इस्लामिक जगत में बदनाम सैटेनिक वर्सिस जैसी बेहूदा किताब लिखने वाले सलमान रुश्दी को पता नहीं क्या सूझी कि यूपी के चुनाव के ठीक पहले वह भारत आना चाह रहे हैं। रुश्दी की यात्रा को लेकर मुस्लिम जगत में अचानक गर्माहट आना स्वाभाविक ही है। मुस्लिम जमातों ने भारत सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है। मुस्लिम नेताओं का कहना है कि पैगम्बर-ए-इस्लाम के विषय में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले रुश्दी को भारत आने की अनुमति देने से मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं जब सलमान रुश्दी भारत की यात्रा पर आ रहे हैं लेकिन उनके आने के टाइमिंग पर जरूर थोड़ा आश्चर्य हो रहा है। रुश्दी के उपन्यास द सैटेनिक वर्सिस पर विवाद के बाद भारत सरकार ने उनकी भारत यात्रा पर पाबंदी लगाने के साथ ही पुस्तक की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। लम्बे अरसे के बाद एनडीए सरकार ने पहली बार रश्दी को भारत आने की इजाजत दी थी लेकिन पुस्तक पर प्रतिबंध जारी रखा था। अब जयपुर में 21 जनवरी को होने वाले साहित्यक सम्मेलन में रुश्दी की संभावित यात्रा को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। उलमा चाहते हैं कि भारत सरकार सलमान रुश्दी को भारत आने की अनुमति न दे। इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया की ओर से मंगलवार को इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। सेंटर के प्रमुख मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि सलमान रुश्दी को भारत आने की अनुमति देने से मुसलमानों की भावनाएं आहत होंगी। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने भी सलमान रुश्दी को लेकर अपना विरोध दर्ज किया है। भारत में जन्मे ब्रिटिश नागरिक रुश्दी के पास दरअसल ओवरसीज इंडियन सिटीजन कार्ड है, जो उन्हें बगैर वीजा भारत आने की अनुमति देता है। ऐसे में सरकार अगर उन्हें रोकना चाहे भी तो उसे सबसे पहले तो रुश्दी को दिया गया ओवरसीज इंडियन सिटीजन कार्ड वापस लेना होगा। इस बीच अपने विरोधियों को चिढ़ाने के लिए रुश्दी ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर संदेश लिखा है कि भारत आने के लिए उन्हें किसी वीजा की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि दारुल उलूम देवबंद ने सबसे पहले रुश्दी की प्रस्तावित यात्रा रद्द करने की बात कही थी। भारत सरकार ने फिलहाल अपनी ओर से सीधे किसी दखल से तो हाथ खड़े कर दिए हैं, लेकिन इतना संदेश जरूर दिया है कि जिसे भी शिकायत है वो कानून व्यवस्था के आगे अपनी बात रखे। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि कानून व्यवस्था से हटकर कुछ भी नहीं कर सकते। लिहाजा जिन्हें चिन्ता है और जो समझते हैं कि कार्रवाई होनी चाहिए तो वो कानून व्यवस्था का सहारा लें। वहीं विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार विषम परिस्थितियों में पीआईओ कार्ड धारक को देश में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा सकती है। कानून व्यवस्था खराब होने का खतरा, देश की आंतरिक सुरक्षा भड़काने जैसे मामलों में सरकार इस तरह का फैसला ले सकती है।
सलमान रुश्दी जैसे बकवास लेखक पर हर धार्मिक व्यक्ति को रोष होना चाहिए। सस्ती लोकप्रियता व चांदी के चन्द सिक्कों के लिए आप किसी धर्म या धार्मिक गुरु का मजाक नहीं उड़ा सकते। चाहे वह सलमान रुश्दी हो या एमएफ हुसैन हो हमारी नजरों में तो दोनों ने ऐसा काम किया है जिससे उन्हें माफ नहीं किया जा सकता। उन्हेंने करोड़ों मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। उन्हें ऐसा करने से पहले हजार बार सोचना चाहिए था। हुसैन जैसे विश्व प्रसिद्ध आर्टिस्ट को भला क्या जरूरत पड़ी थी कि मां सरस्वती की नग्न (बेहूदा तस्वीरें) बनाएं? क्या रुश्दी ने यह काम पैसा कमाने के लिए किया या फिर सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए। रुश्दी की प्रस्तावित यात्रा का एक सियासी पहलू भी है। रुश्दी के आने की आंच मुस्लिम इदारों तक सीमित नहीं है। यूपी की चुनावी फिजा में इसकी तपिश