Saturday, 25 November 2017

हनुमान मूर्ति को एयरलिफ्ट करना हिन्दू धर्म में मान्य नहीं

दिल्ली के करोल बाग स्थित 108 फुट लंबी हनुमान मूर्ति को हाई कोर्ट ने रिज रोड पर अतिक्रमण हटाने के लिए इसे एयरलिफ्ट करने पर विचार करने का निर्देश सरकारी एजेंसियों को दिया है। कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 दिसम्बर की तारीख तय की है। झंडेवालान स्थित 108 फुट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति साधारण नहीं है। मंदिर प्रबंधन कमेटी का कहना है कि इस मूर्ति का वजन 600 टन से ज्यादा है। इसे एयरलिफ्ट ही नहीं किया जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मूर्ति को तोड़ा जाएगा? कमेटी का कहना है कि किसी को भी किसी भी हालत में मूर्ति को हाथ नहीं लगाने देंगे। दूसरी ओर हनुमान जी की यह मूर्ति हाइटेक है। इस तरह की मूर्ति शायद ही देश में हो। मूर्ति के हाथ स्वचालित हैं। दोनों मुट्ठी मशीनों के माध्यम से बंद होती हैं और खुलती हैं। मूर्ति के सीने में भगवान राम एवं सीता की सोने की मूर्ति स्थापित है। इनके दर्शन हनुमान जी की मूर्ति के हाथों की मुट्ठी बंद होने के बाद होते हैं और मुट्ठी खुलने पर दोनों मूर्ति छिप जाती हैं। मंदिर के पुजारी गणेश दत्त पांडेय का कहना है कि करीब 17 साल में बनकर तैयार हुई हनुमान जी की इस 108 फुट ऊंची मूर्ति को एयरलिफ्ट होने से बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस मूर्ति को एयरलिफ्ट कर दूसरी जगह स्थापित करने के सुझाव पर साधु-संतों ने भी कड़ी आपत्ति की है। उनका कहना है कि वह अदालत का सम्मान करते हैं, लेकिन इस प्रकार हिन्दुओं के हर मामले में हस्तक्षेप करना कतई उचित नहीं है और वह इसे स्वीकार नहीं करते। प्राचीन सिद्ध पीठ श्री कालका जी मंदिर स्थित महंत निवास परिसर में मंगलवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन में निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज, कालका जी पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने इस विषय पर पूछे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आखिर हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर ही सभी को आपत्ति क्यों होती है। जबकि हिन्दुओं के धार्मिक स्थान रास्तों में नहीं बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में स्थापित मूर्ति को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मान्यता नहीं है। इस कारण कोई भी स्थापित मूर्ति दूसरी जगह शिफ्ट नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि झंडेवालान स्थित हनुमान मूर्ति का अपना इतिहास व मान्यता है। ऐसे में उसे वहां से हटाना धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। उन्होंने सवाल उठाया कि राजधानी में कई सड़कों पर अन्य धर्मों के धर्म स्थान बने हुए हैं। कई तो सड़क के बीच बने हुए हैं। क्या वह अतिक्रमण नहीं? अदालत को क्यों हमेशा हिन्दुओं के ही धर्म स्थलों पर अतिक्रमण नजर आता है? हमारा कहना है कि यदि हटाना ही है तो सभी को हटाया जाए। झंडेवालान स्थित हनुमान मूर्ति वाले मंदिर में कटरा स्थित वैष्णो माता की गुफा में वैष्णो माता, काली माता और सरस्वती माता की पिंडी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि माननीय हाई कोर्ट इस पवित्र धार्मिक स्थल से कोई छेड़छाड़ की इजाजत नहीं देगा और मूर्ति को हटाने से बचेगा।

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