Friday, 10 November 2017

कानूनी डाका, संगठित लूट की नोटबंदी

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मंगलवार को मोदी सरकार के  दो प्रमुख आर्थिक सुधारों-नोटबंदी और जीएसटी पर जमकर हल्ला बोला। नोटबंदी के एक साल पूरा होने से एक दिन पहले मनमोहन सिंह ने अहमदाबाद में कहा कि आठ नवम्बर 2016 को 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन किया जाना एक संगठित लूट और कानूनी डाका था। नोटबंदी और उसके बाद माल व सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के उसके तौर-तरीकों से देश के कारोबारी समुदाय के मन में कर आतंक का डर बैठ गया है। गुजरात और अहमदाबाद में अपनी पार्टी की ओर से आयोजित लघु व मझौले कारोबारियों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि इस समय देश में निजी निवेश 25 बरस के न्यूनतम स्तर पर है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब स्थिति है। नोटबंदी को बिना सोचे-समझे कदम बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री व जाने-माने अर्थशास्त्राr मनमोहन सिंह ने दोहराया कि बड़े मूल्य नोटों के चलन से बाहर करने की राजग सरकार की कार्यवाही एक संग"ित लूट और कानूनी डाका था। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में स्थिति बहुत खराब है। अर्थव्यवस्था बैठ गई है। जबकि वैश्विक वृहद परिस्थितियां अनुकूल थीं। कर आतंक के डर से निवेश को लेकर भरोसा डगमगा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे हमला करते हुए कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के युवाओं के हालिया आंदोलनों से पता चलता है कि गुजरात की भाजपा सरकार के कामकाज से उनमें असंतोष है। गुजरात में भाजपा पिछले करीब 22 साल से लगातार सत्ता में है। मनमोहन ने कहा कि सिर्फ सूरत में 60,000 करघे बंद हो गए हैं। प्रत्येक 100 करघों पर यदि 35 लोगों का रोजगार छिनने की दर को लिया जाए तो सूरत में सिर्फ एक उद्योग में 21,000 लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की अहमदाबाद-मुंबई बुलैट ट्रेन की परियोजना की भी आलोचना की और कहा कि यह एक दिखावा है। जाने-माने अर्थशास्त्राr ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के जो मकसद बताया वह पूरा नहीं हुआ, काले धन वालों को पकड़ा नहीं जा सका, वे लोग भाग गए। जीएसटी ने छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ दी। जीएसटी के अनुपालन की शर्तें छोटे कारोबारियों के लिए बुरे सपने की तरह है। आम लोगों को इससे काफी परेशानी हुई है। मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 14 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा। उन्होंने दो टूक कहा कि नोटबंदी के कारण अमीर लोगों ने इसकी आड़ में काले धन को सफेद बना लिया, जबकि सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को हुआ।

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