बखूबी महसूस की जा रही है। अरसे बाद बमुश्किल मुस्लिम समाज में जगह बना पा रही कांग्रेस चुनावी समर के दौरान नहीं चाहती कि ऐसा कुछ हो कि मुस्लिम मतदाता बिदक जाए। प्रदेश के कांग्रेसी मुस्लिम नेताओं ने इस संबंध में दिल्ली दरबार में दस्तक देकर रुश्दी का दौरा रुकवाने की कवायद शुरू कर दी है। वहीं कांग्रेस विरोधी दल रुश्दी के बहाने एक बार फिर कांग्रेस को मुस्लिम विरोधी करार देने में जुट गए हैं। मुसलमानों के सख्त विरोध के कारण द सैटेनिक वर्सिस को अक्तूबर 1988 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था। ईरान के प्रमुख अयातुल्ला खोमैनी ने तो 14 फरवरी 1989 को उनकी मौत का फतवा जारी कर दिया था। जैसा एक शायर ने कहाöनफरत फैलाने वाले काले-पीले अक्षर साहित्य नहीं हो सकते। मैं रुश्दी को लेखक मानता ही नहीं। रुश्दी ने द सैटेनिक वर्सिस बदनीयती से लिखा और उनकी मूल मंशा फौरी शोहरत पाना था। लेखक का मकसद किसी को आहत करना हो ही नहीं सकता। पता नहीं किसने उन्हें बुलाया है। खासतौर से चुनाव के समय ऐसे आयोजनों से परहेज बरता जाना चाहिए। हो सकता है कि चुनाव में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की मंशा रखने वाले ऐसे आयोजनों के पीछे हों। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे आयोजनों पर रोक लगाए।
Anil Narendra, Daily Pratap, Salman Rushdi, Satanic Verses, Vir Arjun
सलमान रुश्दी जैसे बकवास लेखक पर हर धार्मिक व्यक्ति को रोष होना चाहिए। सस्ती लोकप्रियता व चांदी के चन्द सिक्कों के लिए आप किसी धर्म या धार्मिक गुरु का मजाक नहीं उड़ा सकते। चाहे वह सलमान रुश्दी हो या एमएफ हुसैन हो हमारी नजरों में तो दोनों ने ऐसा काम किया है जिससे उन्हें माफ नहीं किया जा सकता। उन्हेंने करोड़ों मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। उन्हें ऐसा करने से पहले हजार बार सोचना चाहिए था। हुसैन जैसे विश्व प्रसिद्ध आर्टिस्ट को भला क्या जरूरत पड़ी थी कि मां सरस्वती की नग्न (बेहूदा तस्वीरें) बनाएं? क्या रुश्दी ने यह काम पैसा कमाने के लिए किया या फिर सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए। रुश्दी की प्रस्तावित यात्रा का एक सियासी पहलू भी है। रुश्दी के आने की आंच मुस्लिम इदारों तक सीमित नहीं है। यूपी की चुनावी फिजा में इसकी तपिश बखूबी महसूस की जा रही है। अरसे बाद बमुश्किल मुस्लिम समाज में जगह बना पा रही कांग्रेस चुनावी समर के दौरान नहीं चाहती कि ऐसा कुछ हो कि मुस्लिम मतदाता बिदक जाए। प्रदेश के कांग्रेसी मुस्लिम नेताओं ने इस संबंध में दिल्ली दरबार में दस्तक देकर रुश्दी का दौरा रुकवाने की कवायद शुरू कर दी है। वहीं कांग्रेस विरोधी दल रुश्दी के बहाने एक बार फिर कांग्रेस को मुस्लिम विरोधी करार देने में जुट गए हैं। मुसलमानों के सख्त विरोध के कारण द सैटेनिक वर्सिस को अक्तूबर 1988 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था। ईरान के प्रमुख अयातुल्ला खोमैनी ने तो 14 फरवरी 1989 को उनकी मौत का फतवा जारी कर दिया था। जैसा एक शायर ने कहाöनफरत फैलाने वाले काले-पीले अक्षर साहित्य नहीं हो सकते। मैं रुश्दी को लेखक मानता ही नहीं। रुश्दी ने द सैटेनिक वर्सिस बदनीयती से लिखा और उनकी मूल मंशा फौरी शोहरत पाना था। लेखक का मकसद किसी को आहत करना हो ही नहीं सकता। पता नहीं किसने उन्हें बुलाया है। खासतौर से चुनाव के समय ऐसे आयोजनों से परहेज बरता जाना चाहिए। हो सकता है कि चुनाव में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की मंशा रखने वाले ऐसे आयोजनों के पीछे हों। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे आयोजनों पर रोक लगाए।
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India is a secular country and its law respects all religions, so anyone hurting the religious-sentiments of others, must be banned from entering the peaceful and great country. Furthermore, it is in the interests of our beloved country's unity and strength. Jai Hind
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