दुनिया में अगर कोई मुल्क सबसे बड़े बंद दरवाजे
के पीछे जीता है तो वो है उत्तर कोरिया। बाहरी दुनिया से उसका संपर्क ना के बराबर ही है।
वहां के आम लोग बाहर नहीं जा सकते और बाहर के लोग आसानी से अंदर दाखिल नहीं हो सकते।
लेकिन कुछ लोग खतरों से खेलकर उत्तर कोरिया से भागने में सफल होते हैं। ऐसे ही कुछ
लोगों ने बीबीसी को बताया कि उत्तर कोरिया में जीवन कैसा है। वो बाहरी दुनिया से कितना
अलग है और उत्तर कोरिया की कौन-सी बात उन्हें आज भी याद आती है।
उत्तर कोरिया से भाग निकलने वाली एक महिला ने बताया-बचपन से ही
हमारा ब्रेन वॉश किया जाता है कि अमेरिकी भेड़िया होते हैं। मैं काफी वक्त तक यही सोचती
थी कि अमेरिका में रहने वाले सभी लोग खतरनाक, दानव और पीली आंखों
वाले होते हैं। एक दूसरी महिला ने बताया कि उसे बहुत समय तक लगता रहा कि अमेरिका और
दक्षिण कोरिया में रहने वालों की छाती पर घने बाल होते हैं। वहां रह चुके एक युवक ने
बताया, उत्तर कोरिया में हर हफ्ते रेगुलर क्रिटिक के नाम से एक
आयोजन हुआ करता था। जिसमें खुद के झांकने को कहा जाता था और साथ ही दूसरे के गलत व्यवहार
की जानकारी भी देनी होती थी। उत्तर कोरिया के बारे में कोई एक बात जो आप दूसरों को
बताना चाहते हैं के जवाब में एक महिला कहती हैं कि सभी के अंदर एक ही तरह का दिल और
जज्बात होते हैं। मैं चाहती हूं कि बाकी लोग हमें भी अपनी ही तरह का समझें। एक युवक
ने कहा कि जब हमें ठंड लगती है तो हम कोट पहन लेते हैं। इसी तरह जब हम अकेले होते हैं
तो हमें प्यार चाहिए। एक अन्य युवक ने कहा ः उत्तर कोरिया के लोगें को आजादी के लिए
लड़ना पड़ता है और वे इस आजादी को बड़ी शिद्दत से चाहते हैं। मैं चाहता हूं कि लोग
इस बात को हमेशा याद रखें। उत्तर कोरिया में किम जोंग का शासन है। इस देश के बारे में
बहुत कम जानकारियां बाहर निकलकर आती हैं। उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम में लगातार
विस्तार कर रहा है जिसके चलते उसे कई आर्थिक प्रतिबंध झेलने पड़ रहे हैं। अमेरिका उत्तर
कोरिया को वैश्विक समुदाय से अलग-थलग कर देना चाहता है। ऐसे में
वहां के नागfिरकों के क्या विचार हैं और वहां की जिंदगी के रंग
कैसे हैं, यह जानना हमेशा ही दिलचस्प रहता है। एक युवक ने कहा
कि मैं भारत और अमेरिका के बारे में सोचता हूं, मैंने भारतीय
फिल्मों में देखा है कि उनमें बहुत ज्यादा डांस करते है। वह सब मुझे कूल लगता है। मुझे
उन लोगों से जलन
होती है।
-अनिल नरेन्द्र
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