Wednesday 23 August 2017

इंफोसिस में सीईओ सिक्का के इस्तीफे से आया विशाल भूचाल

देश की सबसे दूसरी बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस में चल रही उथल-पुथल ने न केवल कंपनी के अंदर ही भूचाल ला दिया बल्कि देश के शेयर बाजार में भी भारी उथल-पुथल मचा दी। एनआर नारायणमूर्ति की अगुवाई में इंफोसिस के प्रमोटरों और कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का के नेतृत्व में निदेशक बोर्ड के बीच तनातनी पिछले एक साल से चल रही थी। लेकिन हाल ही में मूर्ति के एक ई-मेल ने इस तनाव को चरम पर पहुंचा दिया जिसको यह मीडिया को भी लीक कर दिया गया इससे हालात और खराब होते चले गए और अंतत विशाल सिक्का ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के चलते कंपनी के शेयरों में तेज गिरावट आई और एक दिन में ही निवेशकों के 30 हजार करोड़ रुपए डूब गए। कंपनी में 3.44 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले नारायणमूर्ति परिवार को भी 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस्तीफे के पीछे तीन-चार वजहें बताई जा रही हैं। सिक्का के पैकेज पर नारायणमूर्ति को शुरू से ही एतराज था। एक अगस्त 2014 को विशाल सिक्का ने सीईओ का पद संभाला। 2016 में सिक्का का पैकेज 70 हजार करोड़ करने पर मूर्ति को आपत्ति थी। कंपनी ने बताया कि यह पैकेज परफार्मेंस से जोड़ा है। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 15 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ा। पूर्व सीईओ राजीव बंसल को सेवरेंस पैकेज 17.8 करोड़ रुपए यानि दो साल की सैलरी जितना था। आरोप लगा कि इजरायली कंपनी पनामा ज्यादा कीमत पर ली। इसमें कंपनी अधिकारियों के हित हैं। मंत्री जयंत सिन्हा की पत्नी को निदेशक बनाने पर भी विवाद हुआ। मूर्ति-सिक्का विवाद टाटा-मिस्त्राr जैसा ही है। रतन टाटा से विवाद कर ग्रुप ने 2016 में पहले गैर टाटा चेयरमैन साइरस मिस्त्राr को हटा दिया था। इंफोसिस के गैर संस्थापक सीईओ सिक्का को भी मूर्ति से विवाद में इस्तीफा देना पड़ा। विशाल सिक्का का 2014-15 में 4.56 करोड़ रुपए का सालाना वेतन पैकेज था जो 2015-16 में 48.73 करोड़ रुपए कर दिया गया था। 2016-17 में कम बोनस के कारण सिक्का का पैकेज घट गया था। कैश कंपोनेंट 2015-16 के 48.73 करोड़ से 67 प्रतिशत घटकर 16.01 करोड़ रह गया। बोनस और स्टॉक मिलाकर उन्हें 45.11 करोड़ मिले जो पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत कम है। तीन साल पहले कंपनी का काम संभालने वाले विशाल सिक्का देश के सबसे ज्यादा वेतन (सालाना 48 करोड़ से ज्यादा) पाने वाले सीईओ थे। वे कंपनी के पहले ऐसे सीईओ थे जो संस्थापकों के समूह से ताल्लुक नहीं रखते थे। अमेरिका की स्टैन फोर्ड यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी 50 वर्षीय सिक्का ने निदेशक बोर्ड को पत्र में कहा, कुछ समय से मैं खुद पर लगाए जा रहे झूठे, बेबुनियाद और दुर्भाग्यपूर्ण आरोपों से आहत हूं। हालांकि उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया पर समझा जाता है कि इशारा नारायणमूर्ति की ओर है। सिक्का ने कहाöमेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप कई बार स्वतंत्र जांच में गलत पाए गए हैं, इसके बावजूद व्यक्तिगत हमले बंद नहीं हुए हैं। मजबूर होकर मुझे यह फैसला करना पड़ा। उधर कंपनी के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने कहा है कि वे कंपनी के निदेशक बोर्ड द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों से आहत हैं पर वे सही वक्त पर जवाब देंगे। इंफोसिस कंपनी अब आए इस भूचाल के डैमेज कंट्रोल में लग गई है। कंपनी के निदेशक मंडल ने शनिवार को 13,000 करोड़ रुपए तक के शेयरों को पुनर्खरीदने की योजना को मंजूरी दे दी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि पुनर्खरीद के लिए प्रति शेयर 1150 रुपए का भाव तय किया गया है। यह भाव कंपनी के शुक्रवार के बाजार बंद होने के 923.10 रुपए के भाव से करीब 25 प्रतिशत अधिक है। उधर अमेरिका की चार कानून कंपनियों ने इंफोसिस के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। उन्होंने इंफोसिस के निवेशकों की तरफ से इन संभावित दावों की जांच शुरू की है कि क्या कंपनी या उसके अधिकारियों एवं निदेशकों ने संघीय सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया है?

-अनिल नरेन्द्र

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