Wednesday, 30 August 2017

सिर्फ 4 महीने में केजरीवाल ने बाजी पलट दी


चार महीने पहले हुए एमसीडी चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाने वाली आम आदमी पाटी ने बवाना विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत हासिल कर बाजी पलट दी। पिछले कुछ चुनावों में जीत से दूर रही आम आदमी पाटी के पॉजिटिव कैंपेन और विकास के मुद्दे पर हुए इस चुनाव के बाद पाटी कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ना स्वभाविक ही है। बवाना में बीजेपी को अब तक की सबसे बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा है। 1998 से लेकर अब तक कभी भी बीजेपी का वोट शेयर 30 फीसदी से कम नहीं रहा। बवाना उपचुनाव में बीजेपी के परंपरागत वोटर्स टूट गए और  बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरकर 27.2 फीसदी रह गया। यह आलम तब है, जब करीब 4 महीने पहले ही बीजेपी ने एमसीडी चुनाव जीता था और 36.18 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। कुछ महीने के अंदर ही बीजेपी का वोट प्रतिशत उसके हाथों से निकल गया। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि अध्यक्ष होने के नाते वह हार की जिम्मेदारी लेते हैं। बवाना उपचुनाव में आप उम्मीदवार रामचंद्र ने बीजेपी के वेद प्रकाश को 24,052 वोटो के बड़े अंतर से करारी शिकस्त दी। कांग्रेस पिछले कई चुनावों की तरह इस बार भी तीसरे नंबर पर रही। 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 7.87 फीसदी वोट मिले थे। बवाना में यह वोट शेयर बढ़कर अब 24.21 फीसदी हो गया है। यह कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर 4 महीनों में ही ऐसे कौन से समीकरण बनें कि आप ने बाजी अपने पक्ष में की और शानदार बहुमत के साथ जीत हासिल की। दरअसल जनता ने इस चुनाव के जरिए तोड़-फोड़ की राजनीति को करारा जवाब दिया है। आप की टिकट पर 2015 में जीत हासिल करने वाले वेद प्रकाश का इस्तीफा देकर भाजपा में जाना लोगों को पसंद नहीं आया। फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जी-जान से बवाना प्रचार में जुटना भी रंग लाया। आप का पॉजिटिव कैंपेन कर विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना पाटी के पक्ष में गया। बवाना चुनाव में नतीजों का वैसे आप सरकार पर कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि पाटी के 65 विधायक हैं। फिर भी आप के लिए यह जीत बहुत जरूरी थी। पंजाब, गोवा के बाद दिल्ली में राजौरी गार्डन उपचुनाव और एमसीडी चुनाव में पाटी को सफलता नहीं मिली थी। कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी बुरा असर पड़ा। पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। दावे किए जा रहे थे कि कई विधायक नाराज हैं और बवाना उपचुनाव के बाद वे भी कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। भाजपा हाईकमान को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि पाटी क्यों हारी।


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