Tuesday, 23 July 2024

10 सीटें... 30 मंत्रियों की तैनाती


लोकसभा चुनाव में निराशाजनक नतीजों से सबक लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए 30 मंत्रियों को प्रभारी बनाया है। सीएम योगी ने बुधवार को इन मंत्रियों के साथ मंथन किया और सभी सीटें जीतने का लक्ष्य दिया। यह उपचुनाव विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनने और अन्य कारणों से होने है। अभी इनमें से 5 सीटें राजग तो 5 सीटें सपा के पास हैं। अब भाजपा के सामने यहां बेहतर प्रदर्शन कर संगठन को लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की हताशा से उभारना एक बड़ी चुनौती है तो सीटों के समीकरण उतने ही जटिल हैं। उत्तर प्रदेश के फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी और कुंदरकी के विधायक सांसद बने हैं। यह नौ सीटें इस तरह रिक्त हुई और दसवीं सीट शीशामऊ सपा के विधायक इरफान सोलंकी की आपराधिक मुकदमें में सदस्यता रद्द होने के कारण हुई है। इस सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन इनके लिए तैयारी मुख्य विपक्षी दलों सपा-कांग्रेस के साथ सत्तारुढ़ भाजपा ने भी शुरू कर दी है। सपा ने लोकसभा चुनाव में तो आशातीत प्रदर्शन किया लेकिन अब उपचुनाव में प्रदर्शन दोहराकर यह साबित करने की चुनौती है कि लोकसभा में जो नतीजे आए उसका ठोस आधार भी है। जबकि भाजपा के पास उपचुनावों के माध्यम से कार्यकर्ताओं को ऊर्जावान करने का मौका है। मैनपुरी की करहल सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक थे। यह सीट सपा का अभेद्य दुर्ग मानी जाती है। फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। अयोध्या में भाजपा को परास्त करने वाले अवधेश प्रसाद की इस सीट पर भाजपा को बल दिखाना पड़ेगा। भाजपा ने इस सीट को जीतने के उद्देश्य से प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) सूर्य प्रताप शाही, प्रभारी (राज्यमंत्री) मयंकेश्वर सिंह, प्रभारी (राज्यमंत्री), गिरीश यादव और प्रभारी (राज्यमंत्री) सतीश शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं कानपुर की शीशामऊ सीट पर मुस्लिम आबादी अधिक है। प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट पर भाजपा के लिए लड़ाई थोड़ी आसान लगती है। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट व मिर्जापुर की मझवां में भी सामाजिक समीकरण साधने होंगे। इन विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की तो प्रतिष्ठा दांव पर है पर साथ-साथ इसमें योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। विश्लेषकों का कहना है कि यह योगी का लिटमस टेस्ट है। उन्हें इस बार टिकटे बांटने से लेकर पूरा चुनाव अभियान चलाने की खुली छूट दी गई है। अगर भाजपा इन उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती तो दिल्ली की गुजरात लॉबी को योगी को हटाने का अवसर मिल जाएगा। उधर कांग्रेस ने तय किया है कि लोकसभा चुनाव की तरह इन उपचुनावों में भी सपा के साथ गठबंधन में लड़ेंगे। गठबंधन को प्रदेश की 80 सीटों में से 43 सीटें मिली थीं, जिसमें से 37 सीटें सपा और 6 कांग्रेस को मिली थी। योगी ने प्रभारियों से कहा है कि आप सप्ताह में कम से कम दो दिन उसी क्षेत्र में रात्रि प्रवास करेंगे। बूथ स्तर पर संवाद कर उनकी समस्याओं का निस्तारण करने के भी निर्देश दिए गए हैं। लगता है कि बाबा ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है।

-अनिल नरेन्द्र

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