Thursday 19 January 2012

यूपी में होगी सोशल इंजीनियरिंग की असली परीक्षा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 19th January  2012
अनिल नरेन्द्र
उत्तर प्रदेश चुनाव में हर सियासी पार्टी का तथाकथित सोशल इंजीनियरिंग की परीक्षा होगी। बसपा प्रमुख मायावती ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 403 प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए गिनाना शुरू कियाöअनुसूचित जाति 88, ओबीसी 113, ब्राह्मण 74 तथा 33 ठाकुर आदि-आदि। बसपा की ओर से अपनी सूची में जाति का ब्यौरा देना कोई नई बात नहीं है। नई बात यह रही कि बहन जी की प्रेस कांफ्रेंस के कुछ घंटों बाद ही भाजपा की प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने भी ब्यौरा पेश किया कि अब तक जारी भाजपा की सूची में कितने अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) व अनुसूचित जातियों के हिस्से गई हैं। यह बानगी इसलिए कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का यह चुनाव हर दल की अपनी-अपनी सोशल इंजीनियरिंग और काफी हद तक मंडलवाद के विस्तारित अध्याय को आजमाने की परीक्षा का मैदान ही साबित होने जा रहा है। कांग्रेस पर गौर फरमाएं। राहुल गांधी की कमान वाले युग में पार्टी ने अब तक घोषित 325 प्रत्याशियों में 87 ओबीसी के खाते में दिए हैं। समाजवादी पार्टी की बैल्ट मानी जाने वाली मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद में पार्टी ने सपा से खफा होकर निकले यादवों को टिकट से नवाजा है। यह मंडलवाद का ही असर माना जाएगा कि अब तक घोषित 325 प्रत्याशियों में अगड़ों (खासकर ब्राह्मणों) की पार्टी मानी जाने वाली कांग्रेस ने अभी तक सिर्प 39 ब्राह्मणों को ही टिकट दिया है। ठाकुरों के खाते में 51, अनुसूचित जाति के खाते में 82 और मुस्लिमों को अब तक 52 टिकट दिए गए हैं। संकेत साफ है कि पिछड़ी जातियों के वोटों के लिए घमासान चरम पर है। तभी तो भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी पार्टी के आंकड़े देते हुए गर्व बोध के साथ बताया कि अब तक घोषित 381 प्रत्याशियों में पिछड़ों को 123 और अनुसूचित जाति के 83 प्रत्याशी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी ने भी टिकट बंटवारे में अपनी सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है। पार्टी लगभग 400 सीटों के प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और इसमें अपने वोट बैंक मुस्लिम-पिछड़ों का भरपूर ध्यान रखा गया है। पार्टी ने 80 मुसलमानों को मैदान में उतारा है।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता पर अकसर नुक्ताचीनी होती है पर एक ताजा सर्वेक्षण हुआ है। अमर उजाला, सी वोटर, इंडिया टीवी के दूसरे दौर के ओपिनियन पोल के मुताबिक यूपी में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी में कांटे की टक्कर नजर आ रही है। पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है जबकि उत्तराखंड में बसपा किंग मेकर बनने की राह पर है। सर्वे नतीजों के मुताबिक यूपी में बसपा अब तक अनुमानित 145 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। सपा 138 सीटों और कांग्रेस 48 सीटों के साथ तीसरा स्थान पक्का कर रही है। भाजपा को अब तक 41 सीटें मिलने का अनुमान है। भाजपा को चौथे स्थान पर धकेलकर कांग्रेस किंग मेकर होने की ताकत जरूर हासिल करती दिख रही है। प्रदेश का सवर्ण कांग्रेस और भाजपा के साथ दिख रहा है। कुशवाहा प्रकरण से भाजपा को हुए नुकसान का फायदा उठाने में कांग्रेस कामयाब हो रही है। मुस्लिम या तो सपा के साथ हैं और जहां सपा कमजोर है वहां कांग्रेस के साथ हैं। मूर्ति प्रकरण से बसपा के दलित वोटर एकजुट हुए हैं। उत्तराखंड में पार्टी की कलह चलते कांग्रेस ने अपनी शुरुआती बढ़त खो दी है। यूपी के उलट यहां कांग्रेस का खेल खराब कर बसपा किंग मेकर बनती दिख रही है। मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की अच्छी छवि का फायदा भाजपा को होता दिख रहा है लेकिन वह पार्टी को बहुमत के आंकड़े तक शायद ही ले जाए। कुल मिलाकर दिलचस्प स्थिति बनी हुई है। देखें यूपी में सोशल इंजीनियरिंग कितना कारगर सिद्ध होता है। अर्थात् किस पार्टी का जातीय समीकरण फिट बैठता है।
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