Tuesday 14 November 2017

सम-विषम शर्तों के साथ लागू करना मुश्किल

ऑड-ईवन लागू करने की अनुमति दी जाए या नहीं, इस मामले में सुनवाई करने के दौरान एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने शनिवार सुबह दिल्ली सरकार पर कई सवाल दागे। सरकार जिरह के दौरान बैकफुट पर नजर आई। एनजीटी ने पूछा कि क्या एलजी की अनुमति ली है? आप दोपहिया वाहनों को छूट दे रहे हैं, क्या आपको पता है कि अगर 500 कारों को हटा दिया जाए और 1000 दोपहिया वाहनों को छूट दे दी जाए तो कार से ज्यादा प्रदूषण दोपहियों से होगा। एनजीटी ने सवाल किया कि आपने दोपहिया को किस आधार पर छूट दी है? आंकड़े बताते हैं कि दोपहिया से 30 प्रतिशत प्रदूषण होता है। आप  बताएं योजना के दौरान कितनी डीटीसी बसें सड़कों पर होंगी और कितनी बसें डिपो में खराब पड़ी हैं। एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपने अब तक हेलीकॉप्टर से बारिश क्यों नहीं कराई? जब कहा जाता है तभी सोचते हो। दिल्ली सरकार पार्किंग शुल्क बढ़ाने संबंधी निर्णय (चार गुना) पर पुनर्विचार करे। पैसे बढ़ाने से पर्यावरण समस्या का समाधान नहीं होगा। केवल लोगों पर आर्थिक बोझ ही पड़ेगा। एनजीटी ने पूछा कि इतने समय से प्रदूषण था, आपने क्या किया? एनजीटी ने कड़ी शर्तें दिल्ली सरकार के समक्ष रखीं। यह थीं शर्तेंöसरकार योजना लागू करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वायु प्रदूषण की आपात स्थिति के दौरान इसे कई तरह की छूट के साथ लागू नहीं किया जा सकता। सम-विषम व्यवस्था के दायरे में दोपहिया, महिला चालक, वीवीआईपी वाले समेत अन्य सभी वाहनों को भी इस दायरे में लाया जाए। सरकार इस शर्त को पूरा कर सकती है तो सम-विषम व्यवस्था लागू की जा सकती है। एनजीटी की कड़ी शर्तों को दिल्ली सरकार पूरा नहीं कर पाती इसलिए उसने अपना फैसला वापस ले लिया। कारण कई थेöमहिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। दिल्ली में 1.06 करोड़ वाहन हैं। अभी 25 से अधिक कैटेगरी में छूट देने के बाद करीब 25 लाख वाहन सम-विषम के दायरे में आ रहे थे। सम-विषम से करीब 12.50 लाख वाहन सड़क से हटते, लेकिन शर्त मानी तो 25 लाख के साथ 60 लाख दोपहिया वाहन भी जद में आएंगे। यानी रोजाना 30 लाख दोपहिए हटेंगे। इससे निपटने के लिए परिवहन व्यवस्था नहीं है। दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की हालत खराब है। 10 हजार से ज्यादा बसें कम हैं। मेट्रो किराया बढ़ने और पार्किंग शुल्क चार गुना होने से मेट्रो की राइडरशिप घट रही है। ऐसे में केवल सार्वजनिक परिवहन के सहारे सम-विषम योजना को लागू नहीं किया जा सकता। दिल्ली में 60 लाख से ज्यादा दोपहिया वाहन हैं। एक करोड़ से ज्यादा कुल वाहन हैं। इसी वजह से दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन का फैसला वापस लिया।

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