Thursday, 12 January 2012

यह तो अब तय है कि भंवरी का मर्डर हुआ, पर इसे साबित करना?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 12th January  2012
अनिल नरेन्द्र
सीबीआई ने राजस्थान की हाई कोर्ट को मंगलवार को सूचित किया है कि भंवरी देवी अब जीवित नहीं है और उसने अदालत से उसके पति अमर चन्द द्वारा दायर प्रत्यक्षीकरण याचिका को निरस्त करने का अनुरोध किया। अदालत ने हालांकि याचिका को निरस्त करने से इंकार कर दिया और सीबीआई से अंतिम रिपोर्ट 21 फरवरी को पेश करने को कहा। सीबीआई की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनन्द पुरोहित ने अदालत के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि अब भंवरी देवी जीवित नहीं रही, इसलिए अब अदालत में उसे पेश करना सम्भव नहीं है। उन्होंने अदालत को यह भी सूचित किया कि वह मामले के करीब-करीब निष्कर्ष तक पहुंच गई है और जल्द आरोप पत्र दाखिल करने जा रही है। हां यह भंवरी का ही मर्डर हुआ था। यह प्रूफ करना सीबीआई के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। लाश को जलाया गया, फिर हड्डियों को तोड़ा गया, जितना सम्भव हुआ चूरा भी किया गया, उस पर भी हत्यारी अस्थियां चार महीने से ज्यादा वक्त तक नहर में रहीं, इन सब कारणों से डीएनए टेस्ट भी फेल हो सकता है। इसलिए यह सीबीआई के लिए चैलेंज है और नहर से मिली भंवरी की घड़ी बड़ी उम्मीद बन गई है। कानूनी जानकारों का मानना है कि करीब दो सौ कर्मियों और गोताखोरों की मदद से सीबीआई ने भंवरी के अवशेष राजीव गांधी नहर से बरामद कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। लेकिन यह बड़ी चुनौती भी है। पानी में तीन महीने से ज्यादा वक्त तक अस्थियों के डूबे रहने से डीएनए के रिजल्ट उम्मीद के हिसाब से सही नहीं आते हैं। इसलिए डीएनए के जरिये यह साबित करना मुश्किल हो सकता है कि भंवरी का मर्डर किया गया था? जब यह भी साफ नहीं होता है कि कौन मारा गया था तो यह बात कम मायने रखती है कि क्यों मारा गया था और किसने मारा-मरवाया था? अब सारा दारोमदार गवाहों पर है। सीबीआई के मुताबिक उनके पास केस को साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं जिनमें गवाहियां महत्वपूर्ण कड़ी है। वैसे अभी तो जांच ही चल रही है। दो-तीन लोगों की तलाश भी जारी है, इसलिए अगली चार्जशीट से ही पता चलेगा इन प्रश्नों के उत्तर। हमारा अनुभव यह भी है कि मुकदमे के दौरान बहुत-सी बातें कमजोर पड़ जाती हैं। उदाहरण के तौर पर गवाह मुकर जाते हैं और हास्टाइल हो जाते हैं। नहर से भंवरी देवी की घड़ी और एक झुमके का मिलना अहम सुबूत हो सकते हैं, बशर्ते कि उसके परिवार के लोग कोर्ट में भी यही बात कहें कि ये चीजें भंवरी की ही हैं। अगर वह यह कह भी देते हैं तो भी यह साबित करना अहम होगा कि मर्डर की वजह से ही ये चीजें नहर में फेंकी गईं व नहर से मिलीं, किसी के द्वारा फेंकी नहीं गई? जोधपुर के ओसियां के जालौड़ा गांव के पास से गुजर रही इन्दिरा गांधी नहर से गोताखोरों ने शनिवार को भंवरी की कथित घड़ी, दांत के टुकड़े, खोपड़ी का हिस्सा, कान की बाली और भंवरी के हार के कुछ मोती बरामद किए हैं। सीबीआई को उम्मीद है कि नहर से अभी कुछ और कई सुबूत मिल सकते हैं। दिल्ली से गई सीएफएसएल की टीम ने दो दिन जिले के लोहावट में भंवरी के शव को खुर्दबुर्द करने के स्थानों का निरीक्षण किया तथा नहर से एक बैल्ट, प्लास्टिक थैली में दो देशी पिस्तौल, महिलाओं की चूड़ियां एवं एक कट्टे में मिट्टी एवं राख बरामद की गई थी। यह कामयाबी सीबीआई के आरोपी ओम प्रकाश तथा कैलाश जाखड़ की निशानदेही पर मिली। यही दोनों सीबीआई को उस गड्ढे तक ले गए थे, जहां उन्होंने भंवरी का शव जलाकर राख नहर में बहाई थी। आरोपियों ने डेमो कर बताया कि उन्होंने छुरे से लाश के टुकड़े किए, फिर लकड़ियां और पेट्रोल डालकर उन्हें सुबह तक जलाया। जली हुई हड्डियों को भी बल्ले से तोड़कर दोबारा जलाया गया। फिर राख, बल्ला और छुरा नहर में बहाकर भाग गए। बल्ला सतह पर नहीं आए इसलिए उसे पत्थर पर बांधकर फेंका गया। दूसरी रात वे फिर गए और जलने के निशान मिटाने के लिए मिट्टी खोदकर उसे भी नहर में डाल दिया। इन परिस्थितियों में जहां मर्डर के सारे साक्ष्य मिटाने का इतना प्रयास हुआ हो निश्चित रूप से सीबीआई को केस साबित करने में बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी।
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