Wednesday, 2 August 2017

जेटली बनाम केजरीवाल बनाम जेठमलानी

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली बनाम मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल केस में नाटकीय मोड़ आ गया है। अब मामला जेटली बनाम केजरीवाल बनाम जेठमलानी बन गया है। बता दें कि दिसम्बर 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने डीडीसीए घोटाले में वित्तमंत्री अरुण जेटली पर गंभीर आरोप लगाए थे। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं की पूरी फौज केजरीवाल के सुर में सुर मिला रही थी। जिस पर अरुण जेटली ने केजरीवाल, आशुतोष, राघव चड्ढा, कुमार विश्वास के खिलाफ 10 करोड़ रुपए के मानहानि का केस कर दिया। इस बीच चुपके से दिल्ली सरकार ने केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी को करीब चार करोड़ रुपए सरकारी खजाने से देने का आदेश जारी कर दिया, जिसे उपराज्यपाल ने रोक दिया है। केजरीवाल ने अपनी पैरवी के लिए राम जेठमलानी की सेवा ली थी। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आदेश जारी कर दिया था कि राम जेठमलानी की फीस के रूप में करीब चार करोड़ का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाए और इसके लिए उपराज्यपाल से मंजूरी लेने की भी जरूरत नहीं है। दिल्ली के उपराज्यपाल की जानकारी में जब यह बात आई तो उन्होंने विधि विभाग से सलाह मांगी कि क्या ऐसा मुमकिन है। उसकी सलाह पर इसे रोक दिया गया। केस में दिलचस्प व चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब दिल्ली हाई कोर्ट में अरुण जेटली के क्रॉस एग्जामिनेशन में राम जेठमलानी ने उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया। अरुण जेटली के वकीलों ने राम जेठमलानी से सीधा सवाल किया कि क्या केजरीवाल ने उन्हें इन आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने को कहा है? जेटमलानी ने उत्तर दियाöहां, जेठमलानी के अनुसार अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें वित्तमंत्री अरुण जेटली को सबक सिखाने के लिए कई बार उनसे कहा था और भद्दे शब्दों का भी इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपने ब्लॉग पर अपनी वह चिट्ठी अपलोड की है जिसमें उन्होंने अरविन्द केजरीवाल को दो करोड़ रुपए वकालत की फीस जमा करने को कहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपने पत्र में केजरीवाल को दिल पर हाथ रखकर यह बताने को कहा है कि उन्होंने कितनी बार जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उन्हें सबक सिखाने को कहा। राम जेठमलानी ने लिखा है कि अचानक पिछले कुछ हफ्तों से मुझसे मुलाकात आपकी कम हुई है लेकिन आपके सहयोगी राघव चड्ढा और वकील अनुपम श्रीवास्तव इस मामले में मेरा सहयोग कर रहे थे। जेठमलानी ने कहा कि एक चीज तो निश्चित है कि मैं आपकी ओर से अब किसी मामले में जिरह नहीं करूंगा। आप दूसरे मुकदमे को छोड़िए, पहले केवल मुकदमे की राशि का भुगतान कर दीजिए। पूरा घटनाक्रम केजरीवाल के उस हलफनामे के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने जेठमलानी को जेटली के खिलाफ किसी आपत्तिजनक शब्द के इस्तेमाल के लिए कभी नहीं कहा था। केजरीवाल कहते हैं कि उन्होंने जेठमलानी को कभी अरुण जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करने को नहीं कहा तो सवाल है कि क्या जेठमलानी ने अपनी ओर से अदालत में इन शब्दों का इस्तेमाल किया? आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल तो हुआ है क्योंकि यह सब हाई कोर्ट की कार्रवाई में दर्ज है। जेठमलानी सत्य बोल रहे हैं या केजरीवाल? यह कैसे तय हो? पहले केस में मानहानि की रकम 10 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दी जाए या नहीं यह भी प्रश्न खड़ा है? दूसरे केस में आपत्तिजनक शब्दों के आधार पर जेटली ने जो 10 करोड़ रुपए का मानहानि का केस किया उसकी देनदारी जेठमलानी की बनती है या केजरीवाल की? फिर सवाल बतौर वकील राम जेठमलानी के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया कोई कार्रवाई कर सकती है या करेगी, क्योंकि यह प्रोफेशनल मिसकंडक्ट का केस लगता है? मामला जरा पेचीदा हो गया है। केजरीवाल ने एक जनसभा में यह कहा था कि भ्रष्टाचार को लेकर जनप्रतिनिधि के तौर पर अगर वह आवाज उठाते हैं तो उसकी फीस सरकार को ही देनी होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास वकील को फीस देने के लिए पैसे नहीं हैं। सुंदर नगरी स्थित कबूतर चौक पर आयोजित जनसभा में केजरीवाल ने लोगों से पूछा कि यह फीस उन्हें भरनी चाहिए या सरकार को? इस पर जनता ने कहाöसरकार को। आखिर केजरीवाल के वकील की फीस दिल्ली सरकार क्यों भरे, यह भी प्रश्न किया जा रहा है? क्या अरुण जेटली मानहानि मामला सीएम का सरकारी काम था? अब इस केस में कई मुद्दे खड़े हो गए हैं। देखें कि हाई कोर्ट क्या-क्या फैसले करता है?

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