Thursday 11 July 2024
जिस अंगुली को पकड़कर चले उसी को काट रहे हैं
जैसे-जैसे 2024 लोकसभा चुनाव के परिणामों का असर हो रहा है वैसे-वैसे अब भाजपा के अंदर बगावती सुर भी सुनाई पड़ने लगे हैं। जैसे ही परिणाम आए कि भाजपा 240 पर अटक गई असंतुष्ट नेता मुखर होते दिखाई दे रहे हैं। शायद वह इस मौके के इंतजार में थे कि केंद्र में मोदी-शाह जोड़ी थोड़ी कमजोर हो तो हल्ला बोलें। राजस्थान में उदयपुर पहुंची पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया ने एक ऐसा बयान दिया जिसकी सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई। सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित विशिष्ट जन सम्मान समारोह और व्याख्यान माला कार्यक्रम में वसुंधरा राजे संबोधित कर रही थीं। उस दौरान उन्होंने कहा कि सुंदर सिंह भंडारी ने चुन-चुन कर लोगों को भाजपा से जोड़ा। उन्होंने एक पौधे को वृक्ष बनाया। उन्होंने संगठन को मजबूत करने का काम किया। कार्यकर्ताओं को ऊंचा उठाने का काम किया। उन्होंने कहा कि भंडारी जी ने राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत सहित कितने ही नेताओं को आगे बढ़ने का अवसर दिया, लेकिन वफा का वह दौर अलग था। तब लोग किसी के लिए किए हुए को मानते थे, लेकिन आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़कर वह चलना सीखते हैं। अब वसुंधरा के इस बयान के बाद तमाम तरह के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि राजस्थान विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से वसुंधरा राजे और पार्टी नेतृत्व के बीच तल्खी देखने को मिली थी, उसकी गांठ खुलने लगी है। चुनाव के दौरान मन में जो कसक थी, वो अब धीरे-धीरे बयानों के जरिए सामने आ रही है। कार्यक्रम में असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी मौजूद रहे। राजे ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया ने चुन-चुनकर लोगों को भाजपा से जोड़ा है। कटारिया अब असम के महामहिम हैं, लेकिन वह दूर रहकर भी हम लोगों के पास हैं और ख्याल रखते हैं। दरअसल राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर वसुंधरा राजे और गुलाबचंद कटारिया के बीच भी तल्खी की खबरे सामने आ आई थीं। इसके अलावा चुनावी नतीजों के बाद पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे को नजरदांज करके पर्चे के माध्यम से भजनलाल शर्मा को राज्य के सीएम की कुर्सी सौंप दी थी। ऐसे में दबे स्वर में ही सही भाजपा शीर्ष नेतृत्व और वसुधंरा राजे के बीच मनमुटाव की खबरे गाहे-बिगाहे सुर्खियां बनती रही हैं। अभी तो यह शुरुआत है आगे देखते रहिए होता है क्या-क्या? पूरी पार्टी के अंदर बहुत से नेताओं और कार्यकर्ताओं का नेतृत्व को लेकर असंतोष है पर भय के वातावरण से वह चुप बैठे हैं। मौका मिलते ही और कई नेताओं के विरोधी स्वर सुनने को मिल सकते हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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