Thursday 12 January 2012

कैमरे से गया सवाल और ब्लू टूथ से आया जवाब

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 12th January  2012
अनिल नरेन्द्र
हर अविष्कार के दो पहलू होते हैं, अच्छा और बुरा। उदाहरण के तौर पर जब एटम स्पिल्ट किया गया था तो उसका लाभ ऊर्जा पैदा करने में भी लगा और एटम बम बनाने में भी हुआ। यह निर्भर करता है तकनीक का इस्तेमाल करने राले पर और उसके उद्देश्य पर। मैंने तो कम से कम यह कल्पना भी नहीं की थी कि एक परीक्षा में इसका ऐसे भी इस्तेमाल हो सकता है जैसे राजधानी दिल्ली में एम्स की ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल परीक्षा में हुआ। पुलिस ने रविवार को इस हाइटैक चीटिंग गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इस मामले में एक डाक्टर (परीक्षार्थी), दो एमबीबीएस धारक, एक एमबीबीएस (द्वितीय वर्ष) छात्र और एक स्नातक युवक को गिरफ्तार किया है। पुलिस उपायुक्त अशोक चांद के अनुसार मात्र 30 मिनट में परीक्षा का पर्चा लीक हो गया था। गैंग ने हर छात्र से 25 से 30 लाख रुपये लेकर आधा दर्जन छात्रों का पर्चा हल कराया था। चांद के अनुसार देश के सरकारी कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट की 50 फीसदी सीटों को भरने के लिए एम्स द्वारा पीजी मेडिकल प्रवेश परीक्षा 2012 का रविवार को आयोजन किया गया था। इसके लिए 15 राज्यों में 156 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इन केंद्रों में करीब 70 हजार छात्र बैठे थे परीक्षा देने। एमओएस इंस्पैक्टर राजेश कुमार ने गुप्त सूचना पर प्रगति मैदान के पास जाल बिछाकर बुलंदशहर के मोहित चौधरी (23) को गिरफ्तार कर 23 पेज की बुकलेट बरामद कर ली। मोहित ने बताया कि उसके दो साथियों ने नोएडा सैक्टर-28 स्थित परीक्षा केंद्र से पर्चा लीक किया। इसके बाद पुलिस ने जेवर के कपिल कुमार और कृष्ण प्रताप को दबोच लिया। इनसे दो हाइटैक मोबाइल, ब्लू टूथ डिवाइस लगी दो शर्ट और ईयर फोन बरामद हुआ।
एम्स की पीजी प्रवेश परीक्षा का पर्चा लीक करने वाले इस गिरोह का सिस्टम इतना हाइटैक और फुल प्रूफ व तेज था कि पूरे पेज को लीक करने में इन्हें मात्र 23 मिनट लगे थे। एक मिनट में एक पेज स्केन होकर मेल से ऑटोमैटिक इनके पास कंट्रोल रूम में पहुंच जाता था। बुकलेट के एक पेज स्केन और मेल करने में एक सैकेंड का समय लगता था। इस हिसाब से आधा घंटे में पूरा पेपर उनके हाथ में था। प्रवेश परीक्षा दस बजे शुरू हुई और साढ़े दस बजे पेपर इनके पास था। उज्जैन स्थित मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहा मोहित चौधरी इस गिरोह का मास्टर माइंड था। मोहित ने कपिल कुमार और कृष्ण प्रताप को फर्जी डाक्टर दिखाकर फर्जी कागजात के जरिये परीक्षा का प्रवेश पत्र हासिल किया था। इनके हाथों में कलाई के नीचे हाइटैक मोबाइल कैमरा लगा हुआ था। जब प्रश्न पत्र की बुकलेट इनके पास आई तो इन्होंने इस कैमरे में उसके पेजों को स्केन कर लिया। यह ब्लू टूथ तकनीक से लेस ऐसा फोन था कि जैसे ही पेज स्केन होता था कंट्रोल रूम में बने मेल पर चला जाता था। कंट्रोल रूम में भीष्म सिंह (एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर) मेल के प्रिन्ट निकाल लेता था। प्रिन्ट निकालकर भीष्म सिंह कुछ एक्सपर्टों की मदद से प्रश्नों का तुरन्त हल करने में परीक्षार्थी (डाक्टर) के ईयर फोन पर उत्तर बता देते थे। परीक्षार्थियों ने भी शर्ट की कालर में ब्लू टूथ छिपाकर कॉलर सिलवा रखा था। सारा पेपर मात्र 30 मिनट में साल्व हो जाता था। देखिए कहां जाकर इन लोगों ने दिमाग लगाया और इस आधुनिक वायरलेस तकनीक का लाभ उठाया। अपने आप में यह अनूठा प्रयोग है और अब भारत में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में परीक्षा लेने वाले अधिकारियों को इसको ध्यान में रखना होगा और ब्लू टूथ जैसे डिवाइस परीक्षा केंद्र में ले जाने पर बैन लगाना होगा। इसे कहते हैं ईवल जीनियस।
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