Saturday, 20 July 2024

योगी पर बढ़ते वार क्या संकेत दे रहे हैं


लोकसभा चुनावों में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विरोधियों के हमले तेज हो गए हैं। बीते कई सालों से नेतृत्व परिवर्तन की आस लगाए बैठे भाजपा के एक फंडे को (केंद्र के इशारे पर) ये एक सुनहरे मौके की तरह दिख रहा है और वो मत चूको चौहान की तर्ज पर चौतरफा वार की मुद्रा में है। हालांकि योगी आदित्यनाथ न तो शिवराज सिंह चौहान की तरह है और न ही वसुंधरा राजे की तरह जो छुप कर बैठकर हमले झेलते हैं। योगी खेमे की ओर से इसका भरपूर मुकाबला किया जा रहा है और लोकसभा चुनावों में हार का ठीकरा केन्द्राrय नेतृत्व पर फोड़ा जा रहा है। हाल में संपन्न हुई प्रदेश भाजपा की कार्य समिति की बैठक से पहले और उसके दौरान दोनों धड़ो के एक-दूसरे पर हमले तेज होते दिखे। योगी विरोधी खेमे को मजबूती प्रदेश में सहयोगी दलों से भी मिल रही है जो योगी पर वार का कोई मौका फोड़ते नहीं दिख रहे हैं। हार के बाद भाजपा ने सीटवार समीक्षा की और हारे प्रत्याशियों सहित कार्यकर्ताओं से बात कर रिपार्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कई अन्य कारणों के अलारा भीतरघात प्रशासन के भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी, बेलगाम नौकरसाही सहित कई कारण योगी के खिलाफ बताए गए। हालांकि प्रत्याशियों के चयन, रणनीति में कमजोरी भर कार्यकर्ताओं में उत्साह की कभी को भी कारण बताया गया है। रिपोर्ट के आ जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में किसी ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली है और न ही आगे बढ़कर इस्तीफे की ही पेशकश की है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, प्रदेश प्रत्याशी धर्मपाल से लेकर सभी आला अधिकारी सहित मुख्यमंत्री अपनी जगह काम कर रहे हैं और हार का ठीकरा दूसरे के सर फोड़ने की कवायद में जुटे हैं। यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद योगी अपनों के वार से घिर गए हैं। भाजपा और एनडीए सहयोगी दल सवाल उठा रहे हैं। लोकसभा चुनावों में जिस तरह से अमित शाह ने कमान संभाली और हार के बाद जिस तरह से योगी खेमे उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कवायद में जुटा है। उससे भी रिश्ते में खटास बढ़ती जा रही है। कहा तो यह जा रहा है कि योगी को रास्ते से हटाने के लिए सारी कवायद की जा रही है ताकि मोदी बाद कौन का रास्ता साफ हो? यह संयोग नहीं कि अमित शाह के करीबी माने जाने वाले मुख्यमंत्री योगी से असहज रिश्ते रखने वाले दोनों उपमुख्यमंत्री हो या सहयोगी दलों के संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर हो अथवा हाल ही सपा से आकर व उपचुनाव हारकर भी मंत्री बनाए गए दारा सिंह चौहान हो, इन सभी से गर्मजोशी से अमित शाह से मिलते हुए तस्वीरें अक्सर प्रसारित होती है। भाजपा के खराब प्रदर्शन पर डिप्टी सीएम कैशर मौर्य ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा संगठन सरकार से बड़ा होता है। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं पहले कार्यकर्ता हूं। केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़कर देखा जा सकता है। सीट कम आने के बाद योगी और मौर्य में द]िरयां बढ़ गई हैं। वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे। केशव मौर्य को अमित साह का करीबी माना जाता है। जिस तरह से योगी पर हमले हो रहे हैं उससे तो यही लगता है कि केंद्र अब उन्हें हटाना चाहता है। देखना यह है कि विधानसभा के दस उपचुनाव से पहले हटाते हैं या बाद में?

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