Thursday 4 July 2024
क्या अवधेश डिप्टी स्पीकर बन सकते हैं
पहले लोकसभा स्पीकर को लेकर सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष में घमासान देखने को मिला। अब डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर एक और घमासान देखने को मिल सकता है। अब डिप्टी स्पीकर की पोस्ट के लिए इंडिया गठबंधन ने अपनी दावेदारी तेज करने का फैसला किया है। यह सुझाव तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी की ओर से आया है कि इंडिया गठबंधन का डिप्टी स्पीकर के पद के लिए फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद व अयोध्या के हीरो अवधेश प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया जाए। बता दें कि अभी तक एनडीए ने डिप्टी स्पीकार के नाम की घोषणा नहीं की है। पिछली लोकसभा में कोई डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। हालांकि परम्परा यही रही है कि स्पीकर अगर सत्तापक्ष का होता है तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को जाता है। पर सत्तापक्ष ने अभी तक डिप्टी स्पीकर पद के लिए अपना कोई निर्णय सार्वजनिक नहीं किया है। हो सकता है कि मोदी जी इस पद को भी अपने पास रखने या फिर अपने एनडीए के किसी सहयोगी को देना पसंद करें। इस बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जो आजकल मोदी जी के मुख्य वक्ता बने हुए हैं ने ममता बनर्जी से डिप्टी स्पीकर को लेकर बातचीत की। पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि मोदी जी हर जगह राजनाथ सिंह को आगे कर रहे हैं चाहे वह स्पीकर के पद की बात हो, एनडीए की बैठक हो। अमित शाह आजकल पीछे धकेल दिए गए हैं और सारी बातचीत राजनाथ सिंह ही कर रहे हैं। बहरहाल 78 वर्षीय अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से आते हैं और फैजाबाद जैसी महत्वपूर्ण सीट जिसमें अयोध्या भी आता है जीते हैं। पहले खबरें थीं कि कांग्रेस केरल से आठ बार के सांसद के. सुरेश को इस पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। टीएमसी, एसपी और कांग्रेस में बन रही रणनीति सूत्रों के मुताबिक तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी पहले ही इस पर चर्चा कर चुके हैं। अन्य सहयोगी दलों से भी इस पर बात की जा सकती है। प्रतिपक्ष को लगता है कि फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद एक अलग तरह के उम्मीदवार होंगे और उनकी उम्मीदवारी एक मजबूत संदेश देगी। प्रतिपक्ष के एक नेता ने कहा अवधेश प्रसाद की जीत भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे की हार का प्रतीक है, एक दलित नेता के रूप में एक सामान्य (जनरल कैटेगरी) सीट से उनकी जीत भी भारतीय इतिहास (राजनीतिक) में एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था। सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार संसद का पहला सत्र समाप्त होने से पहले उपसभापति की नियुक्ति के लिए कोई कदम नहीं उठाती है तो प्रतिपक्ष इस मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेगा। अवधेश पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के काफी करीबियों में रहे हैं। 1977 में पहली बार अयोध्या जनपद की सोहावल विधानसभा से चुने गए गए थे। इसके बाद अवधेश प्रसाद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे, अब देखना यह है कि मोदी जी अवधेश को स्वीकार करते हैं या नहीं? क्या वह अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे? एक दलित नेता को वह जो फैजाबाद (अयोध्या) से जीता हो उसका विरोध करना इतना आसान नहीं होगा। अगर करते हैं तो इसका गलत संदेश जनता में जाएगा।
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