Wednesday 29 November 2017

ईवीएम की विश्वसनीयता?

उत्तर प्रदेश स्थानीय चुनावों में कथित गड़बड़ियों की शिकायतें मिलने के बाद ईवीएम मशीनों से टैम्परिंग का मामला फिर गरमा गया है। निकाय चुनावों में मेरठ और कानपुर में बुधवार को हंगामा भी हुआ था। इसी मामले को लेकर कांग्रेस ने धावा बोल दिया है। कांग्रेस ने इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी की कुछ नई शिकायतों के मद्देनजर चुनाव आयोग से भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए गुजरात चुनाव में ईवीएम मशीनों की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। जिस किसी के भी पक्ष में बटन दबाया जाता है पर वोट भाजपा के खाते में चला जाता है। कांग्रेस ने इसको लेकर बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र सहित कुछ अन्य क्षेत्रों से हाल में ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं। शिकायत के बाद इनमें कुछ मशीनों की जांच करने पर पता चला है कि बटन किसी भी पार्टी के चुनाव चिन्ह का दबाया लेकिन वोट कमल के निशान यानी भाजपा पर पड़ रहा था। भारतीय जनता पार्टी ईवीएम में गड़बड़ी कर चुनाव जीत रही है यह आरोप लगाया है आम आदमी पार्टी (आप) ने। आप ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हुए नगरीय निकाय चुनाव में एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ी सामने आई है। इस मामले में आप ने चुनाव आयोग से ईवीएम की व्यापक जांच की मांग करते हुए श्वेत पत्र लाने की मांग की है। आप के वरिष्ठ नेता और पीएसी सदस्य आतिशी मार्लेना ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि ईवीएम में खराबी की खबर सामने आई हो इससे पहले भी भिंड, धौलपुर और उत्तराखंड के कई इलाकों में ईवीएम टैम्परिंग की घटना सामने आ चुकी है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया लोकतंत्र की जड़ है। इसमें किसी प्रकार की टैम्परिंग हमारे लोकतंत्र की जड़ें खोदने के समान है। यह अच्छा है कि ईवीएम में वीवीपैट की सुविधा दी जा रही है। वक्त का तकाजा यह है कि चुनाव आयोग अपनी और इन ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता को बरकरार रखे। एक स्वीकार्य रास्ता यह है कि वीवीपैट पर्चियों की भी गिनती हो ताकि किसी को यह कहने का मौका न मिले कि मशीनों से छेड़छाड़ की गई है। ईवीएम की पारदर्शिता के लिए केवल वीवीपीएटी यानी मतदान के बाद निकलने वाली पर्ची ही काफी नहीं है। उसकी पूरी गिनती होनी चाहिए। निस्संदेह निर्वाचन आयोग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह हर तरह के संदेह का निवारण करे ताकि उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह न लगे।

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