Wednesday 8 November 2017

भ्रष्टाचार के नाम पर सऊदी अरब में सत्ता संघर्ष

सऊदी अरब में पिछले कुछ दिनों से शाही परिवार में बहुत उथल-पुथल चल रही है। कहने को तो यह सब भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर हो रहा है पर लगता है कि यह सत्ता की लड़ाई है। अपने रास्ते से रुकावटें हटाने में जुट गए हैं साउदी क्राउन प्रिंस। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार शाही फरमान के आधार पर देश के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में एक नई भ्रष्टाचार निरोधक समिति बनाई गई है। इस समिति के बनने के घंटों बाद ही 11 राजकुमारों समेत चार मंत्रियों और दर्जनों पूर्व मंत्रियों को हिरासत में ले लिया गया है। हिरासत में लिए गए लोगों में अरबपति राजकुमार अलवलीद बिन तलल भी शामिल हैं। मोहम्मद बिन सलमान ने नेशनल गार्ड्स और नेवी के प्रमुखों को भी बर्खास्त कर दिया है। समिति बनाने का आदेश देने वाले इस शाही फरमान में कहा गया है, अगर भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ कर न फेंका गया और भ्रष्टाचार करने वालों को सजा न दी गई तो इस देश का अस्तित्व नहीं रहेगा। सरकारी समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक इस नई भ्रष्टाचार निरोधक समिति के पास किसी के नाम पर वारंट जारी करने और यात्रा पर रोक लगाने का अधिकार है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हिरासत में लिए गए लोगों पर क्या आरोप हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों में राजकुमार अलवलीद बिन तलल दुनिया के सबसे धनी लोगों में शुमार हैं। अलवलीद लंदन स्थित होटल सैवॉय के मालिक हैं और फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार 17 बिलियन डॉलर (यानी 17 अरब डॉलर) के साथ दुनिया के सबसे धनी लोगों में गिने जाते हैं। ट्विटर और एप्पल के अलावा अलवलीद की कंपनी किंग्डम होल्डिंग ने रूपर्ट मरडॉक की समाचार कंपनी, सिटी बैंक ग्रुप, फोरसिजन होटल और कार सेवा कंपनी लिफ्ट में भी निवेश किए हैं। अलवलीद ने डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से पहले उनकी कंपनी से एक यॉट और एक होटल खरीदा था। साल 2015 में वो ट्विटर पर ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के फैसले के विरोध में उनके साथ बहस में उलझ गए थे। अलवलीद का कहना था, आप न केवल रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के लिए बल्कि पूरे अमेरिका के लिए अपमान के समान हैं। आप राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना नाम वापस ले लें क्योंकि आप कभी जीत नहीं सकते। इसके जवाब में ट्रंप ने कहाöझूठे राजकुमार अपने पिता के पैसों से हमारे अमेरिकी राजनेताओं को काबू में रखना चाहते हैं। लेकिन मैं राष्ट्रपति बन गया तो ऐसा नहीं होगा। मोहम्मद बिन सलमान ने नेशनल गार्ड्स के मंत्री प्रिंस मितब बिन अब्दुल्ला और नेवी कमांडर एडमिरल अब्दुल्लाह बिन सुल्तान को भी बर्खास्त कर दिया है। इस मामले में कोई आधिकारिक सफाई नहीं दी गई है। प्रिंस मितब सऊदी शाह अब्दुल्ला के बेटे हैं और कभी देश के सर्वोच्च पद के दावेदार रह चुके हैं। अब्दुल्ला परिवार के वो आखिरी सदस्य हैं जो सऊदी सरकार में ऊंचे पद पर थे। लगता है कि देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के इस आदेश ने युवराज मोहम्मद बिन सलमान को देश के सुरक्षाबलों पर पूरा नियंत्रण दे दिया है। इस कारण से सलमान की ताकत और बढ़ी है। वो उस आखिरी रिश्तेदार को भी अपने रास्ते से हटा देना चाहते हैं जो एक बेहद आधुनिक पैरामिलिट्री फोर्स की अध्यक्षता करते हैं और उनकी सत्ता को चुनौती देने की काबिलियत रखते हैं। ऐसा और कोई प्रिंस नहीं बचे जिसका सेना या सुरक्षाबलों पर कोई अधिकार हो और जो ऐसा कुछ कर सकें। बता दें कि जनवरी 2015 में किंग अब्दुल्ला बिन अजीज की मौत हो गई और मोहम्मद बिन सलमान के पिता सलमान 79 वर्ष की उम्र में किंग बने थे। इसी साल उन्हें अपने चचेरे भाई मोहम्मद बिन नॉयेफ को हटाकर क्राउन प्रिंस यानी युवराज बनाया गया। 31 अगस्त 1985 को जन्मे सलमान तत्कालीन प्रिंस सलमान बिन अब्दुल अजीज अल साउदी की तीसरी पत्नी फहदाह बिन फलह बिन सुल्तान के सबसे बड़े बेटे हैं। हिरासत में लिए गए ज्यादातर लोग शहजादे मोहम्मद की आक्रामक विदेश नीति की मुखालफत करते रहे हैं। देखना अब यह है कि सऊदी अरब में तेज होती सियासत व सत्ता संघर्ष किस करवट बैठता है।

-अनिल नरेन्द्र

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