Saturday 27 July 2024

संघ की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे

लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में बढ़ी दूरियां और अंदरूनी खटपट और बयानबाजी पर केन्द्र सरकार ने मरहम लगाने की कोशिश की है। केन्द्र ने आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियें में भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने सरकारी आदेश को वापस ले लिया है। सरकार के इस फैसले पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू होना स्वाभाविक ही था। इस फैसले को भाजपा की भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उसे अपने राजनीतिक अभियान में संघ के पूर्ण सहयोगी की ज्यादा जरूरत है। राजनीतिक दृष्टि से यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से भाजपा और आरएसएस में दूरी बन रही थी और परोक्ष रूप से एक दूसरे पर तंज कसे जा रहे थे। लोकसभा चुनाव में भी आरएसएस की तरफ से भाजपा के लिए पूरी ताकत से काम न करने का मुद्दा भी उठा था, जिसका काफी नुकसान भाजपा को हुआ था। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का संघ पर दिया बयान भी संघ को रास नहीं आया था। संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेडकर ने कहा, इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी। सरकार का ताजा फैसला उचित है। संघ पिछले 99 वर्षों से राष्ट्र निर्माण एवं समाज की सेवा में सक्रिय है। राष्ट्रीय सुरक्षा एकता, अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर चलने में संघ का योगदान रहा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाकर इन कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक वाले 1966 के आदेश को बदल दिया है। खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया कि 1947 में आज ही के दिन भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था और सरदार पटेल ने उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी भी दी थी। 4 फरवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 58 साल बाद सरकारी कर्मचारियों पर संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर 1966 में लगा प्रतिबंध हटा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में भाजपा ने सभी संवैधानिक और स्वामंत संस्थाओं पर संस्थागत रूप से कब्जा करने के लिए आरएसएस का उपयोग किया है, प्रतिबंध हटाकर सरकारी दफ्तरों में लोकसेवकों के निष्पक्षता और संविधान के सर्वोच्चता के भाव के लिए चुनौती होगा। उन्होंने दावा किया कि सरकार संभवत ऐसे कदम उठा रही है क्योंकि जनता ने उसके संविधान बदलने की कुटिल मंशा को चुनाव में परास्त कर दिया। यह भी कहा जा रहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में संघ के कार्यकर्ताओं को खुलकर भाजपा का समर्थन करने हेतु यह कदम उठाया जा रहा है। संघ को नाराज करने का खामियाजा तो भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों से देख ही लिया है। घटती लोकप्रियता को अब संघ का ही सहारा है। -अनिल नरेन्द्र

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