आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा के प्रमुख प्रचारक कौन-कौन होंगे लोगों की इस पर भी दिलचस्पी बनी हुई है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में। मिशन-2012 फतह पर देवभूमि उत्तराखंड व यूपी में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद पार्टियां अब चुनावी प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की सूची बनाने में लग गई हैं। जाहिर है कि श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी खास अट्रैक्शन होंगे। मुस्लिम मतदाताओं को पटाने के लिए सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह, राशिद अलवी, रशीद मसूद का इस्तेमाल हो सकता है। पता नहीं प्रधानमंत्री भी जाएंगे या नहीं? इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान के मुख्यमंत्रियों का भी इस्तेमाल हो सकता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं। युवाओं को आकर्षित करने के लिए राहुल के साथ सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद भी जनता को संबोधित कर सकते हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, एलके आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली मुख्य प्रचारक हो सकते हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अटकलें जोरों पर हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में भी कहा जा रहा है कि वह यूपी में तो जरूर प्रचार के लिए आएंगे। नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी सियासत में एक-दूसरे से नजरें मिलाने से भी परहेज करते हैं लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में दोनों आमने-सामने होंगे। भाजपा द्वारा प्रतिष्ठाजनक सीटें नहीं दिए जाने के कारण पहले नीतीश ने उप्र चुनाव से अलग रहने का फैसला लिया था, लेकिन अब जबकि उनकी पार्टी जद (यू) सभी 403 सीटों पर अकेले लड़ने के प्रयास में है तो चुनाव प्रचार के लिए उनका यूपी आना तय-सा माना जा रहा है। उधर भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को अपने स्टार प्रचारक के तौर पर पेश करने का निर्णय लिया है। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शर्त को कबूल कर लिया था और प्रचार के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिहार नहीं आने दिया था। मोदी की छवि कट्टरवादी हिन्दू नेता की रही है। इस कारण नीतीश उनसे परहेज करते हैं। नीतीश को अल्पसंख्यकों का भारी समर्थन मिलता रहा है और वह किसी कीमत पर इस जनाधार को खोना नहीं चाहते। पूर्व में एनडीए के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में नीतीश और मोदी आमने-सामने एक मंच पर आए थे। दोनों नेताओं के साथ वाली तस्वीर से सियासत में तूफान खड़ा होता रहा है। भाजपा की राष्ट्र कार्यकारिणी की बैठक के दौरान इस तस्वीर के छपने पर नीतीश इतने नाराज हो गए कि उन्होंने भाजपा की रैली में शिरकत करने से मना कर दिया। यही नही नीतीश ने गुजरात सरकार को वह पांच करोड़ भी लौटा दिए जो बाढ़ राहत के लिए मोदी ने भेजे थे। हालांकि अब भी बिहार में दोनों पार्टियों का गठबंधन कायम है। इन दोनों राजनीतिज्ञ प्रतिद्वंद्वियों के बीच एक चुनाव में आमने-सामने से देखें क्या स्थिति बनती है? समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और आजम खां प्रमुख होंगे। बसपा में तो एक ही प्रचारक हैं बहन जी। बहन जी अकेले अपने ही दमखम पर पार्टी को जिताने का प्रयास करेंगी। यूपी में इन प्रमुख दलों के अलावा और दर्जनों छोटे दल भी चुनावी दंगल में हैं। वह सब भी अपनी ताल ठोंकेंगे। कुल मिलाकर दिलचस्प होगा इन स्टार प्रचारकों का आपस में भिड़ने का नजारा।
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