Tuesday 16 July 2024
बड़े किसान आंदोलन की तैयारी
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एनएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपेंगे। वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की। इस बार शायद संगठन दिल्ली कूच नहीं करेंगे। एसकेएम में अलग-अलग किसान संगठन शामिल हैं। संगठन के नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री विपक्ष के नेता और राज्यसभा तथा लोकसभा के सदस्यों से मुलाकात करने तथा उन्हें किसानों की मांगों से संबंधित ज्ञापन सौपेंगे। इसके लिए 16 से 18 जुलाई के बीच का समय मांगा जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या किसान फिर से दिल्ली कूच करेंगे। एसकेएम नेताओं ने कहा कि इस बार वे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, विशेष रूप से महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि हर बार विरोध का एक ही तरीका इस्तेमाल करना जरूरी नहीं है। हम पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे। एसकेएम नेताओं ने दावा किया कि किसान आंदोलन का ही असर है कि हालिया लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विभिन्न राज्यों में 159 ग्रामीण बहुल क्षेत्रों में संसदीय सीटों में हार का सामना करना पड़ा। संवाददाता सम्मेलन के बाद जारी किए गए बयान में एसकेएम ने कहा, आम सभा में भारत सरकार और कृषि विभाग के सचिव द्वारा हस्ताक्षरित नौ दिसम्बर 2021 के समझौते को लागू करने और किसानों की आजीविका को प्रभावित करने वाली अन्य प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। संगठन ने कहा कि नौ अगस्त को एसकेएम अपनी मांगों के समर्थन में देशभर में प्रदर्शन करके भारत छोड़ो दिवस को कारपोरेट भारत छोड़ो दिवस के रूप में मनाएंगे। एसकेएम ने मांग रखी है कि भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए। एसकेएम ने यह भी कहा कि 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के सम्म्मान में दिल्ली की टिकरी और सिंधू बॉर्डर पर मेमोरियल बनाए जाने चाहिए। इन बॉर्डरों पर आंदोलनकारियों ने अपने आंदोलन के हिस्से के रूप में एक साल से अधिक समय तक डेरा डाला था। साथ ही 2021 में उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के मुआवजे के लिए भी दबाव डाला था। बुधवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को सिंधू बॉर्डर खोलने का आदेश दिया है। हमारा मानना है कि हम कृषि प्रधान देश हैं इसलिए किसानों की जरूरतों और मांगों की अनदेखी नहीं की जा सकती। मगर उन्हें भी इस विरोध से बचना चाहिए। अड़ियल रुख दिखाने की बजाए सरकार को भी छोटे किसानों के हितों की रक्षा में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
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