है। निजी स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी के मामले में दिल्ली सरकार ने स्टैंड ले लिया है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार का निजी स्कूलों का जबरन अधिग्रहण करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन उन्हें अधिक वसूली गई फीस अभिभावकों को वापस करनी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार राजधानी के सभी निजी स्कूलों का अकाउंट चैक करेगी। सरकार की कोशिश यह पता करने की होगी कि अदालत के आदेश पर स्कूलों ने अभिभावकों की फीस लौटाई या नहीं। शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों के खिलाफ आने वाली शिकायतों को सरकार गंभीरता से ले रही है। जल्द ही स्कूलों को नोटिस जारी किया जाएगा। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि इन स्कूलों ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए फीस बढ़ाई। बाद में यह माना गया था कि यह बढ़ोत्तरी वैध नहीं थी और इन स्कूलों को फीस वापस करने के लिए कहा गया था। लेकिन उन्होंने फीस नहीं लौटाई। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों के खातों की जांच के लिए दुग्गल कमेटी गठित की थी। वर्ष 2009 में फीस वृद्धि के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। इस पर 12 अगस्त 2011 को हाई कोर्ट ने जस्टिस अनिल देव कमेटी गठित कर सभी निजी स्कूलों की फीस सही है या गलत, इसकी जांच करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में मॉर्डन स्कूल बनाम भारत सरकार के मामले में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को सभी सरकारी व गैर सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों के खातों की हर साल जांच कराने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। स्कूलों के खिलाफ मनमानी करने की कानूनी लड़ाई 20 वर्ष पहले शुरू हुई थी। दिल्ली अभिभावक संघ ने आठ सितम्बर 1997 को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने अक्तूबर 1998 में फैसला देते हुए कहा था कि स्कूलों के खातों की जांच करना न सिर्फ सरकार का अधिकार है बल्कि जिम्मेदारी भी है। मनीष सिसोदिया ने बताया कि अनिल देव कमेटी ने 1108 निजी स्कूलों का अकाउंट चैक किया था। इसमें से 544 स्कूलों ने तय नियमों का उल्लंघन कर ज्यादा फीस ली थी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने फीस लौटाने का आदेश दिया था। 544 स्कूलों में से 95 स्कूल अलग-अलग श्रेणियों के होने से बाहर हो गए। इसके बाद बचे 449 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस दिया गया। वहीं अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि एक स्कूल ऐसा मिला जिसके पास 19 करोड़ रुपए का सरप्लस है, एक अन्य के पास पांच करोड़ का। ऐसे में फीस बढ़ाने का न तो कोई कारण है न तुक।

-अनिल नरेन्द्र

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