अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ऐसा बयान दे दिया है जिससे उनकी अपनी पार्टी और सरकार ही कटघरे में खड़ी हो गई है। उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कांग्रेसी जद्दोजहद में आखिरकार नई दिल्ली का बटला हाउस एनकाउंटर का जिन्न बोतल से बाहर निकल ही आया। दिग्विजय सिंह का प्रोजेक्ट आजमगढ़ बुधवार को उस समय फ्लाप हो गया, जब मुस्लिम युवकों के जबरदस्त विरोध के बाद उन्हें बिना रैली किए वहां से भागना पड़ा। इस घटनाक्रम से असहज दिग्विजय सिंह ने कहा कि बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था लेकिन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का मानना है कि एनकाउंटर जायज था। इस वजह से हमने इस बात को आगे नहीं बढ़ाया। दिग्विजय ने यह बयान उसी आजमगढ़ में दिया जो इस एनकाउंटर के बाद आतंक की नर्सरी के रूप में प्रचारित किया जाने लगा था। इसी यात्रा में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी को आमजगढ़ के शिब्ली कॉलेज से बिना रैली किए वापस जाना पड़ा। उलेमा काउंसिल कार्यकर्ताओं ने वर्ष 2008 में दिल्ली में हुए बटला हाउस मुठभेड़ कांड की जांच की मांग करते हुए शिब्ली कॉलेज के द्वार पर नारेबाजी की और राहुल गांधी का पुतला तक जलाया। राहुल शिब्ली कॉलेज के अतिगृह में ही ठहरे थे। काउंसिल के अध्यक्ष ने इस बारे में बताया कि उन्होंने राहुल को पहले ही आगाह किया था कि अगर राहुल बटला हाउस की वांछित जांच हुए बगैर आजमगढ़ आए तो उन्हें शहर में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा। दिग्विजय ने फिर दोहराया कि मैं मानता हूं कि बटला मुठभेड़ फर्जी थी, लेकिन प्रधानमंत्री व गृहमंत्री इसे जायज मानते हैं, इसलिए हमें अपनी जांच की मांग को छोड़ना पड़ा। सीधे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को कठघरे में खड़ा करके उत्तर प्रदेश में भले ही दिग्विजय ने अपने समीकरण साधे हों, लेकिन केंद्र में कांग्रेस इससे असहज जरूर होगी। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने अल्पसंख्यक आरक्षण को दोगुना करने की घोषणा कर खुद को और सरकार दोनों को परेशानी में डाल दिया है। आजमगढ़ में मुसलमानों ने दिग्विजय सिंह की इस सफाई को कितना सच माना यह तो नहीं पता लेकिन उन्होंने अपनी ही सरकार के दोनों शीर्ष सरदारों को जरूर कठघरे में खड़ा कर दिया। यूपी चुनाव के चलते मुसलमानों को खुश करने के लिए दिग्विजय सिंह ने मनमोहन सिंह और पी. चिदम्बरम को क्यों निशाना बनाया? इस पर कांग्रेस ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस पहले ही इस मुठभेड़ पर अपनी राय दे चुकी है। नए प्रकरण पर उसे कुछ नहीं कहना। दरअसल कांग्रेस पार्टी दिग्विजय के इस बयान से बुरी तरह फंस गई है। इधर कुआं तो उधर खाई। न तो वह दिग्विजय सिंह की खिलाफत कर सकती है, क्योंकि उनके सिर पर राहुल गांधी का हाथ है और न ही अपने मनमोहन, चिदम्बरम जैसे सरीखे नेताओं के विरोध में जा सकती है। इसी तरह मुसलमानों को खुश करने के लिए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का बयान भी विवादों में आ गया है। उन्हें चुनाव आयोग का नोटिस भी मिल गया है। लेकिन राजनैतिक नुकसान यही है कि पिछड़ों पर दांव लगा रही कांग्रेस के खिलाफ यह बात जा सकती है, क्योंकि यदि अल्पसंख्यकों का कोटा दोगुना होता है तो इससे पिछड़े वर्ग का हक मारा जाएगा। लिहाजा पार्टी के लिए उनका बयान भी गले की फांस बन गया है।
Anil Narendra, Batla House Encounter, Daily Pratap, Digvijay Singh, State Elections, Uttar Pradesh, Vir Arjun
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