अन्ना हजारे या चुनाव आयोग भले ही जितना भी जोर लगा दें, प्रतिबंध लगा दें, उत्तर प्रदेश में राजनीति का अपराधीकरण होने से नहीं रोक सकते। धन बल और बाहुबल के बढ़ते उपयोग पर अंकुश लगाने के तमाम प्रयासों के बावजूद यह परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश के किसी चुनाव में तकरीबन 69 उम्मीदवार जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। वह भी तब जबकि अपराधियों को टिकट न देने का दावा करते हुए कोई दल थकता नहीं है। बात यहीं तक नहीं रुकती, आपराधिक प्रवृत्ति के 77 उम्मीदवारों को राजनीतिक दलों ने उतारने से परहेज नहीं किया। राजनीति में अपराधियों की यह उपस्थिति सिर्प चार चरण के उम्मीदवारों के आधार पर ही आंकी गई है। पूरे उम्मीदवारों के नाम और उन पर चस्पा आरोपों के मद्देनजर विश्लेषण किया जाए तो यह आंकड़ा काफी बड़ा दिखाई देता है। यह स्थिति तो तब है जब तस्वीर अभी धुंधली है। तस्वीर जब साफ होगी तो सही स्थिति का पता चलेगा। उत्तर प्रदेश के इस 16वीं विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में अपराधियों को चुनावी दंगल में उतारने के मामले में सभी राजनीतिक दल बेनकाब हो गए हैं, हकीकत तो यह है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। शायद ही कोई ऐसा दल हो जिसने जेल में बन्द किसी न किसी को माननीय बनाने की न ठान ली हो। समाजवादी पार्टी ने अमर सिंह को फैजाबाद से उतारा है, जो इन दिनों जेल में बन्द हैं। पीस पार्टी ने यहीं से जितेन्द्र सिंह बबलू को जेल में रहते ही चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी थी। यही नहीं, पीस पार्टी ने सुल्तानपुर से भी दो दबंगों सोनू सिंह और मोनू सिंह को टिकट थमाए हैं। जो हाल ही में जेल से छूटे हैं। अपना दल ने जेल में बन्द अतीक अहमद और अंतर्राष्ट्रीय माफिया मुन्ना बजरंगी को माननीय बनाने की ठानी है। मुन्ना ने तिहाड़ जेल से नामांकन पत्र दाखिल किया है। मऊ से निर्दलीय मुख्तार अंसारी ने आगरा केंद्रीय जेल से नामांकन पत्र दाखिल किया है। इन्हें बीते लोकसभा चुनाव में बसपा ने वाराणसी से भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उतारा था। गुजरात के अहमदाबाद जेल में बन्द बृजेश सिंह चन्दौली जिले की सैयद रजा सीट पर प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। कबीना मंत्री नन्द गोपाल नन्दी पर जानलेवा हमले का आरोपी फतेहपुर जेल में बन्द विजय मिश्र सपा की टिकट से मिर्जापुर जिले की ज्ञानपुर सीट से मैदान में हैं। कांग्रेस ने अकेले गाजीपुर की जमनिया सीट से जेल में बन्द कलावती बिन्द को उम्मीदवार बनाया है। इसी जिले से कांग्रेस ने रासुका तथा गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल में बन्द शैलेश सिंह को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है। जेल में बन्द फूलन देवी की हत्या के आरोपी शेर सिंह राणा ने भी गौतमबुद्ध नगर की जेवर सीट से राष्ट्रवादी प्रताप सेना के बैनर तले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। दागी उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में सभी दलों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। इसी का नतीजा है कि तकरीबन गम्भीर आपराधिक मामले वाले 15 फीसदी उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। भाजपा ने 14, सपा ने 15, कांग्रेस ने 17 फीसदी आपराधिक छवि के उम्मीदवारों को उतारा है। बसपा भी पीछे नहीं, उसने भी 16 फीसदी आपराधिक छवि के उम्मीदवार को उतारा है। छोटे दलों की तो बात ही नहीं करते। इस हमाम में सभी नंगे हैं।
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