Wednesday 1 November 2017

बढ़ती खाई या महज नूराकुश्ती?

भाजपा और शिवसेना के बीच जिस तरह से तीर चल रहे हैं उससे तो लगता है कि इनका गठबंधन टूटने की कगार पर है। शिवसेना के लगातार कटाक्षों के बाद महाराष्ट्र के भाजपा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने सहयोगी शिवसेना पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को वह तीन अलग-अलग मौकों पर बोले कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे को तय करना चाहिए कि वे गठबंधन जारी रखना चाहते हैं या नहीं? शिवसेना का रवैया महाराष्ट्र के लोगों के लिए अच्छा नहीं है फड़नवीस ने कहा। वे हमारे सभी फैसलों का विरोध करते हैं। वे हमें सुझाव दे सकते हैं पर लगातार एक विपक्षी पार्टी की तरह बर्ताव नहीं कर सकते। शिवसेना और भाजपा के बीच 1989 में गठबंधन हुआ था। पहली बार 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर यह टूट गया था। बाद में दोनों में दोबारा गठबंधन हो गया। हाल ही में शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ भी की। राऊत ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी में देश की अगुवाई करने की क्षमता है। राहुल आत्मविश्वास से लबरेज हैं। लोग उन्हें सुनने आ रहे हैं। तीन साल पहले तक उनको पप्पू कहा जाता था, लेकिन अब कांग्रेस को उनमें एक लीडर दिख रहा है। अब उन्हें पप्पू कहना गलत है। मोदी की लहर कम हो गई है। जीएसटी लाने से गुजरात के लोगों में गुस्सा है। दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना होगा। वहीं राज ठाकरे ने कहा कि अब भाजपा को राहुल से डर क्यों लग रहा है। भाजपा-शिवसेना गठबंधन अगर टूटा तो फड़नवीस को सरकार बनाने के लिए 144 विधायक चाहिए होंगे। जबकि भाजपा के पास 122 विधायक हैं। एनसीपी के 41 विधायकों को मिलाकर गठबंधन सरकार बना सकते हैं। मोदी-शरद पवार के बीच हुई मुलाकातों के दौरान ऐसे कयास भी लग रहे हैं। कभी राज्य में शिवसेना को भाजपा से (लोकसभा और विधानसभा में) अधिक सीटें मिलती थीं। 1995 में पहली बार यहां गैर-कांग्रेसी सरकार बनी तो भाजपा शिवसेना की सहयोगी थी। पर 2014 में सब कुछ बदल गया। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 48 में से 23 सीटें मिलीं, जो पिछले चुनाव से 14 अधिक थीं। शिवसेना को सिर्फ 18 सीटें ही मिल पाईं। 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा को 122 और शिवसेना को केवल 63 सीटें मिलीं। देखना यह है कि भाजपा और शिवसेना के बीच वाकई ही खाई बढ़ रही है या फिर यह महज नूराकुश्ती है।

-अनिल नरेन्द्र

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