बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग पिछले कई वर्षों से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक मुद्दा बनी हुई है। केंद्रीय बजट के करीब आने के साथ, एक बार फिर से यह मांग जोर पकड़ने लगी है। नीतीश कुमार के करीबी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस मांग को अपनी पार्टी और एनडीए घटक दलों के सुर में सुर मिलाते हुए मजबूती से उठाया है। इससे पहले एनडीए में शामिल चिराग पासवान और जीतनराम मांझी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की वकालत कर चुके हैं। कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि केन्द्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग की जाएगी। जद ए की नेता नीरज कुमार ने बताया कि कार्यकारिणी में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। पहला राजनीतिक और दूसरा संगठनात्मक। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यसभा में पार्टी के दल के नेता संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिहार को एक विशेष पैकेज देने के विकल्प पर भी विचार कर सकती है। कार्यकारी अध्यक्ष पद पर अपनी नियुक्ति के बाद संजय झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार पर हमेशा ध्यान देते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बिहार को विशेष दर्जा या पैकेज देने की मांग पूरी होगी। जद यू यह भी तय कि या कि राज्य सरकार जाति आधारित गबला पर आरक्षण के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। साथ ही मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के विकास के लिए विशेष पैकेज के लिए केन्द्र पर दबाव डालेंगे। स्पेशल कैटिगरी वाले राज्यों को केन्द्र से ज्यादा वित्तीय मदद मिलती है। इन राज्यों में केंद्रीय योजनाओं के लिए 90 प्रतिशत फंड केंद्र देता है। और 10 प्रतिशत फंड ही राज्य को देना होता है। दूसरे राज्यों में यह रेशियो 60ः40 का होता है। विशेष दर्जे वाले राज्यों को कुछ प्रोजेक्स में अलग से भी मदद मिलती है। 14वें फाइनेंस कमीशन ने सोशल कैटिगरी लिस्ट में और राज्यों को न जोड़ने की सलाह दी थी। इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट के सीनियर इकानिमिस्ट डॉ. सारथी आचार्य कहते हैं, बिहार में पिछले 3 दशकों से गवर्नेस ठीक नहीं है। जब तक गर्वनेस ठीक नहीं होगा, स्पेशल स्टेटस देने पर स्पेशल पैकेज देने से बात ही बनने वाली आंध्र प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व हैदराबाद से मिलता था और वह हाथ से चला गया। लिहाजा उसे स्पेशल स्टेटस की जरूरत है। वरिष्ठ अर्थशास्त्रों अभिजीत मुखोपाध्याय का कहना है, स्पेशल इकनॉमिक्स डेवलपमेंट के पैमाने पर बिहार, बंगाल व ओडिशा की मांग जायज है, आंध्र पिछड़ा नहीं है। विभाजन के बाद तेलंगाना को मदद की जरूरत ज्यादा है। केन्द्र पर अधिक वित्तीय बोझ नहीं आएगा क्योंकि टैक्स रेवेन्यू रफ्तार से बढ़ रहा है। ऐसे में जो राज्य पिछड़ रहा हो, उसकी मदद की जिम्मेदारी केंद्र की है क्योंकि वह सबका अभिभारक है।
-अनिल नरेन्द्र
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