Tuesday 24 January 2012

उत्तर पदेश चुनाव में बाहुबलियों के मामले में सबका दामन दागदार

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 24th January  2012
अनिल नरेन्द्र
निर्वाचन आयोग चाहे जितने भी कानून बनाए, उत्तर पदेश विधानसभा चुनावों में इन बाहुबलियों को नहीं रोक सकता। यह कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। इन बाहुबलियों का अंतिम उद्देश्य शायद एक विधायक बनना होता है और ऐसा करने के लिए पहले तो वह बड़ी सियासी दलों को टटोलते हैं। जब उसे वहां जगह नहीं मिलती तो वह कोई छोटा दल ढूंढता है क्योंकि उसे उस दल के बूते पर तो चुनाव जीतना नहीं उसे तो वह उस पार्टी का चुनाव चिह्न चाहिए। ऐसा ही एक दल है अपना दल। इस दल से ही इलाहाबाद के अतीक अहमद की माननीय बनने का सपना पूरा हुआ था। यह बात दीगर है कि इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी उन्हें अपने यहां जगह देकर लोकसभा तक पहुंचाया और वह भी पंडित जवाहर लाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र से। 2004 में अपना दल के संस्थापक सोने लाल पटेल ने बबलू श्रीवास्तव को सीतापुर से अपना दल का उम्मीदवार बनाया था। यही नहीं, उनकी किताब `अधूरा ख्वाब' का लोकार्पण भी पटेल ने किया था। अब जब दूसरे माफिया मुन्ना बजरंगी को माननीय बनने की ख्वाहिश हुई है तब उनके ख्वाब को भी अपना दल ही पंख लगा रहा है। मुन्ना बजरंगी जौनपुर से अपना दल के उम्मीदवार हैं। अतीक अहमद फिर एक बार इलाहाबाद से अपना दल के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। कुछ यही स्थिति पीस पार्टी की भी है। कांग्रेस पदेश अध्यक्ष डॉ. रीता जोशी का घर जलाने के आरोपी जितेन्द्र सिंह बबलू को पीस पार्टी के अपने यहां जगह दी थी। मायावती बाद में उन्हें निकाल पाईं। अब वह बीकापुर से मैदान में है। यही नहीं, अपने बूते पर सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतते आ रहे अखिलेश सिंह को भी पीस पार्टी में न केवल राजनीतिक शरण मिली बल्कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का ओहदा भी दे दिया गया। दागियों को चुनाव से दूर रखने की बात सभी दल करते हैं पर इस पर अमल धेले का नहीं होता है। वाराणसी के अजय राम पख्यात बाहुबली हैं। यह पहले भाजपा में थे। लोकसभा में चुनाव का टिकट नहीं मिला तो समाजवादी पार्टी में चले गए। इस बार वह वाराणसी की पिडरा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। निर्दलीय उम्मीदवार रघुराज पताप सिंह उर्प राजा भैया समाजवादी पार्टी के करीब है। इस बार टुंडला सीट से फिर चुनाव लड़ रहे हैं। रायबरेली जिले से उम्मीदवार मोहम्मद मुस्लिम के खिलाफ मारपीट, बलवा जैसे मामले दर्ज हैं। सपा में भी दागियों की कमी नहीं। मित्रसेन यादव को हाल ही में अदालत से एक मामले में सजा हुई है। यादव के बेटे आनंद सेन यादव एक दलित छात्रा के दुष्कर्म और हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। सपा ने मित्रसेन को फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। बाहुबली अभय सिंह भी फैजाबाद की गोसाईगंज सीट से सपा के उम्मीदवार हैं। गुड्डू पंडित और विनोद सिंह उर्प पंडित सिंह भी सपा के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। लिस्ट बहुत लंबी है, किस-किस की कहानी बताएं। चुनाव हर हाल में जीतने की चाह में सभी दल यह नहीं देखते कि वह किस व्यक्ति को टिकट दे रहे हैं , उसका चरित्र क्या है और रिकार्ड क्या है? यही वजह है कि राजनीति में अपराधिकरण बढ़ता जा रहा है। चुनाव आयोग क्या करे जब यह सियासी दल खुद ही इससे परहेज नहीं करते हैं?
Anil Narendra, Crime, Criminals, Daily Pratap, State Elections, Uttar Pradesh, Vir Arjun

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